Uttarakhand Lockdown: उत्तराखंड में भी 30 जून तक बढ़ाई गई वाहनों से जुड़े दस्तावेजों की वैधता
केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद परिवहन विभाग ने भी वाहनों जुड़े दस्तावेजों की समय सीमा को लेकर जनता को बड़ी राहत दी है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद परिवहन विभाग ने भी वाहनों जुड़े दस्तावेजों की समय सीमा को लेकर जनता को बड़ी राहत दी है। इसके तहत अब एक फरवरी और उसके बाद समाप्त होने वाले दस्तावेजों को 30 जून तक वैध माना जाएगा। यानी इस अवधि का उनसे कोई विलंब शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। इन दस्तावेजों में सभी तरह के फिटनेस परमिट, लर्निंग और परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के साथ ही रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज आदि शामिल हैं।
प्रदेश में लॉकडाउन के बाद से ही जरूरी वस्तुओं के परिवहन को छोड़ शेष व्यवसायिक वाहनों का संचालन पूरी तरह बंद है। इसके अलावा विभागों में भी कर्मचारियों के न होने के कारण कई कार्य प्रभावित हैं। अभी केवल बीएस फोर श्रेणी के वाहनों का ऑनलाइन पंजीकरण किया जा रहा था, लेकिन बीते रोज ही केंद्र ने इन पर भी रोक लगा दी थी। वहीं परिवहन व्यवसायियों के सामने आ रही कठिनाईयों को देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लाइसेंसों के नवीनीकरण करने की सीमा एक माह बढ़ाने की घोषणा की थी।
यह विषय केंद्र सरकार का था इस कारण परिवहन विभाग ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर प्रदेश में पहले कर्मचारी हड़ताल और फिर लॉकडाउन को देखते हुए इसकी अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था। इस संबंध अब केंद्र की गाइडलाइन के बाद उत्तराखंड परिवहन मुख्यालय ने भी सभी संभागीय व उपसंभागीय कार्यालय को पत्र भेज दिए गए हैं। सचिव परिवहन शैलेश बगोली द्वारा दिए गए निर्देशों में सबसे केंद्र सरकार की गाइडलाइन का अनुपालन करने को कहा गया है।
सचल दल और कृषि निवेश केंद्रों से लें बीज
कृषि से जुड़े कार्यों के साथ ही खाद-बीज और रसायन केंद्रों को खुला रखने और कृषि निवेशों के परिवहन की छूट के बावजूद प्रदेश में खेती-किसानी के समक्ष चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। कोरोना के भय के चलते खाद-बीज व कृषि रसायन की दुकानें नहीं खुल रहीं तो कृषि कार्यों के लिए श्रमिक भी नहीं मिल पा रहे हैं। हालांकि, इन दिक्कतों से पार पाने की दिशा में सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार अब उद्यान सचल दल केंद्रों के अलावा कृषि निवेश केंद्रों के जरिये खाद, बीज और कृषि रसायनों के साथ ही अन्य कृषि निवेश मुहैया कराए जा रहे हैं।
लॉकडाउन के कारण खेती पर असर न पड़े, इसके लिए फसल कटाई-बुआई संबंधी कार्यो को केंद्र और राज्य सरकार पहले ही छूट दे चुकी है। इसके साथ ही कृषि उपकरणों समेत अन्य निवेश के परिवहन, कृषि श्रमिकों, कृषि से संबंधित कार्यों को कराने वाले कार्मिकों के अलावा खाद-बीज व कृषि रसायन की दुकानों को भी लॉकडाउन से मुक्त रखा गया है। अलबत्ता, सभी को एक-दूसरे से शारीरिक दूरी के मानक का अनुपालन करना आवश्यक किया गया है।
इस सबके बावजूद खाद-बीज और कृषि रसायन की दुकानें नहीं खुल रहीं हैं। फिर चाहे वह देहरादून हो अथवा प्रदेश के दूसरे इलाके, सभी जगह कोरोना के भय के चलते दुकानदार दुकानें खोलने से परहेज कर रहे हैं। ये बात भी सामने आ रही कि ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार समेत अन्य जिलों में कृषि कार्यों के लिए श्रमिक भी नहीं मिल पा रहे। इन सब दिक्कतों के दृष्टिगत अब राज्य सरकार सक्रिय हो गई है, ताकि किसानों की समस्या का त्वरित गति से निराकरण कराया जा सके।
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कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार राज्य में प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर कृषि विभाग के कृषि निवेश केंद्र हैं। इसके अलावा उद्यान विभाग के सचल दल भी लगभग सभी इलाकों में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि अब उद्यान सचल दल केंद्रों के साथ ही कृषि निवेश केंद्रों के माध्यम से भी खाद-बीज और कृषि रसायनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं।
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