अब बंदरों के हमले में घायल हुए लोगों को भी मिलेगा मुआवजा
उत्तराखंड में अब बंदरों के हमले में घायल हुए लोगों को भी मुआवजा दिया जाएगा।ये ठीक उसी तरह होगा। जिस तरह बाघ व गुलदार के मामलों में मुआवजा दिया जाता है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में मुसीबत का सबब बने बंदरों के खौफ ने सरकार की पेशानी पर भी बल डाले हुए हैं। इसे देखते हुए सरकार ने अब राज्य में बंदर के हमले में घायल होने पर मुआवजा देने का निश्चय किया है। यह ठीक उसी तरह होगा, जिस तरह बाघ व गुलदार के मामलों में मुआवजा दिया जाता है। यही नहीं, बंदर पकड़ने के मद्देनजर राज्य की 12168 वन पंचायतों को भी सरकार फंड देने जा रही है। बंदर पकड़ने को वन पंचायतों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने बुधवार को विस के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल के दौरान विधायक चंदनराम दास समेत अन्य विधायकों के अनुपूरक सवालों के जवाब में सदन में यह एलान किया। राज्य में मौजूद डेढ़ लाख से अधिक बंदरों के उत्पात का मामला बुधवार को सदन में गूंजा। असल में विधायक चंदनराम दास ने तारांकित प्रश्न के जरिये पूछा कि क्या मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी जिलों में बंदरबाड़े बनाने की घोषणा की थी। यदि हां तो अब तक कितने बंदरबाड़े बने और कितनी राशि आवंटित की गई। इसका जवाब विभागीय मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने नहीं में दिया।
इस पर विधायक ने याद दिलाया कि विस के गैरसैंण सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी। तब मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री के घोषणा प्रकोष्ठ और जिलाधिकारियों के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है। यदि विस में ऐसा कहा हो तो इसकी रिपोर्टिग वह नहीं ले पाए। चर्चा में भाग लेते हुए विधायक आदेश चौहान ने बढ़ते मानव-बंदर संघर्ष और विधायक भरत चौधरी ने बंदर प्रभावित क्षेत्रों के चिह्नीकरण और विधायक संजीव आर्य ने रानीबाग बंदरबाड़े की स्थिति के बारे में जानना चाहा।
विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन ने बंदर के काटने पर मुआवजे का प्रावधान और वनरोज को वर्मिन (पीड़क जंतु) घोषित करने की मांग रखी। मंत्री डॉ. रावत ने कहा कि यह सही है कि बंदरों का उत्पात एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है। इसे लेकर सरकार गंभीर है। वन विभाग में पशु चिकित्सकों के 25 पद सृजित किए जा रहे हैं। इससे बंदरों के बंध्यीकरण में तेजी आएगी, ताकि इनकी संख्या नियंत्रित हो सके।
उन्होंने माना कि अभी तक बंदर बंध्यीकरण के प्रयासों में तेजी नहीं आ पाई। उन्होंने बताया कि अब राज्य में बंदर के काटने पर मुआवजा देने का प्रावधान किया जा रहा है। साथ ही वन पंचायतों को बंदर पकड़ने के मद्देनजर ट्रेनिंग देने के साथ ही उन्हें फंड भी दिया जाएगा।
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