-50 से कम कार्मिक तो लाइसेंस की बाध्यता नहीं
प्रदेश में संविदा श्रम के नियोजन को विनियमित करने के लिए सरकार ने संविदा श्रम (विनियमन एवं उत्सादन) अधिनियम 1970 में संशोधन किया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में संविदा श्रम के नियोजन को विनियमित करने के लिए सरकार ने संविदा श्रम (विनियमन एवं उत्सादन) अधिनियम, 1970 में संशोधन किया है। इसके तहत अब 50 या इससे अधिक कामगार को नियोजित करने वाले के लिए ही लाइसेंस लेने की बाध्यता होगी। पहले यह सीमा 20 कामगार की थी। इसके अलावा सरकार ने बिजली व बिजली की सहायता के बगैर काम करने वाली फैक्ट्रियों को मान्यता देने के अधिनियम में भी संशोधन किया है।
सोमवार को सदन में संविदा श्रम (विनियमन एवं उत्सादन) (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक सदन में पेश किया गया। इस विधेयक में (विनियमन एवं उत्सादन) अधिनियम, 1970 में बदलाव किया है। इसके तहत 20 या अधिक कर्मकार वाले संस्थानों या ऐसे ठेकेदार, जो 20 या अधिक कर्मकारों को रखते हैं उनके लिए पंजीयन एवं लाइसेंस लेने की बाध्यता थी। अब इसमें कर्मकारों की संख्या 20 से बढ़ाकर 50 कर दी गई है। इससे यह अब 50 से कम कर्मकार रखने वाले संस्थान एवं ठेकेदार की दशा में पंजीयन व लाइसेंस की बाध्यता समाप्त हो जाएगी।
इसके अलावा सरकार ने कारखाना (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक भी पेश किया। इसके तहत जहां बिजली की सहायता से काम करने वाली फैक्ट्रियों के पंजीयन में अब 10 के स्थान पर 20 कर्मगारों का रखे जाने का प्रविधान किया है। वहीं, बिना बिजली के चलने वाली फैक्ट्रियों में 20 के स्थान पर 40 कर्मगारों को रखे जाने का प्रविधान किया गया है।