उत्तराखंड को मिलेंगे 100 से ज्यादा विशेषज्ञ चिकित्सक, पढ़िए पूरी खबर
सरकार की मंशा कामयाब रही तो आने वाले समय में प्रदेश को 100 से ज्यादा विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध होंगे। इन चिकित्सकों की कमी देखते हुए तीन सरकारी मेडिकल कालेजों में पीजी की सीट बढ़ाने का निर्णय लिया जा चुका है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। सरकार की मंशा कामयाब रही तो आने वाले समय में प्रदेश को 100 से ज्यादा विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध होंगे। इन चिकित्सकों की कमी देखते हुए तीन सरकारी मेडिकल कालेजों में पीजी की सीट बढ़ाने का निर्णय लिया जा चुका है। सरकार के इस कदम से पर्वतीय क्षेत्रों में भी आम जन को विशेषज्ञ चिकित्सा मिलेगी। साथ में कालेजों में चिकित्सा सुविधाओं में भी इजाफा होगा।
कोरोना संकट काल में पर्वतीय क्षेत्रों में भी चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा हुआ है। तीन सरकारी मेडिकल कालेजों की वजह से चिकित्सकों की उपलब्धता भी बढ़ी तो है, लेकिन अब विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी सरकार को खल रही है। कोरोना की तीसरी लहर के अंदेशे को देखते हुए सरकार निजी क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं लेने जा रही है। अब सरकार ने इस समस्या के समाधान की राह भी तलाश की है। तीनों मेडिकल कालेजों में पीजी की सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
वर्तमान में श्रीनगर मेडिकल कालेज में 150, देहरादून मेडिकल कालेज में 200 और हल्द्वानी मेडिकल कालेज में 150 एमबीबीएस की सीटें हैं। अभी तक पीजी सीटें बढ़ाने को लेकर उदासीनता ज्यादा दिखाई गई। परिणाम ये रहा कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी दूर नहीं हो पा रही है। सरकार ने अहम कदम उठाते हुए तीनों मेडिकल कालेजों में पीजी सीट बढ़ाने का निर्णय किया है। इसके लिए 501 अतिरिक्त पद सृजित किए गए हैं। इनमें प्रोफेसर के 41 पद हैं।
दरअसल एक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की एक यूनिट पर पीजी की तीन सीटें मिलने की व्यवस्था है। प्रोफेसर के 41 अतिरिक्त पद सृजित किए जाने से करीब 123 पीजी की सीट बढ़ेंगी। पीजी सीट बढ़ने की वजह से मेडिकल कालेजों में स्वास्थ्य अवस्थापना सुविधाओं में इजाफा होना तय है। पीजी सीट के लिए मेडिकल कालेजोें के स्वास्थ्य ढांचे का विस्तार जरूरी हो गया है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा कि कालेजों में आइसीयू बेड, अन्य चिकित्सा उपकरण समेत तमाम जरूरी सुविधाएं जुटाने के बंदोबस्त किए जा रहे हैं। इसका फायदा आम जनता खासकर पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों में वंचित वर्गों को भी मिल सकेगा।
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