राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आजीविका से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत हो रहे प्रयास रंग ला रहे हैं। राज्य में अब तक 36,650 स्वयं सहायता समूहों का गठन इसका उदाहरण है, जिनसे 2.85 लाख महिलाएं जुड़ी हैं।
ये महिला समूह कृषि समेत स्थानीय संसाधनों पर आधारित उत्पाद तैयार कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। इसमें सरकार भी निरंतर सहयोग दे रही है।
राज्य में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को संगठित कर उनके 4247 ग्राम संगठन और 256 क्लस्टर स्तरीय संगठन भी बनाए गए हैं। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेशभर में 33304 समूहों को अब तक 34.55 करोड़ रुपये की धनराशि परिक्रामी निधि के रूप में छोटी-छोटी जरूरतों की पूर्ति और आपसी लेन-देन के लिए उपलब्ध कराई जा चुकी है।
34964 समूह ऐसे हैं, जिनकी सूक्ष्म ऋण योजना तैयार की गई है। इनमें से 18198 समूहों को सामुदायिक निवेश निधि के रूप में 107.32 करोड़ रुपये की धनराशि आर्थिक गतिविधियों के संचालन के लिए उपलब्ध कराई गई है। केंद्र सरकार की इस योजना में पिछले वित्तीय वर्ष के लिए 86.43 करोड़ की वार्षिक कार्ययोजना अनुमोदित की गई थी।
राष्ट्रीय आजीविका मिशन के पिछले वित्तीय वर्ष के जिलेवार वित्तीय व भौतिक लक्ष्यों को देखें तो तस्वीर काफी सुकून देने वाली है। पिछले वित्तीय वर्ष में महिला स्वयं सहायता समूहों का तय लक्ष्य के सापेक्ष 129 प्रतिशत समूहों का गठन किया गया।
इसी प्रकार इन्हें ऋण के मद्देनजर बैंकों से जोडऩे के लक्ष्य के सापेक्ष 110 प्रतिशत समूहों को ऋण वितरित किया गया। साफ है कि मातृशक्ति को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में सरकार हरसंभव सहयोग सहयोग कर रही है। साथ ही महिला समूह भी इसके लिए बढ़-चढ़कर आगे आए हैं। यह भविष्य के लिए बेहतर संकेत है।
पिछले वित्तीय वर्ष में समूहों को ऋण वितरण
जिला----ऋण वितरण
ऊ.नगर----1338
उत्तरकाशी----1318
नैनीताल-------1267
पौड़ी------------1267
चमोली----------996
देहरादून---------917
पिथौरागढ़-------883
टिहरी-----------782
हरिद्वार-------690
अल्मोड़ा------639
चम्पावत------503
रुद्रप्रयाग------251
बागेश्वर------189
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