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तो क्या इस बार भी घोषणाओं तक सीमित रहेगा सुसवा नदी का पुल, यहां के ग्रामीणों को है खासी नाराजगी

Uttarakhand Election 2022 पिछले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक मुद्दा बना सुसवा नदी पर ग्राम सभा मारखम ग्रांट को जोड़ने वाला पुल पांच साल में भी नहीं बन पाया। पुल न बनने से ग्रामीणों में खासी नाराजगी है। अब एक और विधानसभा चुनाव आ गया है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 03:48 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 03:48 PM (IST)
तो क्या इस बार भी घोषणाओं तक सीमित रहेगा सुसवा नदी का पुल, यहां के ग्रामीणों को है खासी नाराजगी
Uttarakhand Election 2022 पुल न बनने से ग्रामीणों में खासी नाराजगी है।

संवाद सहयोगी, डोईवाला: Uttarakhand Election 2022 पिछले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक मुद्दा बना सुसवा नदी पर ग्राम सभा मारखम ग्रांट को जोड़ने वाला पुल पांच साल में भी नहीं बन पाया। पुल न बनने से ग्रामीणों में खासी नाराजगी है। अब एक और विधानसभा चुनाव आ गया है। इस बार भी नेता पुल का सपना दिखाने गांव में पहुंचेंगे। मगर, इतना जरूर है कि हर बार के चुनावी वादों से अजीज आ चुके ग्रामीण इस बार रहनुमाओं से पुल को लेकर सवाल जरूर पूछेंगे।

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2017 विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस के विधायक हीरा सिंह बिष्ट ने बुल्लावाला-सत्तिवाला पुल निर्माण को लेकर शिलान्यास के उपरांत शिलापट भी लगवा दिया था। तब आचार संहिता लगने के बाद भाजपा प्रत्याशी एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने चुनाव जीतने पर सुसवा नदी पर बुल्लावाला-सत्तिवाला एवं झबरावाला-खैरी को जोड़ने वाले पुल को बनाने का आश्वासन दिया था। लेकिन त्रिवेंद्र के चार साल मुख्यमंत्री व पांच साल विधायक के रूप में कार्यकाल पूर्ण करने के उपरांत भी यह पुल चुनावी मुद्दे से आगे नहीं बढ़ पाया।

कई बार ग्रामीणों को आश्वस्त करने के लिए यहां पर मृदा परीक्षण भी किया गया, लेकिन इसके बावजूद पुल निर्माण नहीं हुआ। जिससे यहां की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है। अब फिर चुनाव की सरगर्मी शुरू हो गई है। ऐसे में तमाम राजनीतिक दल इस पुल के निर्माण का वादा कर सकते हैं।

बुल्लावाला के क्षेत्र पंचायत सदस्य राजेंद्र तड़ियाल का कहना है कि पुल निर्माण की बात सिर्फ चुनाव में ही की जाती है। धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ है। पुल निर्माण न होने से जनता को परेशानियां ङोलनी पड़ रही है।

खेरी के क्षेत्र पंचायत सदस्य प्राची रजवाल पुल निर्माण न होने से ग्रामीणों को लगभग दस किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। जिससे समय के साथ ही धन की भी बर्बादी होती है। खासकर किसानों को इससे ज्यादा परेशानी ङोलनी पड़ती है।बुल्लावाला निवासी जावेद हुसैन का कहना है कि पुल का निर्माण सिर्फ चुनावी मुद्दा ही रह गया है। धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है। जिससे ग्रामीणों को परेशानी ङोलनी पड़ रही है। किसान नेता गुरेन्दर सिंह का कहना है कि पुल के नाम पर सिर्फ राजनीति हुई है। यदि पुल बनते तो ग्रामीणों को इससे लाभ मिलता। मगर स्थानीय विधायक न होने पर क्षेत्र की हमेशा उपेक्षा हुई है।

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