Uttarakhand Weather: उत्तराखंड से 10 अक्टूबर तक विदा हो सकता है मानसून, इससे पहले भारी बारिश की चेतावनी
Uttarakhand Weather उत्तराखंड से 10 अक्टूबर तक मानसून विदा हो सकता है। इससे पहले 5 अक्टूबर के बाद भारी बारिश की चेतावानी है। इस बारिश के एक-दो दौर हो सकते हैं। बता दें कि इस बार मानसून देर से आया था।
जागरण संवाददाता, देहरादून: Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में वर्षा का क्रम कुछ धीमा जरूर पड़ा है, लेकिन अभी मानसून के विदा होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। प्रदेश से 10 अक्टूबर के आसपास मानसून लौट सकता है। इससे पहले पांच अक्टूबर के बाद भारी वर्षा के एक-दो दौर हो सकते हैं। इस बार प्रदेश में मानसून ने दस्तक भी विलंब से ही दी थी।
बागेश्वर व चमोली जिलों में हुई सर्वाधिक वर्षा
इस बार 29 जून को उत्तराखंड में मानसून पहुंचा। जिसके बाद से ही वर्षा के क्रम में उतार-चढ़ाव बना रहा। शुरुआती दिनों में मानसून कमजोर रहा, लेकिन, सितंबर अंत तक प्रदेशभर में डेढ़ गुना वर्षा दर्ज की गई। जिससे सीजनल वर्षा सामान्य के आंकड़े पर पहुंच गई है। इसमें भी बागेश्वर व चमोली जिलों में सर्वाधिक वर्षा और पौड़ी व हरिद्वार में सबसे कर्म वर्षा हुई।
कहीं-कहीं बौछारें पड़ने के आसार
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, प्रदेश में मानसून कुछ कमजोर पड़ा है। अगले चार दिन प्रदेश में कहीं-कहीं हल्की बौछारें पड़ने के आसार हैं। ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम शुष्क रह सकता है। पांच अक्टूबर के बाद मौसम एक बार फिर करवट बदल सकता है।
10 अक्टूबर के आसपास मानसून हो सकता विदा
सात और आठ अक्टूबर को कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है। इसके बाद मानसून की विदाई शुरू होने की उम्मीद है। 10 अक्टूबर के आसपास मानसून उत्तराखंड से जा सकता है। बता दें, दिल्ली, पंचाब, चंडीगढ़ से मानसून लौट चुका है और हिमाचल, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों से भी विदाई शुरू हो चुकी है।
साइक्लोनिक सर्कुलेशन के कारण मानसून की विदाई में हो रही देरी
मौसम विभाग की भाषा में एक जून से 30 सितंबर तक की अवधि को मानसून सीजन कहा जाता है। जबकि, दक्षिण-पश्चिम मानसून के दस्तक देने से विदाई तक के अंतराल में होने वाली वर्षा मानसून की वर्षा मानी जाती है।
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, सामान्यत: उत्तराखंड में 30 सितंबर से पांच अक्टूबर तक मानसून विदा हो जाता है, लेकिन इस बार राजस्थान और आसपास के इलाकों में निम्न दबाव क्षेत्र और साइक्लोनिक सर्कुलेशन के कारण मानसून की विदाई में देर हुई।
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