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उत्तराखंड: रेरा कर रहा खरीदारों के हितों की अनदेखी, जिस जमीन का स्वामित्व पुष्ट नहीं, उसका कर दिया पंजीकरण

राजपुर रोड पर आवासीय परियोजना सिक्का किंगस्टन ग्रीन्स के पंजीकरण मामले में ट्रिब्यूनल ने पाया कि रेरा ने बिना जमीन के स्वामित्व की पुष्टि के परियोजना का पंजीकरण कर दिया। जब इस मामले में जमीन को अपना बताने वाले पक्षकार ने शिकायत की तो जानें रेरा ने क्या किया।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 12:02 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 12:02 PM (IST)
उत्तराखंड: रेरा कर रहा खरीदारों के हितों की अनदेखी, जिस जमीन का स्वामित्व पुष्ट नहीं, उसका कर दिया पंजीकरण
उत्तराखंड: रेरा कर रहा हितों की अनदेखी, जिस जमीन का स्वामित्व पुष्ट नहीं।

सुमन सेमवाल, देहरादून। जिस रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) का गठन संपत्ति के खरीदारों के हितों की रक्षा करने के लिए किया गया है, वही उनके हितों की अनदेखी कर रहा है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि यह कहा है उत्तराखंड रियल एस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल ने। राजपुर रोड पर आवासीय परियोजना सिक्का किंगस्टन ग्रीन्स के पंजीकरण मामले में ट्रिब्यूनल ने पाया कि रेरा ने बिना जमीन के स्वामित्व की पुष्टि के परियोजना का पंजीकरण कर दिया। जब इस मामले में जमीन को अपना बताने वाले पक्षकार ने शिकायत की तो रेरा ने बिना उचित कारण के उसे खारिज कर दिया।

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उत्तराखंड रियल एस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल के आदेश के मुताबिक दुर्गा रानी अरोड़ा ने परियोजना के पंजीकरण वाली भूमि को अपना बताया है। इसको लेकर पूर्व में उन्होंने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) में शिकायत कर पंजीकरण निरस्त करने की मांग की थी। रेरा ने यह कहकर शिकायत खारिज कर दी कि यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है और शिकायतकर्त्ता को सिविल कोर्ट या राजस्व कोर्ट जाने की सलाह दे डाली।

इसके बाद दुर्गा रानी अरोड़ा ने रेरा के आदेश के खिलाफ ट्रिब्यूनल में अपील की। अपील की सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष यूसी ध्यानी व सदस्य राजीव गुप्ता ने रेरा के आदेश को उपयुक्त नहीं माना। पीठ ने रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट 2016 की विभिन्न धाराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि बिना स्वामित्व पुष्टि के पंजीकरण को निरस्त किया जाना चाहिए। इसके साथ ही रेरा स्वामित्व की पुष्टि को लेकर जांच कराने में भी सक्षम है। वहीं, कहा कि शिकायतकर्त्ता पीड़ित व्यक्ति हैं और उनकी शिकायत को इस तरह अनुचित ढंग से खारिज नहीं किया जा सकता।

रियल एस्टेट ट्रिब्यूनल के समक्ष इस तरह के तथ्य भी आए, जिसमें राजस्व अधिकारियों ने स्पष्ट किया था कि संबंधित जमीन आवासीय परियोजना के प्रमोटर व साझीदार के नाम पर नहीं है। लिहाजा, रियल एस्टेट ट्रिब्यूनल ने रेरा को आदेश दिए कि वह दोबारा शिकायत पर सुनवाई करें व आवश्यक जांच भी की जाए। उसी के मुताबिक शिकायत का निस्तारण भी किया जाए। क्योंकि यहां पर निवेशकों के हित भी प्रभावित हो सकते हैं।

वकील की रिपोर्ट पर रेरा ने लिया निर्णय

रियल एस्टेट ट्रिब्यूनल ने रेरा के इस कदम को भी अनुचित माना कि महज एक वकील की रिपोर्ट के आधार पर रेरा ने तय कर लिया कि यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है। दरअसल, स्वामित्व को स्पष्ट करने के लिए वकील ने 10 साल की अभिलेखीय जांच का भार बंधनमुक्त (नान-इंकंबरेंसेस) प्रमाण पत्र जारी किया था। ट्रिब्यूनल में प्रमाण पत्र की महज 10 वर्ष की अवधि पर भी सवाल खड़े किए हैं।

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