उत्तराखंड : चुनाव प्रबंधन मजबूत करने की कांग्रेस की रणनीति, सुझावों पर किया जाएगा अमल
Uttarakhand Politics News उत्तराखंड कांग्रेस की चुनाव प्रबंधन मजबूत करने की रणनीति है। दो दिनी कार्यशाला में उदयपुर चिंतन शिविर के सुझावों पर अमल किया जाएगा। इस कार्यशाला में चुनाव प्रबंधन को बेहतर बनाने पर जोर दिया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उदयपुर चिंतन के बाद प्रदेश में कांग्रेस का स्वरूप बदलने की तैयारी है। विशेष रूप से चुनाव प्रबंधन के मोर्चे पर प्रदेश में भाजपा से पार पाने में कांग्रेस को सफलता नहीं मिल रही है। इससे निपटने के लिए आगामी एक व दो जून को प्रदेश कांग्रेस कमेटी रणनीति तैयार करेगी।
कांग्रेस उदयपुर चिंतन शिविर से प्राप्त सुझावों को अमल में लाने में देरी नहीं करना चाहती। इसीलिए इन सुझावों पर अमल के लिए प्रदेशों को तेजी से काम करने को कहा गया है। इस कड़ी में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने आगामी एक व दो जून को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कार्यशाला बुलाई है।
दो दिनी कार्यशाला में प्रदेश में पार्टी संगठन को मजबूत करने और चुनाव प्रबंधन को बेहतर बनाने पर जोर दिया जाएगा। दरअसल, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने पार्टी में जोश भरने और युवाओं को अधिक संख्या में जोड़ने का निर्णय लिया है। 50 साल से कम आयु वालों के लिए 50 प्रतिशत पद संगठन में आरक्षित करने का निर्णय इसी कारण लिया गया है।
पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2024 का आम चुनाव है। साथ ही प्रदेश में शहरी निकाय, सहकारिता और पंचायत के चुनाव भी होने हैं। पार्टी इन सभी चुनावों में अपने प्रदर्शन में सुधार चाहती है।
इसके लिए चुनाव प्रबंधन, प्रशिक्षण और निरीक्षण के लिए तीन नए विभाग बनाए जाने हैं। कार्यशाला में इसे लेकर अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीति भी तय की जा सकती है। चुनाव प्रबंधन से अब आम कार्यकर्त्ता को भी जोड़ा जाएगा।
अभी तक चुनाव प्रबंधन पर प्रदेश से बाहर और अन्य प्रदेशों से पार्टी नेताओं को जिम्मेदारी दी जाती रही है। अब स्थानीय स्तर पर प्रदेश, जिला और बूथ स्तरीय कार्यकर्त्ता को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि चुनाव में पार्टी अपने प्रदर्शन को सुधार सके।
प्रदेश में कमजोर वर्ग में जनाधार बढ़ाने के लिए पार्टी नए सिरे से ठोस काम करना चाहती है। इन वर्गों में नेतृत्व विकास पर जोर दिया जाएगा। अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के मुद्दों पर पार्टी मुखर रहेगी।
साथ ही पार्टी संगठन में इनका प्रतिनिधित्व बढ़ाने की तैयारी भी है। राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देशों के पालन के लिहाज से दो दिनी कार्यशाला को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।