Uttarakhand News: मुर्गा खाने के लालच में पिंजरे में फंसा गुलदार, जसवावाला गांव के पास हो रही थी गुलदार की चहल-कदमी
मुर्गा खाने के लालच में आखिरकार 16 दिन बाद गुलदार ङ्क्षपजरे में फंस गया। गुलदार को पकडऩे के लिए वन विभाग की टीम ने तीन फरवरी को जसवावाला गांव के पास जंगल में लगाए गए ङ्क्षपजरे में मुर्गा रखा था।
संवाद सूत्र, कलियर: मुर्गा खाने के लालच में आखिरकार 16 दिन बाद गुलदार पिंजरे में फंस गया। गुलदार को पकडऩे के लिए वन विभाग की टीम ने तीन फरवरी को जसवावाला गांव के पास जंगल में लगाए गए ङ्क्षपजरे में मुर्गा रखा था। पिंजरे में फंसे गुलदार को वन विभाग की टीम चिडिय़ापुर रेस्क्यू सेंटर ले गई है। वहीं गुलदार के पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है।
कलियर क्षेत्र के जसवावाला गांव के आसपास गुलदार की चहलकदमी बनी थी। गुलदार कई बार गांव के आसपास देखा गया था। जिसकी सूचना ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम को दी थी। तीन फरवरी को टीम ने जसवावाला गांव के पास जंगल में गुलदार को पकडऩे के लिए एकपिंजरा लगाया था। गुलदार को जाल में फंसाने के लिए वन विभाग की टीम ने पिंजरे में मुर्गा रखा था। कई दिनों से वन विभाग की टीम गुलदार के फंसने का इंतजार कर रही थी। शनिवार की देर रात गुलदार पिंजरे में फंस गया। सुबह के समय जंगल की तरफ गए कुछ ग्रामीणों ने जब गुलदार के दहाडऩे की आवाज सुनी तो वह सकते में आ गए। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग की टीम को दी। जिसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। काफी संख्या में ग्रामीण व युवक पिंजरे में फंसे गुलदार की मोबाइल से फोटो लेते दिखे। रुड़की वन रेंज के रेंजर मयंक गर्ग ने बताया कि गुलदार को चिडिय़ापुर रेस्क्यू सेंटर भेजा गया है।
बंदरों के आतंक से भयभीत हैैं जोशीमठवासी
गोपेश्वर: भारत तिब्बत चीन की सीमा से लगे गांवों में बंदरों के आतंक से आम आदमी परेशान है। बंदरों ने ग्रामीणों की खड़ी फसल को तो नुकसान पहुंचाया ही है। साथ ही घरों के अंदर घुसकर भी खाने पीने की सामग्री को बर्बाद कर रहे हैं। जिससे ग्रामीण परेशान हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग से बंदरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।
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