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coronavirus: भारी न पड़ जाए लापरवाही, दुकानों पर नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी दुकानों में लोगों की भीड़ उमड़ रही है लोग शरीरिक दूरी के नियम का भी पालन नहीं कर रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 04 Apr 2020 07:31 PM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2020 07:31 PM (IST)
coronavirus: भारी न पड़ जाए लापरवाही, दुकानों पर नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
coronavirus: भारी न पड़ जाए लापरवाही, दुकानों पर नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

देहरादून, आयुष शर्मा। कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। 180 से ज्यादा देशों में यह वायरस करीब 50000 लोगों की जान ले चुका है। 10 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। भारत में भी कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लागू है। पुलिस और प्रशासन अपने स्तर से तमाम व्यवस्था बनाकर इस मुहिम में जुटे हैं। साथ ही लोगों को भी इससे बचाव के लिए जागरूक कर रहे हैं, लेकिन हमें समझना होगा कि जब तक हम खुद इस संक्रमण को रोकने के लिए सचेत नहीं होंगे तब तक इससे पार पाना मुश्किल है। प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी दुकानों में लोगों की भीड़ उमड़ रही है, लोग शरीरिक दूरी के नियम का भी पालन नहीं कर रहे हैं। लेकिन अगर हम सोचे की हम खुद इस संक्रमण से बचेंगे तो हमारा परिवार भी इससे सुरक्षित रहेगा। तो कोराना से जंग हम जीत जाएंगे।

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नवरात्र में दिया सार्थक संदेश

त्योहारों का मतलब उत्साह, गीत-संगीत तक सिमटता जा रहा है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन के दौरान नवरात्र एक अलग संदेश दे गए। इस बार नवरात्रों का पूजन किसी व्यक्ति विशेष के घर या मंदिर तक सीमित नहीं रहा। व्यक्तिगत तौर पर कई लोगों ने घरों पर पूजा-अर्चना कर कोरोना वायरस की समाप्ति के लिए प्रार्थना की। लोगों ने सिर्फ कन्याओं को नहीं उनके साथ जरूरतमंदों को खाना मुहैया कराया। मंदिरों ने भी जरूरतमंदों के लिए भोजन व्यवस्था की। यहां तक कि पंडितों ने भी लोगों से दक्षिणा राहत कोष में जमा करने की सलाह दी। इस दौरान सक्षम लोगों और सामाजिक संस्थाओं ने इस विकट परिस्थिति में आगे बढ़कर मदद की जिससे एक सार्थक संदेश गया कि हम सब एक है। जात-पात से ऊपर उठकर लोगों का उद्देश्य यह रहा कि जरूरतमंदों को इस मुसीबत की घड़ी में मदद मिल सकें।

ऑनलाइन पढ़ाई बना बेहतर विकल्प

लॉक डाउन के बीच ऑनलाइन पढ़ाई बेहतर विकल्प बनकर सामने आई है। सीबीएसई आइसीएसई और एनआइओएस तीनों बोर्ड अपने स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दे रहे हैं। स्कूलों के शिक्षकों ने होम असाइनमेंट और वर्कशीट भी तैयार करना शुरू कर दिया है। कॉलेजों में भी ऑनलाइन पढ़ाई को विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। इग्नू ने तो अपने असाइनमेंट ऑनलाइन जमा करवाना ही तय कर दिया है। स्कूल कॉलेजों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने से छात्र-छात्रओं में पढ़ाई के लिए दिलचस्पी भी बढ़ेगी। ऑनलाइन पढ़ाई का सबसे बड़ा फायदा यह है की पुस्तकों के तय पाठ्यक्रम के अलावा दूसरी कई चीजें सीखने को भी मिलती हैं। अन्य बोर्ड के इस कदम के बाद अब उत्तराखंड बोर्ड के सामने भी यह चुनौती खड़ी हो गई है कि, वह लॉक डाउन के दौरान किस तरह छात्र-छात्रओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई की ऑनलाइन व्यवस्था करता है।

पर्यावरण को भी मिली संजीवनी

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश में करीब दस दिनों से लॉकडाउन जारी है। लॉकडाउन के दौरान प्रशासन ने चौपहिया वाहनों पर तो प्रतिबंध लगाया ही है साथ ही लोगों को आवश्यक चीजों की खरीददारी करने के लिए समय निर्धारित किया हुआ है। जिस कारण दून में इस समय जरूरी वाहन ही सड़कों पर दिख रहे हैं। साथ ही अधिकांश उद्योग और निर्माण कार्य भी बंद है।

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केवल जरूरी सेवाओं से जुड़े उद्योग ही संचालित हो रहे हैं। इन सब का ही परिणाम हैं कि वर्तमान में दून का 85 फीसद प्रदूषण कम हुआ है। जिससे प्रदूषित पर्यावरण तो शुद्ध हुआ है कि साथ ही लोगों को भी प्रचुर मात्र में शुद्ध आक्सीजन मिल रही है। यह परिस्थितियां हमें यह सीख देती है कि अगर हम सुविधाओं का बेवजह प्रयोग न करें तो प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है। लेकिन इसमें सभी का सहयोग जरूरी है। 

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