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    उत्तराखंड में आई बंपर सरकारी नौकरी, डॉक्टर-नर्स समेत 1300 स्वास्थ्य कर्मियों की होगी भर्ती

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 02:01 AM (IST)

    उत्तराखंड सरकार राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 1300 नए स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती करेगी, जिनमें डॉक्टर, नर्सिंग अधिकारी, एएनएम और सीएचओ शामिल हैं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने नियुक्ति पत्र सौंपते हुए कहा कि सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध है और स्वास्थ्य कर्मियों को समर्पण से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। बायोमैट्रिक उपस्थिति भी अनिवार्य की जाएगी।

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    जागरण संवाददाता, देहरादून। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। बुधवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने चंदर नगर स्थित चिकित्सा शिक्षा निदेशालय में आयोजित कार्यक्रम में नर्सिंग अधिकारियों, सीएमएसडी टेक्नीशियन और नर्सिंग फैकल्टी को नियुक्ति पत्र प्रदान किए।

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    मंत्री ने बताया कि सरकार शीघ्र ही 1300 नए स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति करने जा रही है, जिनमें 287 डाक्टर, 690 नर्सिंग अधिकारी, 180 एएनएम और 120 सीएचओ शामिल हैं। इसके अलावा, फार्मेसिस्ट की नियुक्ति भी अब वर्षवार प्रणाली से की जाएगी।

    डा. रावत ने कहा कि पिछले पौने चार वर्षों में राज्य सरकार 26 हजार युवाओं को रोजगार दे चुकी है, जिनमें से लगभग 21 हजार नियुक्तियां स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग में की गई हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में योग्य मानव संसाधन की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने व्यापक भर्ती अभियान शुरू किया है।

    चयनित अभ्यर्थियों को बधाई देते हुए कहा कि वे अपने कार्य में पूरी निष्ठा, ईमानदारी और सेवा भाव से योगदान दें। राज्य सरकार का उद्देश्य प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है, और यह तभी संभव होगा जब प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी अपने दायित्वों का समर्पण से निर्वहन करेगा। इस दौरान चिकित्सा शिक्षा निदेशक डा. अजय आर्य, अपर निदेशक डा. आरएस बिष्ट, डा. रंगील सिंह रैना, डा. गीता जैन, डा. शेखर पाल, महेंद्र भंडारी आदि उपस्थित रहे।

    28 नर्सिंग अधिकारी, 14 सीएमएसडी टेक्नीशियन को नियुक्ति पत्र
    कार्यक्रम में राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से चयनित 28 नर्सिंग अधिकारियों, 14 सीएमएसडी टेक्नीशियन, 6 एसोसिएट प्रोफेसर (नर्सिंग) और 1 प्रोफेसर (नर्सिंग) को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। मंत्री ने कहा कि इन नियुक्तियों से राजकीय मेडिकल कालेजों से संबद्ध चिकित्सालयों में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

    नर्सिंग कॉलेजों में नई शिक्षकों की नियुक्ति से छात्र-छात्राओं को आधुनिक संसाधनों के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा। अब तक 1248 नर्सिंग अधिकारी राजकीय मेडिकल कालेजों में नियुक्त किए जा चुके हैं, जबकि 587 पदों के लिए अधियाचन चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को भेजा गया है। इसके अलावा 439 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया भी प्रगति पर है। अब तक मेडिकल कालेजों में 170 तकनीशियन (लैब, ओटी, ईसीजी और रेडियोग्राफिक) की नियुक्ति की जा चुकी है।

    स्टेट नर्सिंग कॉलेज में लैब और व्याख्यान कक्षों का लोकार्पण
    मंत्री ने स्टेट कालेज ऑफ नर्सिंग, देहरादून में 456.15 लाख की लागत से निर्मित आधुनिक व्याख्यान कक्षों और लैब का भी लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि सरकार नर्सिंग शिक्षा को सशक्त बनाने के लिए लगातार आधुनिक संसाधन और प्रशिक्षित संकाय उपलब्ध करा रही है। नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति के साथ ही अधोसंरचना को भी मजबूत किया जा रहा है।

    पीजी को लेकर बदलेगा नियम
    डा. रावत ने कहा कि राज्य में बांडधारी चिकित्सकों को अब तीन साल की सेवा के बाद पीजी की अनुमति दी जाएगी। जबकि सरकारी नौकरी ज्वाइन करने वाले मेडिकल अफसरों के लिए दो साल की अनिवार्य सेवा अवधि निर्धारित की गई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एक सप्ताह से अधिक समय तक बिना अनुमति अस्पताल से अनुपस्थित रहने वाले बांडधारी डाक्टरों के खिलाफ बांड उल्लंघन की कार्रवाई की जाएगी।

    अस्पतालों में एक दिसंबर से बायोमैट्रिक हाजिरी अनिवार्य
    मंत्री ने बताया कि राज्य के सभी अस्पतालों में एक दिसंबर से बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली अनिवार्य कर दी जाएगी। इसकी निगरानी न केवल सीएमओ स्तर पर बल्कि मंत्री कार्यालय से भी की जाएगी, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

    दिल्ली बम ब्लास्ट प्रकरण पर चिंता
    डा. रावत ने दिल्ली बम ब्लास्ट प्रकरण में कुछ डाक्टरों के नाम सामने आने पर चिंता व्यक्त की और चिकित्सा शिक्षा निदेशक को इस विषय पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सरकार चिकित्सा पेशे की गरिमा बनाए रखने और हर स्तर पर अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।