Uttarakhand Politics: हरीश रावत ने साझा किए अपने विचार, उत्तराखंड में विश्राम, करना चाहते हैं दिल्ली प्रस्थान
Uttarakhand Politics पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने बदरीनाथ दर्शन के बाद अपने विचार इंटरनेट मीडिया पर साझा किए। कहा वह पार्टी के लिए दिल्ली में एक छोटे से उत्तराखंडी बाहुल्य क्षेत्र में अपनी सेवाएं देंगे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: Uttarakhand Politics पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत उत्तराखंड के प्रति अपने कर्तव्य को पूरा समझते हुए स्वयं को थोड़ा विश्राम देकर दिल्ली प्रस्थान करना चाहते हैं। भारत जोड़ो यात्रा की समाप्ति के एक माह बाद स्थानीय और राष्ट्रीय परिस्थितियों की विस्तार से विवेचना कर वह आगे अपने कर्म क्षेत्र व कार्य प्रणाली का निर्धारण करेंगे।
इंटरनेट मीडिया पर की भावपूर्ण पोस्ट
हरीश रावत यानी हरदा ने भगवान बदरीनाथ के दर्शन के बाद इंटरनेट मीडिया पर भावपूर्ण पोस्ट में अपने जिस चिंतन को साझा किया है, उसे कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति और केंद्रीय संगठन में काम करने की इच्छा से जोड़कर भी देखा जा रहा है। यह अलग बात है कि उत्तराखंड की राजनीति का यह अनुभवी और वयोवृद्ध खिलाड़ी अपने ही प्रदेश संगठन की रीति-नीतियों के साथ कदमताल नहीं कर पा रहा है। उन्होंने यह दर्द भी सामने रखा।
25 सितंबर को पहुंचे थे बदरीनाथ धाम
आखिरकार हरीश रावत अपनी पूर्व घोषणा के अनुसार बीती 25 सितंबर को भगवान बदरीनाथ के दर पहुंचे और वहां अपनी आगे की राजनीतिक यात्रा को लेकर मनन भी किया। कुछ समय पहले उन्होंने कहा था कि वह शीघ्र ही भगवान बदरीनाथ के धाम जाकर वहां अपने भविष्य की राजनीतिक सक्रियता के बारे में निर्णय करेंगे।
पार्टी जब पुकारेगी तब वह उत्तराखंड में देंगे सेवाएं
सोमवार को अपनी पोस्ट में उन्होंने प्रदेश की राजनीति से विश्राम लेने का उल्लेख करते हुए कहा कि वह पार्टी के लिए दिल्ली में एक छोटे से उत्तराखंडी बाहुल्य क्षेत्र में अपनी सेवाएं देंगे। अपने घर, गांव व कांग्रेसजनों को हमेशा उपलब्ध रहेंगे। पार्टी जब पुकारेगी, वह उत्तराखंड में सेवाएं देने के लिए उत्सुक रहेंगे। हरिद्वार से अपने जुड़ाव की बात भी उन्होंने कही।
लगता नहीं कि उत्तराखंड कांग्रेस अपने को बदलेगी
हरदा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के मुकाबले को उत्तराखंडियत की अपनी योजना का जिक्र करते हुए कांग्रेस के प्रदेश संगठन को निशाने पर लिया।
उन्होंने कहा कि कोई भी अस्त्र या कवच आधे-अधूरे प्रयासों से निर्णायक असर पैदा नहीं करता। वह पार्टी को इस अस्त्र के साथ खड़ा नहीं कर पाए। यह उनकी विफलता थी। उत्तराखंडियत को लेकर पार्टी से एकजुटता के बजाय अन्यथा संदेश गया। अंतत: जीतते-जीतते कांग्रेस हार गई।
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हरीश रावत बोले कि उत्तराखंड कांग्रेस अपने को बदलेगी, अभी नहीं लगता। व्यक्ति को अपने को बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंडियत के एजेंडे को वह राज्यवासियों और पार्टी पर छोड़ रहे हैं। सक्रियता बहुधा ईर्ष्या व अनावश्यक प्रतिद्वंद्विता पैदा करती है।
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