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Uttarakhand Politics : कांग्रेस में दिग्गजों के बीच एक बार फिर वार-पलटवार, हरीश और प्रीतम चुनाव में हार को लेकर आमने-सामने

विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी हार ने कांग्रेस की सत्ता से दूरी को लंबा कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह आमने-सामने आ गए हैं। हरीश रावत ने कहा कि चुनाव परिणाम के बाद प्रीतम सामूहिक जिम्मेदारी पर मौन हैं।

By Nirmala BohraEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 09:42 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2022 09:42 AM (IST)
Uttarakhand Politics : कांग्रेस में दिग्गजों के बीच एक बार फिर वार-पलटवार, हरीश और प्रीतम चुनाव में हार को लेकर आमने-सामने
हरीश और प्रीतम चुनाव में हार को लेकर आमने-सामने

राज्य ब्यूरो, देहरादून : Uttarakhand Politics : कांग्रेस में दिग्गजों के बीच एक बार फिर वार-पलटवार का सिलसिला जोर पकड़ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह आमने-सामने आ गए हैं।

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पांचवीं विधानसभा के चुनाव में हार के लिए बार-बार ठीकरा फोड़े जाने से नाराज हरीश रावत ने प्रीतम सिंह को निशाने पर लेते हुए कहा कि चुनाव में सामूहिक नेतृत्व पर जोर देने वाले चुनाव परिणाम के बाद सामूहिक जिम्मेदारी पर मौन हैं। वह जिन संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़े, वहां पार्टी का प्रदर्शन सुधरा है। अन्य लोग भी बताएं कि उन्होंने कितने उम्मीदवारों को जिताया है। जवाबी प्रहार में प्रीतम सिंह बोले, 19 विधायक किसी नेता नहीं, बल्कि कांग्रेस की वजह से चुनकर आए। वर्ष 2017 में विधायक संख्या 11 पर अटक गई थी।

विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी हार ने कांग्रेस की सत्ता से दूरी को लंबा कर दिया है। इसे लेकर पार्टी क्षत्रपों का दुख जब-तब सामने आता रहता है। इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हार को लेकर उन्हें निशाना बनाने वालों पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जब शादी-विवाह में भी जा रहे हैं तो हरीश रावत पर पार्टी को हराने का ठीकरा फोड़ते हैं। वे सोचते हैं कि हरीश रावत के बगैर उन्हें दुनिया की दौलत और पद मिल जाते। ऐसे व्यक्तियों को बताना चाहिए कि उन्होंने किस कांग्रेस उम्मीदवार को जिताया।

जहां संसदीय चुनाव लड़ा, पार्टी की स्थिति बेहतर: हरीश रावत

उन्होंने कहा कि वह अल्मोड़ा और हरिद्वार से सांसद रहे। ऊधमसिंह नगर से लोकसभा का चुनाव लड़ा, तीनों संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस ने भाजपा को टक्कर दी। जहां चुनाव हारे, तुलनात्मक रूप से अच्छी टक्कर देकर हारे। जिन कांग्रेस उम्मीदवारों के साथ उनका नाम जुड़ा हुआ है, उन्होंने भी चुनाव में अच्छी टक्कर दी। पूरे प्रदेश में ऐसी ही स्थिति है, इस पर भी विचार हो। पार्टी के किसी भी फोरम में वह इस पर चर्चा को तैयार हैं।

हरीश रावत ने कहा कि चुनाव में सामूहिक नेतृत्व था, लेकिन हार की जिम्मेदारी उन्होंने ली। सर्वे में उन्हें जनता की पंसद बताया जा रहा था। मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा पार्टी के कुछ व्यक्तियों की वजह से उछला। उनकी सीट को लेकर अस्थिरता का जनता में गलत संदेश गया। प्रचार सामग्री में उनका चेहरा खोजना पड़ता था। हार के बाद सामूहिक नेतृत्व कहां है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे व्यक्तियों पर पार्टी हाईकमान को कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने गलत बयानबाजी करने वालों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने की चेतावनी भी दी।

नेता नहीं, जनता करती है भाग्य का निर्णय: प्रीतम

उधर, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे प्रीतम सिंह ने कहा कि उम्मीदवारों के भाग्य का निर्णय नेता नहीं, जनता करती है। चुनकर आने वाले 19 विधायकों ने पूरी ताकत से चुनाव लड़ा। वह सौभाग्यशाली हैं कि चकराता की जनता ने उन पर बार-बार विश्वास जताया। हरीश रावत यदि उनको याद करते हैं तो यह अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि पार्टी में जिसे जो भी पद मिलता है, राष्ट्रीय नेतृत्व तय करता है।

केंद्र की भाजपा सरकार ने की लोकतंत्र की हत्या: माहरा

प्रदेश कांग्रेस ने महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन को लेकर केंद्र सरकार पर प्रहार किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने सत्ता बल, धन बल और बाहु बल का प्रयोग कर लोकतंत्र की हत्या की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माहरा ने कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना के बागियों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने की प्रक्रिया की पार्टी निंदा करती है। भाजपा ने महाराष्ट्र में संविधान और लोकतंत्र की हत्या की है।

जनता आने वाले समय में इसका संज्ञान लेकर सबक सिखाएगी। पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि केंद्र की सरकार का लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है। महाराष्ट्र की घटना ने फिर यह साबित किया है। धन बल के साथ ही ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग के माध्यम से विपक्षी दलों की सरकारों को गिराने का षडयंत्र किया जा रहा है।

सौ दिन की उपलब्धियां बताने का औचित्य नहीं: प्रीतम

प्रीतम सिंह ने प्रदेश की धामी सरकार के 100 दिन के कार्यकाल को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि सौ दिन में सरकार के लिए आगे का रोडमैप तैयार करना आसान नहीं है, ऐसे में उपलब्धियां गिनाना हास्यास्पद है। जीएसटी क्षतिपूर्ति नहीं होने से प्रदेश को 5000 करोड़ की हानि उठानी पड़ेगी। राज्य को इस हानि की पूर्ति के लिए केंद्र से आश्वासन नहीं मिला है। ऐसे अवसर पर जश्न मनाने के बारे में सोचा भी नहीं जाना चाहिए।


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