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22 बिल्डरों की कटी आरसी, 100 लाइन में; पढ़िए पूरी खबर Dehradun News

बेशक उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) अपनी तरफ से निवेशकों के हक में आदेश जारी कर रही है मगर उसका बिल्डरों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा। रेरा की ताजा रिपोर्ट स्वयं इ

By Edited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 03:46 PM (IST)
22 बिल्डरों की कटी आरसी, 100 लाइन में; पढ़िए पूरी खबर Dehradun News
22 बिल्डरों की कटी आरसी, 100 लाइन में; पढ़िए पूरी खबर Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। बेशक उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) अपनी तरफ से निवेशकों के हक में आदेश जारी कर रही है, मगर उसका बिल्डरों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा। रेरा की ताजा रिपोर्ट स्वयं इसकी तस्दीक कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक रेरा में अब तक बिल्डरों के समय पर कब्जा न देने के खिलाफ 475 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। इसमें से 322 शिकायतों का निस्तारण भी किया जा चुका है।

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176 मामलों में रेरा ने बिल्डरों को निवेशकों की धनराशि वापस करने के आदेश जारी किए हैं, जबकि 76 मामलों में विलंब से कब्जा देने पर जुर्माना भी लगाया है। स्थिति यह है कि बिल्डरों के निवेशकों की धनराशि वापस न करने और जुर्माना न भरने पर रेरा 22 प्रकरण में उनकी आरसी काटने का पत्र प्रशासन को जारी कर चुका है। दूसरी तरफ 100 और मामलों में बिल्डरों की आरसी काटने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

रेरा की यह कार्रवाई बताती है कि बिल्डर किस तरह आदेश की नाफरमानी कर रहे हैं। इस रिपोर्ट को उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के अध्यक्ष विष्णु कुमार तीन और चार नवंबर को लखनऊ में होने वाली पहले राष्ट्रीय रेरा कॉन्क्लेव में भी रखेंगे। ताकि निवेशकों का हक दबाए बैठे बिल्डरों पर कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम उठाए जा सकें। 

5.21 करोड़ रुपये की आरसी कटी, जमा सिर्फ 34 लाख 
जिन 22 बिल्डरों के आरसी काटने के आदेश जारी किए गए हैं, उनमें प्रशासन से 5.21 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा गया है। इसके बाद भी अब तक महज 34 लाख रुपये की ही रिकवरी संभव हो पाई है। इसी तरह जो 100 मामलों में आरसी काटने की तैयारी की जा रही है, उनमें यह राशि और अधिक बैठ रही है। महज 37 मामलों में हो पाया समझौता रेरा ने जिन 322 प्रकरणों का निस्तारण किया है, उनमें सिर्फ 37 मामलों में ही बिल्डर व निवेशकों के बीच समझौता हो पाया है। दूसरी तरफ 31 ऐसी शिकायतों को निरस्त किया गया, जिनमें शिकायतकर्ताओं की ओर से पैरवी नहीं की गई। 
डेढ़ साल में सिर्फ 57 परियोजनाएं पंजीकृत वैसे तो रियल एस्टेट (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट मई 2017 से प्रभावी हो गया था, लेकिन उत्तराखंड में रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी मार्च 2018 में अस्तित्व में आ पाई। इससे पहले उत्तराखंड आवास और नगर विकास प्राधिकरण (उडा) रेरा सचिवालय के रूप में काम कर रहा था। रेरा के गठन से पहले 205 बिल्डर परियोजनाओं का पंजीकरण करा लिया गया था। जबकि इसके डेढ़ साल बाद यानी अब तक सिर्फ 57 ही कई परियोजनाओं का पंजीकरण हो पाया। इस धीमी प्रगति को लेकर पूर्व में मुख्य सचिव भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।

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