बीपीएड-एमपीएड प्रशिक्षितों ने किया सीएम आवास कूच, पुलिस ने रोका तो सड़क पर दिया धरना
व्यायाम शिक्षकों की नियुक्ति समेत अन्य मांगों को लेकर बीपीएड-एमपीएड प्रशिक्षितों ने मुख्यमंत्री आवास कूच किया। हालांकि पुलिस ने उन्हें कनक चौक पर ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया। इस पर प्रशिक्षित बैरिकेडिंग के पास ही सड़क पर बैठ कर प्रदर्शन करने लगे।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड के हर विद्यालय में व्यायाम शिक्षकों की नियुक्ति समेत अन्य मांगों को लेकर बीपीएड-एमपीएड प्रशिक्षितों ने मुख्यमंत्री आवास कूच किया। हालांकि, पुलिस ने उन्हें कनक चौक पर ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया। इस पर प्रशिक्षित बैरिकेडिंग के पास ही सड़क पर बैठ कर प्रदर्शन करने लगे। इसके बाद प्रशिक्षितों के एक प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री के ओएसडी भजराम पंवार से मुलाकात कराई गई, जिनके समक्ष उन्होंने अपनी मांगें रखीं। मुख्यमंत्री के ओएसडी ने प्रशिक्षितों को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
बीपीएड-एमपीएड प्रशिक्षित बेरोजगार संगठन के बैनर तले गुरुवार को प्रदेशभर से जुटे बीपीएड-एमपीएड प्रशिक्षित परेड ग्राउंड में एकत्र हुए। यहां संगठन के पदाधिकारियों ने सरकार पर उनकी मांगों की अनदेखा करने का आरोप लगाया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश चंद्र पांडेय ने मांग की कि प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालय में व्यायाम शिक्षक की नियुक्ति अनिवार्य रूप से की जाए। साथ ही शारीरिक शिक्षा विषय को कक्षा एक से 12 तक अनिवार्य किया जाए।
इसके साथ ही कहा कि राज्य के प्रशिक्षित बेरोजगारों को हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर आयु सीमा में तीन वर्ष की छूट दी जाए यानी भर्ती के लिए आयु सीमा 42 वर्ष से बढ़ाकर 45 वर्ष की जाए। इसके बाद प्रशिक्षितों ने रैली के रूप में मुख्यमंत्री आवास के लिए कूच किया। इसमें संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र खत्री, अर्जुन लिंगवाल, सुमन सिंह नेगी, हिमांशु राजपूत, आलोक नैथानी, अनिल राज, मनोज असवाल समेत अन्य लोग शामिल रहे।
यह भी पढ़ें- राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण को जारी हो शासनादेश, उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच ने दिया धरना
शिक्षामित्रों ने दी आत्मदाह की चेतावनी
डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षामित्र संगठन ने प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग पर सौतेले व्यवहार का आरोप लगाया है। संगठन के प्रदेश संरक्षक चंचल बसेड़ा ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2015 में जिन शिक्षामित्रों का समायोजन किया, उनका वर्तमान समय में वेतन 48 हजार रुपये है। दूसरी तरफ, वर्ष 2017 में जिन शिक्षामित्रों को एनआइओएस से डीएलएड का प्रशिक्षण दिलाया, उन्हें महज 15 हजार रुपये मानदेय के रूप में दिए जा रहे हैं। चंचल ने कहा कि यह असमानता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकार ने शीघ्र सभी शिक्षामित्रों के लिए 48 हजार रुपये वेतन का आदेश नहीं दिया तो वह और संगठन के उत्तरकाशी के जिलाध्यक्ष भीष्म सिंह महंत आत्मदाह कर लेंगे।
यह भी पढ़ें- Uttarakhand Agitators: आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की घोषणा पर शासनादेश का इंतजार, पढ़िए पूरी खबर