उत्तराखंड : पांच करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का होगा स्पेशल आडिट, फाइलों में दबकर नहीं रहेगी रिपोर्ट
पांच करोड़ से अधिक के कार्यों या परियोजनाओं का अनिवार्य रूप से स्पेशल आडिट होगा। विभागीय प्रमुख सचिव या सचिव आवश्यक कार्यवाही करेंगे। विभागाध्यक्ष स्तर पर बजट का आवंटन वरिष्ठतम वित्त अधिकारी की ओर से आहरण-वितरण अधिकारी को किया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून : प्रदेश में पांच करोड़ से अधिक के कार्यों या परियोजनाओं का अनिवार्य रूप से स्पेशल आडिट होगा। यह दायित्व आडिट निदेशालय का होगा। आडिट रिपोर्ट फाइलों में दबकर नहीं रहेगी। विभागीय प्रमुख सचिव या सचिव आवश्यक कार्यवाही करेंगे। इसके साथ ही सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट खर्च के लिए प्रत्येक मद में मितव्ययता के लिए स्पष्ट कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में चालू वित्तीय वर्ष के लिए 65571.49 करोड़ के बजट को विधानसभा ने पारित किया था। इसे राजभवन की स्वीकृति मिलने के बाद अब अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बद्र्धन ने बजट खर्च को लेकर सभी अपर मुख्य सचिवों, सचिवों, विभागाध्यक्षों एवं वित्त नियंत्रकों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आदेश में कहा गया है कि विभागाध्यक्ष स्तर पर बजट का आवंटन वरिष्ठतम वित्त अधिकारी की ओर से आहरण-वितरण अधिकारी को किया जाएगा।
विभागों को इंटरनेट से बजट प्राप्त करने के लिए केंद्रीय स्तर पर एक विशिष्ट नंबर प्राप्त करना अनिवार्य होगा। राज्य आकस्मिकता निधि से अग्रिम धन केवल अप्रत्याशित खर्च के लिए ही स्वीकृत करने की व्यवस्था है। वेतन-भत्ते के लिए सहायक अनुदान, सहायता अनुदान (गैर वेतन) में 20 करोड़ तक धनराशि प्रशासकीय विभाग और बजट नियंत्रण अधिकारी अपने स्तर से आहरण वितरण अधिकारियों को जारी कर सकेंगे। 20 करोड़ से अधिक बजट प्रविधान होने पर संबंधित वित्त व्यय नियंत्रण अनुभाग की सहमति से धनराशि अवमुक्त की जाएगी।
70 प्रतिशत उपयोग पर ही अगली किस्त
शासनादेश के अनुसार चालू निर्माण कार्यों में विभागीय बजट 25 करोड़ से अधिक होने पर यह तीन समान किस्तों में विभागाध्यक्ष के पास रहेगा। दूसरी किस्त जारी करने से पहले पहली किस्त का 70 प्रतिशत उपयोगिता प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा। तीसरी किस्त जारी करने से पहले पहली और दूसरी किस्त का 70 प्रतिशत उपयोगिता प्रमाणपत्र विभागाध्यक्ष को देना होगा। प्रत्येक पूर्व स्वीकृत निर्माण कार्य का नियमित अनुश्रवण व समीक्षा होगी।
किसी कारणवश कार्य प्रारंभ नहीं हुए तो उनकी स्वीकृति निरस्त कर नए आगणन के आधार पर स्वीकृति पर नए सिरे से विचार किया जाएगा। 50 लाख से कम लागत वाली योजनाओं की धनराशि एकमुश्त या 50-50 प्रतिशत या 40-40-20 प्रतिशत के आधार पर जारी की जाएगी। इससे अधिक लागत की योजनाओं की बजट राशि की पहली, दूसरी व तीसरी किस्त क्रमश: 40 प्रतिशत, 40 प्रतिशत और 20 प्रतिशत होगी।
वाहन खरीदने से पहले लेनी होगी स्वीकृति
केंद्रपोषित, बाह्य सहायतित योजनाओं, केंद्र से मिलने वाली अतिरिक्त सहायता राशि के उपयोग के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। बजट में सीमा से अधिक खर्च का मामला सामने आने पर इसे तत्काल वित्त विभाग के संज्ञान में लाना होगा। इसके लिए बजट नियंत्रण अधिकारी या विभागाध्यक्ष उत्तरदायी होंगे। पीएलए खाते में जमा धनराशि का उपयोग सबसे पहले किया जाएगा। वाहन खरीदने के लिए खर्च करने से पहले राज्य सरकार की नई वाहन नीति के अंतर्गत निर्णय लिया जाएगा। नए वाहन को खरीदने से पहले प्रत्येक प्रकरण पर वित्त विभाग की स्वीकृति लेना आवश्यक होगा।