Uttarakhand Lockdown के दौरान बेफिजूल न घूमें, जलालत से अच्छा है घर पर बैठें
लोगों को बचाने के लिए सरकार की ओर से लॉकडाउन किया गया है जिससे लोग एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखें और संक्रमण का खतरा कम हो।
देहरादून, सोबन सिंह गुसांई। कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए सरकार की ओर से लॉकडाउन किया गया है, जिससे लोग एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखें और संक्रमण का खतरा कम हो। यह भी लोगों को रास नहीं आ रहा है। हर समय बाहर घूमने वालों को भला घर पर सुकून कैसे मिलेगा। ये लोग कोई न कोई बहाना बनाकर वाहनों से घूमते नजर आ रहे हैं। पुलिस-प्रशासन ने अनावश्यक कार में घूमने वालों पर पाबंदी लगाई हुई है। दोपहिया वाहन पर भी सिर्फ एक ही व्यक्ति को बाहर निकलने की अनुमति है। रविवार को निरंजनपुर चौक पर मोटरसाइकिल से जा रहे दो युवकों से जब पुलिस ने घूमने का कारण पूछा तो कहने लगे कि साहब हम दोनों को एक ही कुत्ते ने काटा है। इसलिए दोनों एक ही जगह इंजेक्शन लगवाने जा रहे हैं। पुलिस ने पहले तो दोनों को खूब जलील किया और बाद में उन्हें जाने दिया।
सुरक्षा के साथ मदद की जिम्मेदारी
कोरोना वायरस ने हालात इस कदर बदल दिए हैं कि जो लोग कभी पुलिस से दूर भागते थे, अब उनकी पुलिस से नजदीकियां बढ़ गई हैं। खाकी के मददगार चेहरे ने उनके अंदर पुलिस के प्रति बैठे बेवजह को डर गायब कर दिया है। पहले जो पुलिस एफआइआर में उलझी रहती थी, अब उसके पास राशन कार्ड की भी जिम्मेदारी आ गई है। अपराधियों की तलाश करने वाले आज उन लोगों को चिह्नित करने में लगे हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी की दरकार है। दरअसल, इन दिनों पुलिस के पास सुरक्षा के साथ-साथ लोगों तक रोटी पहुंचाने की भी जिम्मेदारी है। शाम से ही थानों और चौकियों के बाहर फरियादियों की लंबी-लंबी लाइनें लगनी शुरू हो जाती हैं। ये लोग कोई शिकायत लेकर नहीं बल्कि रोटी के लिए पहुंचते हैं। प्रशासन ने राशन बांटने की जिम्मेदारी भी पुलिस को दे दी है। पुलिस घर-घर राशन भी पहुंचा रही है।
दान करें, लेकिन फोटोशूट करके नहीं
वैश्विक महामारी कोरोना से जंग लड़ने के लिए आजकल हर कोई आगे आ रहा है। हालांकि, इस लड़ाई में उन लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। अच्छी बात यह है कि इन जरूरतमंदों की मदद करने के लिए समाजसेवी आगे आ रहे हैं। लेकिन, देखने में आ रहा है कि कई समाजसेवी संगठन केवल सोशल मीडिया पर छाने के लिए समाजसेवा कर रहे हैं। ये समाजसेवी जरूरतमंदों को मदद देने के साथ फोटोशूट भी कर रहे हैं। जो इन जरूरतमंदों को भी पसंद नहीं आ रहा। सोशल मीडिया पर भी ऐसे लोगों को ताने मारे जा रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि अगर किसी को मदद देने जा रहे हैं तो कैमरा घर पर रखकर जाएं। क्योंकि, समाजसेवा आप जरूरतमंदों की मदद के लिए कर रहे हैं, किसी को दिखाने के लिए नहीं। इसका ध्यान हर किसी को रखना होगा।
जमाती पुलिस के लिए दोहरी चुनौती
कोरोना से जंग में कुछ लोग फ्रंट लाइन पर खड़े होकर मोर्चा ले रहे हैं। इन मुश्किल हालात में पुलिस भी समाज को बचाने के लिए योद्धा के रूप में मैदान में डटी हुई है। लेकिन, दिल्ली स्थित निजामुद्दीन तब्लीगी मरकज का मामला सामने आने के बाद जमाती पुलिस के लिए दोहरी चुनौती बन गए हैं। पहले जमातियों को ढूंढना और फिर उन्हें क्वारंटाइन करवाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
यह भी पढ़ें: Uttarakhand Lockdown: देहरादून की भगत सिंह कॉलोनी और कारगी ग्रांट में कड़ा पहरा
इन दिनों हालात ये हैं कि अधिकतर पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों ने तो थाना, चौकियों और अपने ऑफिस को ही ठिकाना बनाया हुआ है। वह स्वजनों से भी नहीं मिल पा रहे हैं। कुछ दिन पहले जब कोरोना के पॉजिटिव केस आने कम हो गए थे, तब पुलिस थोड़ा सकून महसूस कर रही थी। लेकिन, निजामुद्दीन प्रकरण के बाद हालात पूरी तरह बदल गए हैं। लगातार कोरोना के मामले सामने आने से पुलिस की टेंशन भी बढ़ गई है।
यह भी पढ़ें: Uttarakhand Lockdown Update: सरकार के आग्रह पर तब्लीगी जमात से जुड़े 64 लोग आए सामने