राज्य निर्माण सेनानी मंच और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की
सचिवालय कूच करने जा रहे उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी मंच को पुलिस ने सुभाष रोड पर रोक दिया। इस दौरान मंच और पुलिस के बीच खूब धक्का-मुक्की हुई।
देहरादून, [जेएनएन]: सचिवालय कूच करने जा रहे उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी मंच को पुलिस ने सुभाष रोड पर रोक दिया। इस दौरान मंच और पुलिस के बीच खूब धक्का-मुक्की हुई। मंच की महिला सदस्यों ने बैरीकेडिंग को तोड़ते हुए जबरन आगे बढऩे की कोशिश की। मामला बिगड़ता देख मौके पर शहरभर के थानेदार और पुलिस फोर्स सक्रिय हो गई। हालांकि, छह घंटे बाद सिटी मजिस्ट्रेट के साथ हुई वार्ता पर मंच के सदस्य मान गए।
उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी मंच पिछले 190 दिनों से शहीद स्थल पर धरना दे रहा है। साथ ही 74 दिनों से क्रमिक धरना भी चल रहा था। मगर उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई न होने से मंच में आक्रोश व्याप्त है। शुक्रवार को तय कार्यक्रम के अनुसार सेनानी मंच की सैकड़ों महिलाएं सचिवालय कूच करने निकलीं।
शहीद स्थल से सेंट जोजफ्स ऐकेडमी तक जाने के बाद पुलिस ने सुभाष रोड पर उन्हें रोक दिया। यहां बैरीकेडिंग के पास ही मंच की महिलाओं ने नारेबाजी कर सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया। इस दौरान मंच की महिलाओं ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की कर बैरियर तोडऩे की कोशिश की।
बैरियर का आधा हिस्सा तोड़े जाने के बाद सीओ सिटी चंद्रमोहन सिंह ने क्लेमनटाउन से लेकर राजपुर क्षेत्र के थानेदारों को बुलाते हुए सुरक्षा पुख्ता कर दी। यहां करीब छह घंटे तक महिलाएं शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करती रहीं। बाद में तहसीलदार ने मंच के केंद्रीय अध्यक्ष नंदावल्लभ पांडेय, मुकेश चंदोला, उर्मिला देवी, सुशीला, दीपा आदि को तहसीलदार ने सिटी मजिस्ट्रेट के पास वार्ता के लिए बुलाया।
जहां सिटी मजिस्ट्रेट मनुज गोयल ने गैरसैंण विधानसभा सत्र के बाद उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई का भरोसा दिया है। इसके बाद महिलाओं ने धरना-प्रदर्शन समाप्त कर दिया। इस मौके पर स्वर्णलता रावत, पीएस भंडारी, आरके शर्मा, अनीता रावत, वीरेंद्र सिंह रावत, एसएस पंवार समेत अन्य मौजूद रहे।
सेनानी मंच की प्रमुख मांगें-
-राज्य आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण 2008 के अनुरूप किया जाए।
-पूरे राज्य में आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाए।
-रामपुर तिराहे के दोषियों को सजा दिलाने को मजबूत पैरवी की जाए।
-आंदोलनकारी को निर्माण सेनानी का दर्जा दिया जाए।
-सेनानियों के आश्रितों को रोजगार दिया जाए।
-सीमावर्ती जिलों से पलायन रोकने को प्रयास किए जाएं।
-शहीद स्मारकों का निर्माण एवं आश्रितों को दर्जा दिया जाए।
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