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बारिश के 'मार्च' से गन्ने की 'मिठास' पर फिरा पानी, किसान मायूस

उत्तराखंड में मौसम के बिगड़े तेवर इस बार फसलों के लिए नासूर बनते नजर आ रहे हैं। गेहूं सरसों दलहन और सब्जियों पर तो मौसम की मार पड़ ही रही है। अब गन्ना भी इससे अछूता नहीं रहा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 01:39 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 01:39 PM (IST)
बारिश के 'मार्च' से गन्ने की 'मिठास' पर फिरा पानी, किसान मायूस
बारिश के 'मार्च' से गन्ने की 'मिठास' पर फिरा पानी, किसान मायूस

देहरादून, जेएनएन। मौसम के बिगड़े तेवर इस बार फसलों के लिए नासूर बनते नजर आ रहे हैं। गेहूं, सरसों, दलहन और सब्जियों पर तो मौसम की मार पड़ ही रही है। अब गन्ना भी इससे अछूता नहीं रहा। बारिश ने न सिर्फ गन्ने की बुआई को आगे सरका दिया है, बल्कि गन्ने की गुणवत्ता पर भी असर पड़ने की आशंका है। 

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दरअसल, दून के तराई क्षेत्र में गन्ने का अच्छा खासा रकबा है। रायवाला, डोईवाला, सहसपुर और विकासनगर में तकरीबन साढ़े चार हजार हेक्टेयर भूमि में गन्ने की खेती की जाती है। इसमें भी करीब 65 फीसद भूमि पर गन्ने की बुआई वसंत ऋतु में होती है। इस ऋतु में 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच का समय गन्ने की बुआई के लिए मुफीद माना जाता है, लेकिन मार्च की शुरुआत से ही हो रही बारिश ने इस बार गन्ना किसानों का गणित बिगाड़ दिया।

इस समय खेतों में लबालब पानी भरा हुआ है, जिसमें बुआई संभव नहीं। इन हालात में किसानों के साथ ही विज्ञानी भी गन्ने की फसल को नुकसान का अंदेशा जता रहे हैं। पहले ही चीनी मिलों से गन्ने का भुगतान न होने से परेशान किसानों के लिए नई फसल दोहरी चिंता का विषय बन गई है। किसानों के अनुसार समय पर गन्ने की बुआई से डेढ़ गुना तक अधिक पैदावार होती है।  

दून में होता है गन्ने की इन प्रजातियों का उत्पादन 

दून में गन्ने की उत्तम प्रजातियों की खेती की जाती है। जिसमें 0238 कोसा, 0239 कोसा, 88230 कोसा, 8272 कोसा, पंत 3220 कोसा, एच 160 और को एच, 167 कोसा, 97222, पंत 5011 आदि प्रजातियां शामिल हैं। प्रति हेक्टेयर 50 से 60 कुंतल बीज की आवश्यकता होती है। 

नमी से कीड़े लगने का भी खतरा 

खेतों में अधिक नमी होने से गन्ने की फसल में विभिन्न प्रकार के कीड़े और रोग लगने की संभावना रहती है। दीमक जड़, सुंडी, चींटी जड़, बेधक अगेता, तना बेधक आदि का खतरा ज्यादा रहता है। 

नुकसान के आकलन को सर्वे शुरू 

कृषि विभाग ने बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान के लिए सर्वे शुरू कर दिया है। कृषि निदेशक गौरी शंकर ने बताया कि सर्वे की रिपोर्ट आने में दो से तीन दिन लगेंगे। उन्होंने आशंका जताई कि ओलावृष्टि से गेहूं, मटर, चना, सरसों के अलावा सब्जियों की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है। 

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भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान प्रधान वैज्ञानिक डॉ. डीवी सिंह ने बताया कि इन दिनों अधिक बारिश से समतल भूमि पर होने वाली खेती को नुकसान पहुंचता है। यह गन्ने की बुआई का समय है। लेकिन, खेतों में पानी भर जाने से बुआई में विलंब होगा। साथ ही गन्ने की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। गेहूं और सरसों की फसल के लिए भी यह बारिश काल है। 

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