केदार दत्त, देहरादून: Uttarakhand News: प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के लिए राज्य में निर्जन हो चुके 1702 गांव उम्मीद की किरण बन सकते हैं।
प्रभावितों के पुनर्वास को इन गांवों की भूमि को उपयोग में लाया जा सकता है। इससे जहां निर्जन गांव आबाद होंगे, वहीं पुनर्वास के लिए भूमि उपलब्ध न होने की समस्या से जूझ रहे तंत्र को राहत मिलेगी।
ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के उपाध्यक्ष डा. एसएस नेगी के अनुसार आपदा प्रभावितों के पुनर्वास को यह एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इस पर भी विचार किया जाना चाहिए।
गांवों की संख्या बढ़ती जा रही आपदा की दृष्टि से संवेदनशील
यह किसी से छिपा नहीं है कि समूचा उत्तराखंड साल-दर-साल अतिवृष्टि, भूस्खलन, भूकटाव, भूधंसाव, भूकंप जैसी आपदाओं से जूझता आ रहा है। इस परिदृश्य के बीच ऐसे गांवों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो आपदा की दृष्टि से संवेदनशील हैं।
तमाम गांवों में भवन में दरारें अथवा बुनियाद हिलने से खतरा बना हुआ है। इन आपदा प्रभावित गांवों का पुनर्वास किया जाना है और वर्तमान में इनकी संख्या चार सौ का आंकड़ा पार कर चुकी है।
यद्यपि, सरकार ने पुनर्वास की दिशा में कदम उठाए हैं और वह इस मुहिम को गति देना चाहती है, लेकिन भूमि की अनुपलब्धता एक बड़ा रोड़ा बनी हुई है। इसका एक बड़ा कारण है राज्य में पुनर्वास के लिए लैंड बैंक का न होना।
अब शासन ने पुनर्वासित किए जाने वाले 32 गांवों के 148 परिवारों के लिए संबंधित जिलाधिकारियों से भूमि चयनित करने कहा है। इस स्थिति के बीच अब यह बात भी उठ रही है कि राज्य में पलायन के कारण निर्जन हो चुके 1702 गांवों की भूमि का उपयोग आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के लिए किया जा सकता है। निर्जन हो चुके तमाम गांवों तक सड़क आदि की सुविधाएं पहले से ही उपलब्ध हैं।
यदि वहां प्रभावितों का पुनर्वास किया जाता है तो ये गांव फिर से आबाद तो होंगे ही, जंगल की शक्ल अख्तियार कर रहे खेतों में फसलें भी लहलहाएंगी। ऐसे में पुनर्वास के लिए भूमि की कमी भी दूर हो जाएगी।
ये बात अलग है कि निर्जन हो चुके गांवों में जिन व्यक्तियों की भूमि व भवन हैं, उन्हें इसके लिए राजी करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। जानकारों के अनुसार यह चुनौती ऐसी नहीं, जिससे पार न पाया जा सके। आपसी सहमति और संबंधित परिवारों को समुचित मुआवजा या फिर भूमि अधिग्रहण के विकल्पों के आधार पर इस दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।
प्रदेश में निर्जन गांव
- जिला, संख्या
- पौड़ी, 517
- अल्मोड़ा, 162
- बागेश्वर, 147
- टिहरी, 142
- हरिद्वार, 120
- चंपावत, 108
- चमोली, 106
- पिथौरागढ़, 98
- रुद्रप्रयाग, 93
- उत्तरकाशी, 83
- नैनीताल, 66
- ऊधमसिंह नगर, 33
- देहरादून, 27