उत्तराखंड सरकार ने Uniform Civil Code समिति का कार्यकाल बढ़ाया, अब तक मिले ढाई लाख सुझाव
Uniform Civil Code प्रदेश सरकार ने समान नागरिक संहिता का प्रारूप तय करने के लिए गठित समिति का कार्यकाल छह महीने बढ़ा दिया है। समिति को अब तक लगभग ढाई लाख सुझाव प्राप्त हो चुके हैं। अब समिति का कार्यकाल 27 मई 2023 तक होगा।
टीम जागरण, देहरादून : Uniform Civil Code : प्रदेश सरकार ने समान नागरिक संहिता का प्रारूप तय करने के लिए गठित समिति का कार्यकाल छह महीने बढ़ा दिया है।
समिति का कार्यकाल इसी महीने के अंत में समाप्त हो रहा था। अब समिति का कार्यकाल 27 मई 2023 तक होगा। वहीं समिति को अब तक लगभग ढाई लाख सुझाव प्राप्त हो चुके हैं।
ईसाई समुदाय भी चाहता है यूसीसी में समान जनसंख्या नीति
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के मद्देनजर इसका ड्राफ्ट तैयार करने को गठित विशेषज्ञ समिति के पास उम्मीद से कहीं बढ़कर सुझाव आए हैं। इन महत्वपूर्ण सुझावों की संख्या ढाई लाख से अधिक हैं।
सूत्रों के अनुसार ईसाई समेत अन्य समुदायों ने इस बात पर भी जोर दिया है कि राज्य में समान जनसंख्या नीति को भी यूसीसी का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि यह नागरिक मामलों से संबंधित विषय है और राज्य को इसका अधिकार भी दिया गया है। उधर, जनता से मिले सुझावों के परीक्षण के दृष्टिगत सरकार ने विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल छह माह आगे बढ़ा दिया है।
धामी सरकार ने अपने वायदे के अनुसार राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए इसका ड्राफ्ट तैयार करने को इसी वर्ष 27 मई को न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति गठित की। विशेषज्ञ समिति लगातार इस विषय पर विमर्श कर रही है।
इस कड़ी में समिति ने आनलाइन और आफलाइन सुझाव लिए। समिति अब तक 30 बैठकें कर चुकी है। समिति के सदस्यों ने सुदूरवर्ती गांवों में जाकर जनता से संवाद किया तो सभी धर्मों के धर्मगुरुओं के साथ विमर्श कर उनकी राय जानी और यूसीसी के लिए सुझाव लिए।
समाज के सभी वर्गों और समुदायों ने खुले मन से अपनी बात समिति के समक्ष रखते हुए सुझाव दिए। इनका परीक्षण चल रहा है और फिर महत्वपूर्ण सुझावों को यूसीसी के ड्राफ्ट का हिस्सा बनाया जाएगा। सूत्रों के अनुसार महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार देने पर एक राय उभरकर सामने आई है।
लड़कियों के विवाह की उम्र बढ़ाने, पिता की संपत्ति में बेटी का अधिकार सुनिश्चित करने, मुस्लिम समाज में अभिभावक के तौर पर देखरेख को लिए जाने वाले बच्चों को संपत्ति में अधिकार देने जैसे सुझाव समिति के पास आए हैं। कुछ व्यक्तियों ने यह सुझाव भी दिया है कि लिव-इन-रिलेशनशिप के मामले में कानूनी तौर पर पंजीकरण की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि ऐसे प्रकरणों में अपराध घटित न हों।