सत्ता के गलियारे से : ...तो गैरसैंण अब नहीं रहेगा गैर, ग्रीष्मकालीन राजधानी में होगा उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा का बजट सत्र
त्रिवेंद्र सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना कदम तो बढ़ाए मगर सच यह भी है कि साल में एक विधानसभा सत्र के आयोजन के अलावा गैरसैंण में ऐसा कुछ होता नहीं जिससे लगे कि यह भी राजधानी है।
विकास धूलिया, देहरादून : उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा का बजट सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधान भवन में सात जून से शुरू होगा। पिछले वर्ष भी बजट सत्र गैरसैंण में ही हुआ था, लेकिन इसके बाद राजनीति में इतना कुछ घटा कि चार महीने में दो-दो बार सरकार में नेतृत्व परिवर्तन देखने को मिला। गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग उत्तराखंड राज्य आंदोलन के समय से ही उठती रही है।
त्रिवेंद्र सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना कदम तो बढ़ाए, मगर सच यह भी है कि साल में एक विधानसभा सत्र के आयोजन के अलावा गैरसैंण में ऐसा कुछ होता नहीं, जिससे लगे कि यह भी राजधानी है। अब विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने इस बात को समझा है। उन्होंने इच्छा जताई है कि यहां कुछ कार्यालय खोले जाने चाहिए, कार्यक्रम होने चाहिए। अब विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है तो उम्मीद है कि उनकी बातों पर जल्द अमल भी होगा।
लगातार छापेमारी से ही सुधरेगी आदत
कुछ दिनों से सरकारी कार्यालयों में कर्मचारी मुस्तैद नजर आ रहे हैं। समय से आकर उपस्थिति दर्ज कराते हैं और अपनी सीट पर बैठ भी रहे हैं। दरअसल, हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अचानक संभागीय परिवहन कार्यालय में छापा मारा। संभागीय परिवहन अधिकारी समेत 25 कर्मचारी अनुपस्थित। संभागीय परिवहन अधिकारी निलंबित, बाकी को थमाया नोटिस।
इसका असर यह हुआ कि अगले दिन से न केवल राजधानी देहरादून, बल्कि जिलों में भी अधिकारी और कर्मचारी राइट टाइम अपने कार्यालयों में पहुंच रहे हैं। जिलों में जिलाधिकारी कर्मचारियों की उपस्थिति जांच रहे हैं। अब यह तय है कि अगले कुछ दिन तक तो मशीनरी ढर्रे पर नजर आएगी, लेकिन समय गुजरने के साथ ही फिर वही पहले की तरह लेटलतीफी। ऐसा इसलिए, क्योंकि अब तक तो ऐसा ही होता रहा है। सरकारी कार्यालयों में इस तरह की छापेमारी का क्रम चलता रहे तो जरूर आदत में सुधार आ जाएगा।
धामी बोले, पर्यटन कर लौटी आप
आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, मगर खाता खोलने में सफलता नहीं मिली। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आम आदमी पार्टी पर तीखा तंज कस दिया। धामी बोले, जिस तरह उत्तराखंड में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, वैसे ही आम आदमी पार्टी एक पर्यटक के रूप में आई और फिर गंतव्य को लौट गई।
धामी यहीं नहीं थमे, साथ में यह भी जोड़ दिया कि आप ने उत्तराखंड की जनता से बड़े-बड़े वादे कर छलने की कोशिश की, लेकिन जनता ने उन्हें इज्जत के साथ विदा कर दिया। दरअसल, चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी छोडऩे का सिलसिला ही शुरू हो गया। यहां तक कि जिस चेहरे को आगे कर आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ा, उसने भी आप को बाय-बाय कह दिया। बात तो सही है, लेकिन देखना यह है कि आप इन परिस्थितियों से किस तरह उबरती है।
हाईकमान के फैसले से कैसी असहमति
कांग्रेस को पूरी उम्मीद थी कि उसकी सत्ता में वापसी होगी, लेकिन भाजपा ने उसके अरमानों पर पानी फेरते हुए लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव में जोरदार जीत दर्ज की। इसके बाद कांग्रेस में उथल-पुथल मचनी थी, हुआ भी ऐसा ही। प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के सिर ठीकरा फूटा, इस्तीफा देना पड़ा।
पिछली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे प्रीतम सिंह पार्टी के सबसे अनुभवी नेताओं में शामिल हैं, उन्हें भी हाईकमान ने तब झटका दे डाला, जब इस विधानसभा में उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देना मुनासिब नहीं समझा। हालांकि प्रीतम काफी तोल-मोल कर बोलते हैं, लेकिन हाल ही में उनका दर्द झलक ही पड़ा। कहा, नेता विधायक दल के चयन में विधायकों से पूछा ही नहीं गया। यह बात गले नहीं उतरी, क्योंकि कांग्रेस तो हमेशा ही नेता चुनने के लिए हाईकमान को अधिकृत करती रही है और नेता गर्व के साथ इसे पार्टी की परंपरा करार देते हैं।