उत्तराखंड में अब बच्चे भी सीखेंगे आपदा प्रबंधन के गुर, स्कूलों में हर हफ्ते चलेगी क्लास
उत्तराखंड में अब स्कूलों में भी सप्ताह में एक दिन आपदा प्रबंधन की क्लास चलेगी ताकि बच्चे भी आपदा प्रबंधन के गुर सीख सकें।
By Edited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 09:26 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 02:57 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में अब स्कूलों में भी सप्ताह में एक दिन आपदा प्रबंधन की क्लास चलेगी, जिससे बच्चे भी आपदा प्रबंधन के गुर सीख सकें। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में हुई आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में इस संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने युवाओं के साथ ही गांवों में भी लोगों को प्रशिक्षित करने पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की चुनौतियों का सामना करने को समय-समय पर मॉक अभ्यास किए जाएं। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षणों को प्रभावी बनाने के लिए विशेषज्ञों की राय ली जाए। जिन शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है, उनके माध्यम से सभी स्कूलों के शिक्षकों को भी ट्रेनिंग दी जाए। आपदा प्रबंधन के दृष्टिगत संचार तंत्र को और सशक्त किया जाना आवश्यक है। उन्होंने निर्देश दिए कि मानसून के दृष्टिगत सभी तैयारियां वक्त पर पूरी कर ली जाएं। साथ ही आपदा के लिहाज से संवेदनशील स्थलों का चिह्नीकरण कर लिया जाए।
उन्होंने कहा कि आपदा रिस्पास टाइम को कम से कम करने के प्रयास जरूरी हैं। साथ ही लोगों को कोविड-19 से बचाव के लिए जागरुक किया जाना चाहिए। बैठक में बताया गया कि राज्य आपदा मोचन निधि के तहत सभी जिलों को 98 करोड़, चिकित्सा शिक्षा निदेशालय को 20 करोड़, लोनिवि को 30 करोड़, जल संस्थान को 20 करोड़ और स्वास्थ्य विभाग को 16 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, डीजीपी अनिल रतूड़ी, सचिव शैलेष बगोली, एसए मुरुगेशन, आईजी एसडीआरएफ संजय गुंज्याल, एसीईओ एसडीएमए रिधिम अग्रवाल, निदेशक आपदा प्रबंधन डॉ. पीयूष रोतेला मौजूद थे।
आपदा प्रबंधन को उठाए गए कदम
-मौसम के सटीक पूर्वानुमान को मुक्तेश्वर और सुरकंडा में चल रहा डॉप्लर रडार लगाने का काम।
-इस वर्ष 12321 युवक मंगल दलों और 10908 युवाओं को आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण।
-संचार तंत्र को सुदृढ़ करने को तहसील स्तर पर 184 सेटेलाइट फोन की उपलब्धता।
-2012 से अब तक आपदा से संवेदनशील 27 गांवों के 699 परिवारों का पुनर्वास।
-गढ़वाल में 84 और कुमाऊं मंडल में 100 भूकंप पूर्व चेतावनी तंत्र उपकरण स्थापित।
-गंगा नदी पर कोटेश्वर से ऋषिकेश तक आठ जगह बाढ़ चेतावनी तंत्र स्थापित।
-राज्य और जिला स्तर पर कार्मिकों को इंसीडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम का प्रशिक्षण
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