उत्तराखंड के युवा लंबे समय से कर रहे हैं रोजगार का इंतजार
उत्तराखंड के युवा लंबे समय से रोजगार का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सरकारी नौकरियां हैं कि फाइलों से बाहर निकलने का नाम नहीं ले रहीं।
देहरादून, सोबन सिंह गुसाईं। प्रदेश के युवा लंबे समय से रोजगार का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सरकारी नौकरियां हैं कि फाइलों से बाहर निकलने का नाम नहीं ले रहीं। पहले 2019 को रोजगार वर्ष के तौर पर मनाने की सरकार की घोषणा से भर्ती खुलने का इंतजार था, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। अब 2020 शुरू हो चुका है, लेकिन विभागों में रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार की ओर से कोई कवायद नहीं हुई। नौकरी के इंतजार में कइयों की तो उम्र भी ढलने की कगार पर है। फिलहाल सरकार ने अब 2020 को रोजगार वर्ष के तौर पर मनाने की घोषणा की है। इससे नौकरी की तलाश में सड़कों की धूल फांक रहे नौजवानों की आंखों में एक बार फिर चमक आ गई है। इस उम्मीद में कि शायद इस बार भर्तियों का पिटारा खुले और बेरोजगारी के सागर में हिचकोले खा रही उनकी नैय्या पार हो जाए।
बिजली के निगमों में 'खेल'
बिजली के तीनों निगम इन दिनों सुर्खियों में हैं। वजह है आला अधिकारियों की ताजपोशी। दरअसल, जिस निगम में एमडी की तैनाती के लिए विज्ञप्ति निकाली गई थी, वहां पर नए एमडी की नियुक्ति अब तक नहीं की गई है। वहीं, दूसरी ओर एक अन्य निगम में एमडी बदल दिया गया है तो दूसरे में कार्यकारी एमडी नियुक्त किया गया है। यूपीसीएल, पिटकुल और यूजेवीएनएल के अधिकारियों व कर्मचारियों में इसको लेकर खूब चर्चा हो रही है। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की जुबां पर एक ही सवाल है कि आखिर ऊर्जा निगम में चल क्या रहा है? अधिकारियों की तैनाती को लेकर काफी दिनों से चर्चा चल रही थी कि किस अधिकारी को किस निगम का एमडी तैनात किया जाएगा। एक निगम में तो एमडी की तैनाती हो चुकी है जबकि दो निगमों में एमडी की तैनाती को लेकर चर्चाएं गरम हैं। अब शासन स्तर पर इसका निर्णय लिया जाएगा।
आखिर कब जागेगी हमारी किस्मत
मुख्यमंत्री ने बीते वर्ष नवंबर में विभिन्न निगमों में तैनात उपनल कर्मियों के मानदेय में 500 रुपये की बढ़ोत्तरी की थी। लेकिन, उपनल कर्मियों के बढ़े मानदेय का अब तक कोई अता-पता नहीं है। ऐसे में उपनल कर्मियों में यह चर्चा आम है कि सरकार की कर्मियों को यह कैसी सौगात? उपनल कर्मियों की मानें तो चतुर्थ श्रेणी से लेकर अधिकारी वर्ग तक उपनल के कार्मिक तैनात हैं। ऐसे में सरकार किस नीति के तहत चतुर्थ श्रेणी से अधिकारी वर्ग तक समान बढ़ोत्तरी दे सकती है। कर्मचारी दबी जुबान में कह रहे हैं कि यह सौगात केवल उपनल कर्मियों का मुंह बंद करवाने के लिए की गई है। क्योंकि, उपनलकर्मी वेतन बढ़ोत्तरी को लेकर लंबे समय से संघर्षरत हैं। सरकार की इस घोषणा से निचले वर्ग के कर्मचारियों में थोड़ी खुशी थी, लेकिन अधिकारी शुरू से खफा हैं। राज्य सरकार की यह सौगात उन्हें कतई रास नहीं आ रही है।
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कोरोना से हर तरफ खौफ
इन दिनों हर तरफ कोरोना वायरस की ही चर्चा है। खासकर अस्पतालों में। प्रदेश में भी लोग इससे खौफजदा हैं। आलम यह है कि इस वायरस के चलते अपने भी बेगानों जैसा व्यवहार करने को मजबूर हैं। इन दिनों जो भी शख्स चीन से अपने वतन लौटकर आ रहा है, रिश्तेदार तक उससे निश्चित दूरी बनाकर रख रहे हैं। इस आशंका में कि कहीं कोरोना उन्हें भी गिरफ्त में न ले ले। हालांकि, इस आशंका की कोई जायज वजह नहीं है। क्योंकि, इस वायरस को लेकर सरकारी तंत्र मुस्तैद है। चीन से स्वदेश लौट रहे हर व्यक्ति को डॉक्टरों की क्लीनचिट के बाद ही घर जाने दिया जा रहा है। हालांकि, एहतियात बरतना बेहद जरूरी है। लेकिन, लोगों की भावनाओं का ख्याल रखना भी उतना ही आवश्यक है। इसलिए गैर देश से आने वाले किसी भी अपने के साथ ऐसा व्यवहार न करें कि वह खुद को 'गैर' समझने लगे।
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