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उत्‍तराखंड के दो पूर्व सीएम के गांवों के हाल, कहीं पानी नहीं तो सड़कें बदहाल

उत्‍तराखंड के दो पूर्व मुख्‍यमंत्री के गोद लिए गांवों के हाल बहुत बुरे हैं। एक गांव में पानी नहीं पहुंचा तो एक जगह सड़के बेहाल हैं।

By gaurav kalaEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2016 10:48 AM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2016 07:00 AM (IST)
उत्‍तराखंड के दो पूर्व सीएम के गांवों के हाल, कहीं पानी नहीं तो सड़कें बदहाल

देहरादून, [जेएनएन] : उत्तराखंड के ज्यादातर आदर्श गांवों में छाई उदासियों की तस्वीर देखने के बाद अब हम दुर्गम केदार घाटी के साथ-साथ तराई के इलाके में चलेंगे। साथ ही देखेंगे कि भौगोलिक रूप से दो अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित पहाड़ के इन आदर्श गांवों का स्वप्न कहां तक पूरा हो पाया है।
इनमें से एक गांव पौड़ी गढ़वाल के सांसद और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी का गोद लिया देवली भणीग्राम है। केदार घाटी के दुर्गम इलाके में बसे इस गांव को तीन साल पहले आई आपदा ने तबाह कर दिया था। आदर्श ग्राम योजना के तहत आज यह गांव उस विनाश से उबरता दिखाई दे रहा है।
इसी प्रकार हम प्रदेश के एक और पूर्व मुख्यमंत्री तथा नैनीताल के सांसद भगत सिंह कोश्यारी के आदर्श गांव सरपुड़ा भी चलेंगे। देवली भणीग्राम की तरह सरपुड़ा पर कुदरत की ऐसी कोई मार नहीं पड़ी है। बावजूद इसके, उसे आदर्श गांव बनने के लिए अभी लंबा सफर तय करना है।

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देवली भणीग्राम: जुड़ रहे आपदा में बिखरे तिनके
रुद्रप्रयाग से 46 किलोमीटर दूर ऊखीमठ ब्लॉक के देवली भणीग्राम पर 2013 की आपदा ने भयानक कहर बरपाया था। गांव के 54 लोग आपदा के शिकार हुए थे। केदारनाथ धाम उजड़ने से गांव के 80 फीसद परिवार बेरोजगार हो गए। ऐसे में सांसद आदर्श गांव योजना इस अभागे गांव के लिए जिंदगी के नीड़ को फिर से संवारने का जरिया बनकर सामने आई।
भाजपा सांसद खंडूड़ी ने नवंबर 2014 में इस गांव को गोद लिया। ग्राम प्रधान हरि प्रकाश बताते हैं कि गांव में विकास का पहिया अभी तेज रफ्तार तो नहीं पकड़ पाया है, लेकिन इसे संवारने में 21 विभाग लगे हुए हैं। अब तक 2.31 करोड़ रुपये का काम हो चुका है। 20 करोड़ से अधिक के काम प्रस्तावित हैं।
जिला स्तर से भेजे गए करीब 5.25 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को अभी केंद्र की स्वीकृति नहीं मिली है। सड़क तो बनी, लेकिन हल्की बारिश में ही बंद हो जाती है। इन दिनों पेयजल लाइन भी क्षतिग्रस्त है।
जिला विकास अधिकारी सुनील कुमार बताते हैं कि गांव में हर महीने स्वास्थ्य शिविर लगाया जा रहा है। मनरेगा के तहत भी काम हो रहे हैं। युवा कल्याण विभाग महिला मंगल दल को सिलाई का प्रशिक्षण दे रहा है। गांव में स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं और शौचालय बनाए गए हैं। वन विभाग पौधारोपण व खाल का निर्माण कर रहा है।

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क्या बोले सांसद, खुद पढ़ें
सांसद खंडूड़ी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह गांव का लगातार दौरा कर रहा हैं। विभिन्न विभाग विकास योजनाओं पर काम कर रहे हैं। पीएमजीएसवाई के तहत सड़क के लिए बजट मिला है, लेकिन जमीन को लेकर कुछ अड़चनें हैं। गांव में स्वरोजगार की दिशा में ठोस पहल की गई है। उम्मीद है कि देवली भणीग्राम जल्दी ही एक आदर्श गांव बनेगा।
कब संवरेगी सरपुड़ा की किस्मत?
पूर्व मुख्यमंत्री और नैनीताल के सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने तराई क्षेत्र ऊधमसिंह नगर के सरपुड़ा गांव को जब आदर्श बनाने का संकल्प लिया था तो ग्रामीणों में उम्मीद जगी। यह उम्मीद इसलिए भी थी कि कोश्यारी बड़े कद के नेता हैं और भाजपा में उनका प्रभाव भी माना जाता है।

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हालांकि पौने दो साल का समय गुजर चुका है, सरपुड़ा की उम्मीदें परवान नहीं चढ़ पाई हैं। गांव में पंचायत घर, बैंक, धान क्रय केंद्र आदि तो खुले, लेकिन सड़कों की दशा नहीं सुधरी। छह हजार से ज्यादा आबादी वाले सरपुड़ा को तहसील मुख्यालय से जोड़ने वाली दो मुख्य सड़कें अभी तक नहीं बन पाई हैं। बारिश में यह मार्ग बंद है।
गांव के लोगों को तहसील मुख्यालय जाने के लिए यूपी के न्यूरिया के रास्ते होकर जाना पड़ता है। इसके चलते 15 किलोमीटर का अतिरिक्त रास्ता नापना पड़ता है। गांव के स्कूल की ओर जाने वाले रास्ता भी बदहाल है। गांव में एक एएनएम सेंटर तो है, लेकिन आपातकाल में ग्रामीणों को वहां कोई सुविधा नहीं मिल पाती। गांव में नालियां नहीं हैं। इसकी वजह से सड़कों पर जगह-जगह जलजमाव है।

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गांव के दो सौ घरों में आज भी शौचालय नहीं है। ग्राम प्रधान अतीक अहमद कहते हैं कि सरपुड़ा अभी आदर्श गांव से काफी दूर है। गांव का मुख्य मार्ग ही नहीं बन पाया है। मनरेगा से बनी सड़कों का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
सांसद बोले, कर रहा हूं काम
सांसद भगत सिंह कोश्यारी का कहना है कि सरपुड़ा गांव की आधी आबादी बंदोबस्ती व आधी आबादी जंगल की भूमि पर बसी है। इस गांव में कई सुविधाएं नहीं हैं, लेकिन गांव में चार किलोमीटर की सड़क बनाने के साथ-साथ कई अन्य काम तेजी से चल रहे हैं।

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