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पीसीबी माफ करेगा सालभर का संचालनार्थ सहमति शुल्क

उद्योग होटल आश्रम-धर्मशाला अस्पतालों में पर्यावरणीय मानकों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के साथ ही उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) उन्हें बड़ी राहत भी देने जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 10:16 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 10:16 PM (IST)
पीसीबी माफ करेगा सालभर का संचालनार्थ सहमति शुल्क
पीसीबी माफ करेगा सालभर का संचालनार्थ सहमति शुल्क

राज्य ब्यूरो, देहरादून:

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उद्योग, होटल, आश्रम-धर्मशाला, अस्पतालों में पर्यावरणीय मानकों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के साथ ही उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) उन्हें बड़ी राहत भी देने जा रहा है। इस कड़ी में चालू वित्तीय वर्ष का संचालनार्थ सहमति शुल्क माफ किया जाएगा। इससे साढ़े सात हजार उद्योग, होटल, आश्रम-धर्मशाला, अस्पतालों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा। हालांकि, बोर्ड को करीब 15 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ेगा। पीसीबी के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि के अनुसार इस संबंध में बोर्ड की 10 जून को होने वाली बैठक में निर्णय लिया जाएगा।

प्रदेश में होटल, आश्रम-धर्मशाला, उद्योग व अस्पताल पूर्व में पीसीबी से नियमानुसार प्रतिवर्ष संचालनार्थ सहमति को आवेदन नहीं कर रहे थे। वजह ये कि इसके लिए उन्हें शुल्क अदा करने के साथ ही यह सुनिश्चित करना होता है कि वे अपने संस्थान से निकलने वाले किसी भी प्रकार के वेस्ट के निस्तारण को एसटीपी या अन्य व्यवस्थाओं का प्रयोग करेंगे। इस पर पीसीबी ने इन सभी से राज्य गठन से संचालनार्थ सहमति शुल्क देने को कहा। बाद में पिछले वर्ष 18 साल का यह शुल्क माफ कर दिया गया था।

इसके बाद पीसीबी ने तय किया कि जो भी होटल, उद्योग, आश्रम-धर्मशाला व अस्पताल संचालनार्थ सहमति के लिए आवेदन कर शुल्क जमा नहीं करेगा, उसे बंद कर दिया जाएगा। कोरोना संकट को देखते हुए इस अवधि को 31 मार्च 2020 से बढ़ाकर 31 जुलाई कर दिया गया। पीसीबी के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि के अनुासर कोरोना संकट के मद्देनजर अब इस वित्तीय वर्ष का संचालनार्थ सहमति शुल्क माफ करने पर करीब-करीब सहमति बन गई है। अलबत्ता, संबंधित होटल, उद्योग, आश्रम-धर्मशाला व अस्पताल को 31 जुलाई तक आवेदन अवश्य करना है। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो बंदी के नोटिस थमाने से पीसीबी पीछे नहीं हटेगा। पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी को किसी भी दशा में सहन नहीं किया जाएगा।


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