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आखिर क्यों सियासत की गलियों से गुम है सैरगाह, उत्तराखंड में अधर में हैं पर्यटन विकास की योजनाएं

Uttarakhand Election 2022 उत्तराखंड को प्रकृति ने तो संवारा है लेकिन विडंबना ही है कि कुदरत के इस खजाने का सरकारें भरपूर दोहन नहीं कर पाईं। 21 वर्ष के युवा उत्तराखंड में शायद ही किसी चुनाव में यह मुद्दा रहा हो।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 01:50 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 01:50 PM (IST)
आखिर क्यों सियासत की गलियों से गुम है सैरगाह, उत्तराखंड में अधर में हैं पर्यटन विकास की योजनाएं
आखिर क्यों सियासत की गलियों से गुम है सैरगाह।

विजय जोशी, देहरादून। Uttarakhand Election 2022 पर्यटन प्रदेश का सपना संजो रहे उत्तराखंड को प्रकृति ने तो संवारा है, लेकिन विडंबना ही है कि कुदरत के इस खजाने का सरकारें भरपूर दोहन नहीं कर पाईं। 21 वर्ष के युवा उत्तराखंड में शायद ही किसी चुनाव में यह मुद्दा रहा हो। न तो नेता और न ही मतदाता इसे लेकर जागरूक नजर आए। यह सवाल लाजिमी है कि पर्यटन के तौर पर इस पहाड़ी प्रदेश की पहचान आज भी ब्रिटिश काल के दौरान अस्तित्व में आए दो शहर मसूरी और नैनीताल ही बने हुए हैं। पौड़ी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, कौसानी, लैंसडौन, औली और चकराता जैसे खूबसूरत नगर पर्यटन के नक्शे पर वह पहचान नहीं बना पाए, जिसकी जरूरत थी। तीर्थार्टन अवश्य ही प्रदेश की आर्थिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, लेकिन इसमें भी सरकारों की बड़ी भूमिका नहीं है। तीर्थाटन और पर्यटन पर गौर करें तो हर वर्ष यहां करीब साढ़े तीन करोड़ लोग पहुंचते हैं। इनमें से करीब 45 प्रतिशत तीर्थ यात्री ही होते हैं। ऐसा नहीं है कि इस दिशा में पहल न की गई हो। महाभारत और रामायण सर्किट जैसी न जाने कितनी योजनाओं की घोषणाएं हुईं, लेकिन जमीन पर ये आकार नहीं ले पाईं। समय-समय पर शीतकालीन पर्यटन, ईको टूरिज्म, वेलनेस टूरिज्म (आयुर्वेद और योग), साहसिक पर्यटन जैसी बातें भी होती रहीं, लेकिन हालात नौ दिन चले अढाई कोस वाली ही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पर्यटन उत्तराखंड के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसमें रोजगार की असीम संभावना भी छिपी हैं। बस जरूरत है तो इतनी कि आम जन और सियासतदां इस दिशा में गंभीरता दिखाएं। यह वक्त मतदाता का है, यदि वह सवाल पूछेगा तो राजनीतिज्ञ इस मुद्दे की उपेक्षा नहीं कर सकते। विजय जोशी की रिपोर्ट।

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पर्यटन के लिहाज से उत्तराखंड का महत्व

हिंदुओं की आस्था का केंद्र चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के साथ ही सिखों का पवित्र स्थल हेमकुंड साहिब, मुस्लिमों समेत अन्य धर्मो का महत्वपूर्ण स्थल पिरान कलियर शरीफ भी उत्तराखंड में है। उत्तराखंड गंगा और यमुना समेत देश की प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल भी है। यहां स्थित फूलों की घाटी को यूनेस्को ने विश्व विरासत की सूची में शामिल किया है। इसके अलावा तमाम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण स्थल भी सहज ही देश-दुनिया के पर्यटकों को खींचते हैं।

पर्यटन स्थलों की खासियत

नैनीताल, मसूरी, कौसानी, औली जैसे उत्तर भारत के प्रमुख हिल स्टेशन उत्तराखंड में ही हैं। हरे-भरे और घने जंगल इसे 12 नेशनल पार्क और वाइल्डलाइफ अभ्यारण्यों के लिए आदर्श स्थान बनाते हैं। धार्मिक महत्व के स्थल उत्तराखंड की भूमि को देवभूमि का दर्जा प्रदान करते हैं। उत्तराखंड ट्रेकिंग, क्लाइंबिंग और राफ्टिंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स का केंद्र भी है।

अधर में पर्यटन विकास की योजनाएं

प्रदेश के कई प्रमुख पर्यटन स्थलों में विकास और सुविधाओं के सुधारीकरण को योजनाएं बनी तो, लेकिन ज्यादातर योजनाएं महज कागजों में ही दफन होकर रह गईं। किसी को वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली तो कहीं महज टेंडर प्रक्रिया पर ही कार्य सिमट गया। पहाड़ी पर्यटन स्थलों में पार्किंग निर्माण, रोपवे, सड़कों का चौड़ीकरण और पर्यटकों के ठहरने व सैर-सपाटे के दौरान बैठने की उचित व्यवस्था आदि पर कार्य होना बाकी है।

21 साल में पर्यटन व्यवसाय बढ़ा, सुविधाएं जस की तस

उत्तराखंड के सभी तेरह जिले पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। प्रदेश की 70 में से करीब 55 विधानसभा सीट पर पर्यटन राजस्व का अहम जरिया है। प्राकृतिक और धार्मिक पर्यटन तो पर्यटकों को अपनी खींचता रहा है, लेकिन ज्यादातर पर्यटन स्थल अब भी सुविधाओं से परिपूर्ण नहीं हो पाए हैं। खासकर हिल स्टेशनों में पार्किंग, स्वच्छता, दूरसंचार और सड़कों को लेकर अभी तक ठोस प्रयास नहीं किए गए। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक जहां नैसर्गिक सौंदर्य का लुत्फ उठाते हैं, वहीं सुविधाओं के अभाव में परेशानी ङोलने को भी मजबूर रहते हैं। तमाम पर्यटक स्थलों में जन प्रतिनिधियों और सरकार की ओर से ठहरने की भी उचित व्यवस्था नहीं की जा सकी है। जिससे अक्सर पर्यटकों का दबाव बढ़ने पर सिस्टम की पोल खुल जाती है।

13 डिस्टिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना पर कछुआ गति से काम

उत्तराखंड राज्य बने 21 साल पूरे हो चुके हैं। लेकिन, न तो कोई नया पर्यटक स्थल विकसित किया जा सकता और न ही पुराने पर्यटक स्थलों का ही समुचित विकास हो सका। हालांकि, बीते कुछ वर्षो में इस दिशा में प्रयास जरूर जाने लगे हैं। वर्ष 2018 में प्रदेश की पर्यटन नीति आने के बाद पर्यटन विकास और स्वरोजगार की योजनाएं बनाई जाने लगी। मुख्य रूप से 13 डिस्टिक्ट 13 डेस्टिनेशन की कवायद शुरू की गई है। हालांकि, चार साल बीतने के बावजूद अभी तक एक भी डेस्टिनेशन पूर्ण रूप से विकसित नहीं किया जा सका।

सीजन में पर्यटकों के साथ स्थानीय की भी फजीहत

सीजन के दौरान ज्यादातर पर्यटक स्थल सैलानियों से पूरी तरह पैक हो जाते हैं। इससे सरकार की आय और स्थानीय व्यवसायियों को रोजगार तो मिलता है, पर्यटकों को सुविधाओं के अभाव में परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। यही नहीं सीजन में स्थानीय निवासियों को भी फजीहत ङोलनी पड़ती है। प्रदेश के मुख्य पर्यटक स्थल हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी, चकराता, नैनीताल, पौड़ी, टिहरी औली आदि में सीजन में भारी भीड़ उमड़ती है।

पर्यटन बन रहा रोजगार का साधन

उत्तराखंड में पर्यटन राज्य के लिए आय का बड़ा स्रोत है, साथ ही स्थानीय निवासियों को रोजगार भी प्रदान कर रहा है। यही कारण है कि पर्यटन उत्तराखंड के लिए बेहद अहम मुद्दा है। इसमें रोजगार के अवसर पैदा करने की भी अपार संभावनाएं हैं। ऐसे में पर्यटन के क्षेत्र में अधिक से अधिक कार्य करने की आवश्यकता नजर आती है। आम जनता को भी यह भली-भांति अहसास है कि उद्योग से अधिक रोजगार प्रदेश में पर्यटन दे सकता है। हालांकि, सरकार की ओर से चलाई जा रही होम स्टे योजना बीते कुछ समय में खासी लोकप्रिय हुई है। तमाम पर्यटक स्थलों के इर्द-गिर्द होम स्टे पनप रहे हैं। सरकार की ओर से दिए गए ऋण और सब्सिडी के दम पर भव्य व सुविधाजनक होम स्टे स्थापित हो रहे हैं। हालांकि, अब भी इस दिशा में आमजन को जागरूक करने और सरकार की ओर से पर्यटकों को रियायत देने की दरकार है।

नई योजनाओं पर वृहद स्तर पर हो कार्य

प्रदेश में सीता सर्किट, सैन्य धाम इसके साथ ही अन्य छोटे-छोटे स्थलों को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। साल 2018 में राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र को भेज गया था, लेकिन इस पर अभी तक कोई सहमति नहीं बनी। वहीं, पर्यटन को लेकर विशेष यात्र पैकेज, समेत साहसिक पर्यटन के पैकेज तैयार कर पर्यटकों को रियायती दरों पर उपलब्ध कराने की ओर से भी कवायद जरूरी है।

उत्तराखंड में हर तरह के पर्यटन विकल्प

आध्यात्मिक पर्यटन: चारधाम, पंच केदार, पंच बदरी, पंच प्रयाग, हेमकुंड साहिब, पिरान कलियर शरीफ, हरिद्वार।

साहसिक पर्यटन: औली, ऋषिकेश, नई टिहरी, नैनीताल, सात ताल, चोपता, मसूरी।

प्राकृतिक पर्यटन: वैली आफ फ्लावर्स, चौकोरी, चकराता, कौसानी, नैनीताल, मुक्तेश्वर, रानीखेत।

वन्यजीय पर्यटन: जिम कार्बेट नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क, गंगोत्री नेशनल पार्क, बिनसर वन्यजीव अभ्यारण, आसन नम भूमि क्षेत्र।

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