Move to Jagran APP

Uttarakhand Weather Update : अगले पांच दिन वर्षा के आसार नहीं, दिन-रात के तापमान में बढ़ा अंतर कर न दे बीमार

Uttarakhand Weather Update वहीं प्रदेश में नवंबर के दूसरे पखवाड़े में वर्षा न के बराबर हुई। जिससे मौसम शुष्क हो गया। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार प्रदेश में अगले पांच दिन वर्षा के कोई आसार नहीं हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraPublished: Mon, 28 Nov 2022 07:59 AM (IST)Updated: Mon, 28 Nov 2022 08:08 AM (IST)
Uttarakhand Weather Update : अगले पांच दिन वर्षा के आसार नहीं, दिन-रात के तापमान में बढ़ा अंतर कर न दे बीमार
Uttarakhand Weather Update : अगले पांच दिन वर्षा के आसार नहीं

जागरण संवाददाता, देहरादून : Uttarakhand Weather Update : मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिन मैदान में कुहासा और पहाड़ों में पाला दुश्वारियां बढ़ा सकता है। जबकि, सुबह-शाम ठंड और भी बढ़ने की संभावना है।

loksabha election banner

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, प्रदेश में अगले पांच दिन वर्षा के कोई आसार नहीं हैं। पिछले कई दिनों से वर्षा-बर्फबारी न होने के कारण नमी में गिरावट आई है। मौसम फिलहाल शुष्क बना रहेगा।

नवंबर के दूसरे पखवाड़े में वर्षा न के बराबर

वहीं प्रदेश में नवंबर के दूसरे पखवाड़े में वर्षा न के बराबर हुई। जिससे मौसम शुष्क हो गया। चटख धूप खिलने से दिन में ठंड से राहत है, लेकिन सुबह-शाम ठिठुरन बढ़ गई है। दिन और रात के तापमान में 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक का अंतर आ गया है। जिससे बच्चों और बुजुर्गों के बीमार होने की चिंता बढ़ गई है।

बच्चों और बुजुर्गों के लिए सलाह

  • वरिष्ठ फिजिशियन डा. प्रवीण पंवार के मुताबिक यह मौसम सर्दी व फ्लू के प्रसार के लिए अनुकूल है।
  • बच्चे और बुजुर्ग बीमार पड़ सकते हैं।
  • बच्चे और बुजुर्ग गर्म कपड़े पहनें।
  • मफलर और टोपी का प्रयोग करें।
  • कोल्ड ड्रिंक व आइसक्रीम आदि के सेवन से बचें।
  • गुनगुना पानी पिएं।
  • खानपान का विशेष ध्यान दें।

पीछे खिसक रहे मिलम ग्लेशियर में बढ़ रहा मलबा

बढ़ते तापमान की वजह से हिमालय के ग्लेशियरों का आकार बदल रहा है। यहां तक कि ग्लेशियर बर्फ का द्रव्यमान भी खो रहा है। 2015 के बाद पिथौरागढ़ जिले के मिलम ग्लेशियर के सतह पर मलबे की दर लगातार बढ़ रही है।

सालाना मिलम ग्लेशियर में 3.6 प्रतिशत मलबा आ रहा है। मिलम ग्लेशियर की 1972 से 2018 तक सालाना पीछे खिसकने की दर बढ़ रही है। कुमाऊं विवि डीएसबी परिसर भूगोल विभाग के प्रो.आरसी जोशी के निर्देशन में शोध कर रहे मासूम रजा ने इंटरनेशनल जियोग्राफिकल यूनियन की ओर से केंद्रीय विवि हरियाणा में आयोजित आइजीयू कान्फ्रेंस में मिलम ग्लेशियर पर ताजा शोध पत्र पेश किया है।

यह भी पढ़ें - Uttarakhand Weather Update : कुमाऊं में तीन डिग्री से नीचे उतरा पारा, तराई में भी पारे की चाल मंद

इस शोध को अपने समूह में बेस्ट पेपर अवार्ड प्रदान किया गया है। शोध के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही ग्लेशियर को प्रभावित करने वाले अन्य कारण भी हैं।

आप्टिकल एंड रडार रिमोट सेसिंग डेटा व फील्ड विजिट के अध्ययन से पता चला कि बोल्डर व रेता-कंकड़ आदि के मलबे के कारण ग्लेशियर की ऊंचाई कम हो रही है। 2007 से इसकी सतह कम होने की दर सवा दो मीटर तक घट गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.