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एक माह में दूसरी बार उत्तराखंड के दौरे पर मोदी, कांग्रेस के माथे पर बल; अपनाई जा सकती है ये रणनीति

Uttarakhand Election 2022 उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के सामने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनौती के रूप में आ डटे हैं। देहरादून में चुनावी बिगुल फूंकने के महीनेभर से कम समय में ही हल्द्वानी में मोदी की रैली के बाद अब कांग्रेस पर पलटवार का दबाव है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Fri, 31 Dec 2021 08:29 AM (IST)Updated: Fri, 31 Dec 2021 08:29 AM (IST)
एक माह में दूसरी बार उत्तराखंड के दौरे पर मोदी, कांग्रेस के माथे पर बल; अपनाई जा सकती है ये रणनीति
एक माह में दूसरी बार उत्तराखंड के दौरे पर मोदी, कांग्रेस के माथे पर बल।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Elections 2022 कांग्रेस के माथे पर फिर बल पड़े हैं। उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के सामने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनौती के रूप में आ डटे हैं। देहरादून में चुनावी बिगुल फूंकने के महीनेभर से कम समय में ही हल्द्वानी में मोदी की रैली के बाद अब कांग्रेस पर भी पलटवार का दबाव है। मोदी से मुकाबले के लिए अगले माह जनवरी में कुमाऊं मंडल में राहुल की रैली कराई जा सकती है।

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उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार सत्ता के लिए जोर मार रही भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सीधे निशाने पर कांग्रेस ही है। चालू महीने में पहले देहरादून तो अब हल्द्वानी रैली के माध्यम से मोदी गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में चुनावी शंखनाद कर चुके हैं। मोदी की बीती चार दिसंबर को देहरादून रैली के जवाब में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने 16 दिसंबर को रैली की। कांग्रेस की बड़ी परेशानी मोदी की टक्कर का नेता नहीं होना है। यह कमान राहुल गांधी ही संभाले हुए हैं। अब कुमाऊं मंडल में मोदी से मुकाबले को राहुल को मैदान में उतारा जाएगा।

पार्टी की ङ्क्षचता मोदी के आक्रामक तेवर हैं। उत्तराखंड में आजादी के बाद से ही विकास की गतिविधियां ठप रहने के मुद्दे पर उन्होंने बगैर नाम लिए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर का कहर कांग्रेस देख चुकी है। इसकी वजह से जहां भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला तो कांग्रेस महज 11 सीटों पर सिमट गई थी। यही वजह है कि कांग्रेस विधानसभा के चुनावी युद्ध को मोदी बनाम कांग्रेस नहीं बनाना चाहती। पार्टी इस तरह के ध्रुवीकरण को रोकने की पूरी जुगत भिड़ा रही है।

विपक्षी खेमा विधानसभा चुनाव को सरकार और भाजपा के इधर-उधर ही रखना चाह रहा है। कांग्रेस की प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जल्द ही इस संबंध में अपनी रणनीति के साथ आगे आ सकते हैं। भाजपा की योजना को भांपकर वह पहले ही उत्तराखंडियत की थीम पर चुनाव लड़ने के संकेत दे चुके हैं। मोदी से मुकाबले को महंगाई और बेरोजगारी के साथ उत्तराखंडियत के मुद्दे को आगे किया गया है।

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