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स्वच्छता सर्वे में उत्तराखंड ने जीते सात पुरस्कार, पढ़िए पूरी खबर

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के स्वच्छता सर्वे में प्रदेश ने सात पुरस्कार जीते हैं। पुरस्कार जीतने वालों में उत्तरकाशी चमोली देहरादून हरिद्वार और नैनीताल जिले शामिल हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 09:59 AM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 09:59 AM (IST)
स्वच्छता सर्वे में उत्तराखंड ने जीते सात पुरस्कार, पढ़िए पूरी खबर
स्वच्छता सर्वे में उत्तराखंड ने जीते सात पुरस्कार, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के स्वच्छता सर्वे में प्रदेश ने सात पुरस्कार जीते हैं। पुरस्कार जीतने वालों में उत्तरकाशी, चमोली, देहरादून, हरिद्वार और नैनीताल जिले शामिल हैं। वहीं नमामि गंगे में उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रदेश ने श्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार पाया है।

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पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत देश के कई राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता सर्वे किया था। इस सर्वे में नमामि गंगे और एसडब्ल्यूएम के तहत किए जा रहे कार्यों की जांच की गई थी। इधर, जल शक्ति मंत्रालय ने सर्वे के बाद विजेताओं की सूची जारी की। इनमें प्रदेश में श्रेष्ठ राज्य समेत कुल सात पुरस्कार जीते हैं। ये पुरस्कार स्वच्छ आइकॉनिक स्थल, नमामि गंगे में श्रेष्ठ राज्य, जनपद एवं ग्राम, श्रेष्ठ गंगा ग्राम, महिला चैंपियन, समर इंटरशिप-2019 श्रेणी के हैं। सभी विजेताओं को शुक्रवार को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रपति सम्मानित करेंगे।

उदय राज सिंह (परियोजना निदेशक स्वजल, देहरादून) का कहना है कि सभी विजेताओं को बहुत शुभकामनाएं। प्रदेश को स्वच्छ राज्य बनाने के लिए आगे भी प्रयासरत रहेंगे।

 पुरस्कारों की सूची

- स्वच्छ आईकॉनिक स्थल : माणा गांव, चमोली

- नमामि गंगे श्रेष्ठ राज्य : उत्तराखंड

- नमामि गंगे श्रेष्ठ जनपद : उत्तरकाशी

- नमामि गंगे श्रेष्ठ ग्राम : अजीतपुर ग्राम, हरिद्वार

- श्रेष्ठ गंगा ग्राम : बगोरी ग्राम, उत्तरकाशी

- महिला चैंपियन : गीता मौर्या, सहसपुर, देहरादून

 इन्हें मिले पुरस्कार

82 शौचालय बनवा कर गीता बनी स्वच्छता चैंपियन -

गीता मौर्या निवासी सहसपुर का स्वयं सहायता समूह है। उनके ब्लॉक में खुले में शौच पर एक कार्यशाला हुई। तब उन्होंने खुले में शौच से होने वाले नुकसान के बारे में पता चला। इस पर उन्होंने खुले में शौच पर रोक लगाने की ठानी। उन्होंने खुद के गांव में 82 घरों में रात को 11-12 बजे तक जागकर शौचालय बनवाए।

 खुले में शौच मुक्त राज्य होने पर जीता पुरस्कार

उत्तराखंड राज्य खुले में शौच से मुक्त घोषित है। इससे नदियों में मल मूत्र नहीं जाता है। वहीं, नदी किनारे कपड़े धोने और पशु नहलाने पर भी पाबंदी है। सीवर ट्रीटमेंट, कूड़ा प्रबंधन पर भी काम हुआ। इस वजह से पांच राज्यों में प्रदेश को श्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार मिला।

कूड़ा प्रबंधन ने दिलाया नमामि गंगे श्रेष्ठ ग्राम पुरस्कार

हरिद्वार के अजीतपुर गांव में कूड़ा प्रबंधन और निस्तारण, शौचालय निर्माण, घरों से कूड़ा कलेक्शन बेहतरीन ढंग से किया जा रहा है। कूड़ा प्रबंधन में ग्रामीण भी चार्ज देकर अपनी सहभागिता निभाते हैं। स्वच्छता की अलख की वजह से अजीतपुर ने कई राज्यों के 44 गांवों को पछाड़कर यह पुरस्कार जीता है।

 50 घंटे श्रमदान ने दिलाया पहला स्थान

नैनीताल के शहीद सैनिक स्कूल ने 10 जून से 31 जुलाई तक आयोजित स्वच्छ भारत समर इंटरशिप फेस टू में 50 घंटे शिक्षकों और बच्चों ने श्रमदान कर सफाई की। साथ ही जनता को भी सफाई के प्रति जागरूक किया। सफाई के प्रति इस जुनून ने स्कूल को राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ भारत समर इंटरशिप-2019 के तहत पहला पुरस्कार दिलाया।

माणा को मिला पुरस्कार

देश का अंतिम गांव माणा में ग्रामीणों ने स्वच्छता को भी संस्कृति बना लिया। इस गांव हर साल हजारों सैलानी आने के बाद भी यहां कूड़ा प्रबंधन बेहतर ढंग से होता है। गांव में जगह-जगह कूड़ेदान लगे हैं। घर-घर से कूड़ा कलेक्शन, पृथकीकरण और प्रबंधन होता है। इस प्रबंधन ने गांव को स्वच्छता आइकॉनिक स्थल का पुरस्कार दिलवाया।  

जल संचयन से उत्तरकाशी बना श्रेष्ठ

उत्तरकाशी से ही गंगा और यमुना का उद्गम होता है। यहां नदियों के पुनरुद्धार, जल संरक्षण, बारिश के जल संचयन, पानी के रियूज, पौधरोपण, नदियों के कैचमेंट एरिया के संरक्षण आदि पर बेहतरीन ढंग से काम हुआ। वहीं जल स्रोतों के पुनर्जीवन पर भी काम हुआ। इन कामों ने उत्तरकाशी को नमामि गंगे में श्रेष्ठ जनपद का पुरस्कार दिलाया।

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नए जलाशय निर्माण ने बनाया श्रेष्ठ गंगा ग्राम

उत्तरकाशी के बगोरी में भूजल स्रोतों को रिचार्ज करने के लिए परंपरागत एवं नवीन तकनीकी का उपयोग, गाड़, गदेरों का पुनर्जीवन, नए जलाशय निर्माण, बारिश के जल संचयन और ग्रामीणों की क्षमता कौशल विकास पर बेहतरीन काम हुआ। इससे ग्रामीण पानी के संरक्षण के लिए जुड़े। इस जुड़ाव ने बगोरी को अन्य गांवों से अलग श्रेष्ठ गंगा ग्राम पुरस्कार दिलवाया।

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