Uttarakhand News : अंतिम समय में अधिकतर बजट खर्च की बीमारी लाइलाज, पहली छमाही में मात्र 28.25 प्रतिशत खर्च
Uttarakhand News बजट स्वीकृति और खर्च में सुस्ती इसी तरह रही तो मार्च यानी वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने में ही बजट का बड़ा हिस्सा ठिकाने लगने की परंपरा टूटना मुश्किल है। पहली छमाही बीत चुकी है लेकिन कुल बजट का मात्र 28.25 प्रतिशत खर्च हो पाया है।
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून : Uttarakhand News : उत्तराखंड में बजट का अधिकतर हिस्सा अंतिम समय में खर्च करने की बीमारी लाइलाज बन चुकी है। चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में एक बार फिर यही नौबत आती दिख रही है। पहली छमाही बीत चुकी है, लेकिन प्रदेश के कुल बजट का मात्र 28.25 प्रतिशत खर्च हो पाया है।
शेष छह महीनों में 47043.63 करोड़ राशि खर्च करने की चुनौती है। इसमें भी पेच ये है कि खर्च के लिए प्रदेश सरकार ने मात्र 35287.47 करोड़ यानी 53.82 प्रतिशत ही बजट को स्वीकृति दी। बजट स्वीकृति और खर्च में सुस्ती इसी तरह रही तो मार्च यानी वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने में ही बजट का बड़ा हिस्सा ठिकाने लगने की परंपरा टूटना मुश्किल है।
बजट का शत-प्रतिशत सदुपयोग प्रदेश के लिए बड़ी चुनौती
जनता के सपनों में रंग भरने के लिए तैयार किए जाने वाले बजट का शत-प्रतिशत सदुपयोग प्रदेश के लिए बड़ी चुनौती है। बजट आकार और खर्च के बीच का यही फासला विकास की उम्मीदों पर भारी पड़ रहा है। चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए कुल बजट 65571.49 करोड़ का प्रविधान किया गया है।
वित्तीय वर्ष की पहली छमाही 30 सितंबर को पूरी हो चुकी है। इस अवधि तक विभागों को खर्च के लिए 35287.47 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। इस राशि में से खर्च केवल 18527.86 करोड़ हो पाया है। कुल स्वीकृत बजट का यह केवल 52.15 प्रतिशत भाग है। स्पष्ट है कि वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही पर पहली छमाही की 47 प्रतिशत धनराशि खर्च करने का दबाव रहेगा।
सीएसएस में एक तिहाई से कम बजट स्वीकृत
कुल बजट में केंद्रपोषित योजनाओं (सीएसएस) और बाह्य सहायतित योजनाओं (ईएपी) के मद की धनराशि के बड़े हिस्से को खर्च करना अभी शेष है। केंद्रपोषित योजनाओं के लिए चालू वित्तीय वर्ष में कुल 16204.74 करोड़ की बजट राशि रखी गई है। इसमें से खर्च के लिए 5797.69 करोड़ ही विभागों को जारी किया गया है।
इसमें से भी खर्च केवल 3970.19 करोड़ हुआ। स्वीकृत राशि की तुलना में 68.48 प्रतिशत बजट खर्च किया जा सका है। यद्यपि केंद्रपोषित योजना मद में पिछले सालों की तुलना में बजट खर्च की यह स्थिति अच्छी है, लेकिन दूसरी छमाही यानी 31 मार्च तक बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करने के लिए विभागों को अधिक शक्ति झोंकनी पड़ेगी।
ईएपी मद में 28 प्रतिशत बजट खर्च
ईएपी मद में बजट प्रविधान 1453.92 करोड़ है। इसमें से खर्च के लिए 236.30 करोड़ विभागों को मिले हैं, लेकिन वे मात्र 66.39 करोड़ राशि का ही उपयोग कर सके हैं। स्वीकृति धनराशि में से मात्र 28.09 प्रतिशत खर्च का आंकड़ा विभागों की बजट खर्च की तैयारी की पोल खोल रहा है।
अपर मुख्य सचिव वित्त ने विभागों को किया आगाह
बजट खर्च की इस स्थिति से सरकार भी चिंतित है। अधिकतर विभागों में बजट प्रविधान की तुलना में पूंजीगत मदों में धनराशि का प्रवाह अनियमित है। इस कारण वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही जनवरी से लेकर मार्च महीने में अधिकतर वित्तीय स्वीकृतियां जारी की जा रही हैं। अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन ने इस संबंध में सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, प्रभारी सचिवों को पत्र भेजकर आगाह किया है।
अनियमित बजट प्रवाह से विकास कार्य अवरुद्ध
उन्होंने अंतिम तिमाही में अधिकतर बजट स्वीकृति की परंपरा को अनुचित बताया है। उन्होंने कहा कि इससे राज्य में विकास कार्य अवरुद्ध होते हैं। साथ में राजकोष पर भी अनावश्यक दबाव पड़ रहा है। उन्होंने विभागों से बजट स्वीकृति का प्रवाह नियमित और धनराशि के सदुपयोग के निर्देशों का कड़ाई से पालन करने को कहा है। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को बजट सदुपयोग की महीनेवार और तिमाही समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं।