सत्ता के गलियारे से : भईया मेरे राखी के बंधन को निभाना
Uttarakhand Politics रिश्तों पर वर्षों से जमी बर्फ पिघलाकर नई राजनीतिक परिभाषा गढऩे की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण की पहल ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। उत्तराखंड की महिला सशक्तीकरण मंत्री रेखा आर्या ने निराश्रित बच्चों के साथ इस पवित्र त्योहार में रंग भरे।
विकास धूलिया, देहरादून: Uttarakhand Politics : इस सप्ताह रक्षाबंधन पर्व का रंग राजनीति के गलियारों में भी बिखरा नजर आया। कई आयोजन सुर्खियां बने, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी दून पहुंची, तो उत्तराखंड की महिला सशक्तीकरण मंत्री रेखा आर्या ने निराश्रित बच्चों के साथ इस पवित्र त्योहार में रंग भरे।
इन सबसे हटकर रिश्तों पर वर्षों से जमी बर्फ पिघलाकर नई राजनीतिक परिभाषा गढऩे की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण की पहल ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।
ऋतु पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की पुत्री हैं। उन्होंने एक और भाजपाई दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के घर जाकर रक्षासूत्र उनकी कलाई पर बांधा।
निशंक भी इससे काफी भावुक नजर आए। दरअसल, भुवन चंद्र खंडूड़ी और निशंक के राजनीतिक रिश्तों को लेकर तब तमाम तरह की चर्चाएं रही थीं, जब दोनों ने एक-दूसरे को अपदस्थ कर मुख्यमंत्री का पद संभाला था। अब रिश्तों में आई यह गर्माहट सबको प्रभावित कर रही है।
नई भूमिका में सुपर एक्टिव हैं आर्य
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य अपनी नई भूमिका में सुपर एक्टिव नजर आ रहे हैं। कम से कम मीडिया में किस तरह जगह बनानी है, इसे लेकर पिछले 22 वर्ष में आर्य इतने सक्रिय कभी नहीं रहे।
वह पहली निर्वाचित विधानसभा में स्पीकर थे, तो विजय बहुगुणा और हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकारों में कैबिनेट के अहम सदस्य रहे।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में गए तो सत्ता में आने पर त्रिवेंद्र सरकार में मंत्री बने। फिर तीरथ व धामी ने भी इन्हें कैबिनेट में शामिल किया। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले घर वापसी कर कांग्रेस में लौट गए तो नेता विधायक दल बन गए।
इन महत्वपूर्ण दायित्वों के बावजूद इस बार आर्य सबसे अधिक सक्रिय हैं तो इसके पीछे उनके पुत्र संजीव आर्य हैं। संजीव विधायक रह चुके हैं, इस बार पराजित हो गए। अब अपने पिता का राजनीतिक प्रबंधन संभाल रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के लिए अब चम्पावत माडल
अभी लोकसभा चुनाव को लगभग डेढ़ वर्ष का समय है, लेकिन भाजपा पूरी तरह से तैयारी में जुट गई है। लक्ष्य यही कि लगातार तीसरे चुनावों में सभी पांचों सीटों पर जीत का परचम फहराना।
महत्वपूर्ण यह कि भाजपा ने चुनाव प्रबंधन के लिए अब चम्पावत माडल अपनाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चम्पावत विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ा था और 93 प्रतिशत से अधिक मतों के साथ विजय प्राप्त की।
संगठन ने इस उपचुनाव में बूथ प्रबंधन पर पूरा ध्यान केंद्रित किया और एक बूथ की जिम्मेदारी कई कार्यकत्र्ताओं को सौंपी। अब भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए सभी 70 विधानसभा सीटों पर यही रणनीति अमल में लाने की तैयारी कर रही है।
हाल ही में केंद्रीय नेतृत्व से विमर्श कर लौटे प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि भविष्य के लिए पार्टी चम्पावत माडल का अनुसरण कर ही अपनी चुनावी तैयारी कर रही है।
गोलमाल है भई, यहां सब गोलमाल है
सरकारी नौकरियों की भर्ती में धांधली को लेकर एक बार फिर उत्तराखंड चर्चा में है। राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की एक भर्ती परीक्षा की जांच एसआइटी को क्या मिली, एक के बाद एक परतें उतरनी शुरू हो गईं।
डेढ़ दर्जन गिरफ्तारी हो चुकी हैं अब तक। आयोग के अध्यक्ष को इस्तीफा देना पड़ा और सचिव को पद से हटाकर वापस सचिवालय भेज दिया गया। अब सरकार को घेरने का अवसर भला विपक्ष कैसे चूकता, तो कांग्रेस के ताबड़तोड़ हमले जारी हैं।
निर्वाचित जनप्रतिनिधियों तक को घोटाले की आंच झुलसा चुकी है। अगर जांच इसी तरह सही दिशा में आगे बढ़ती रही तो इसमें कई चौंकाने वाले नाम भी सामने आ सकते हैं।
वैसे, भर्ती घोटोला उत्तराखंड के लिए कोई नई बात नहीं हैं। राज्य की पहली निर्वाचित सरकार के समय पटवारी भर्ती घोटाले और फिर पुलिस भर्ती घोटाले ने तब राजनीति के गलियारों में खासी हलचल पैदा की थी।