Uttarakhand Crime News: देहरादून में फर्जी तरीके से रह रहा था नाइजीरियन, कोर्ट ने सुनाई छह साल की सजा
Uttarakhand Crime News देहरादून में फर्जी तरीके से रह रहे नाइजीरियन एलविस सिंबो टटोंग को कोर्ट ने छह साल की सजा सुनाई। पुलिस ने उसे जून 2010 में आइएमए की पासिंग आउट परेड के दौरान प्रेमनगर से पकड़ा था।
जागरण संवाददाता, देहरादून: Uttarakhand Crime News: बिना पासपोर्ट व वीजा के धर्म परिवर्तन कर प्रेमनगर क्षेत्र में रह रहे एक नाइजीरियन को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय संजय सिंह की अदालत ने छह वर्ष की सजा सुनाई है।
15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया
दोषी पर 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने पर उसे दो महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।
परेड की सुरक्षा को लेकर चलाया था सत्यापन
सहायक अभियोजन अधिकारी सोमिका अधिकारी ने बताया कि आठ जून 2010 को कैंट कोतवाली पुलिस भारतीय सैन्य अकादमी में पासिंग आउड परेड की सुरक्षा को लेकर शहर में सत्यापन अभियान चलाया। केहरी गांव में भी सत्यापन अभियान चलाया गया।
संदिग्ध व्यक्ति से की पूछताछ
इस दौरान गांव में एक संदिग्ध दिखाई दिया। एलआइयू के कर्मचारी राममूर्ति सिंह की ओर से कार्यालय में इसकी सूचना दी गई। इसके बाद विदेशी शाखा प्रभारी एसआइ बृजमोहन सिंह गुसाईं व एसआइ लक्ष्मण सिंह मौके पर पहुंचे और संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ की।
खुद को नाइजीरिया का निवासी बताया
इस पर उसने खुद को नाइजीरिया का निवासी बताया, जिसके बाद एलआइयू उसे कार्यालय लेकर आई और दोबारा पूछताछ की। इस दौरान उसने अपना नाम एलविस सिंबो टटोंग बताया और कहा कि उसने नंदा की चौकी निवासी मधु क्षेत्री के साथ वर्ष 2007 में कोर्ट मैरिज की थी।
नहीं दिखा पाया पासपोर्ट व वीजा की कापी
पहचान छिपाने के लिए उसने शादी के दौरान कोर्ट में ईसाई से हिंदू धर्म परिवर्तन का शपथ पत्र दिया था। वह एलआइयू को पासपोर्ट व वीजा की कापी भी नहीं दिखा पाया।
- उसने विदेशी पंजीकरण कार्यालय में अपने निवास की सूचना भी नहीं दी थी। इस मामले में राममूर्ति सिंह रावत की तहरीर पर आरोपित एलविस सिंबो टटोंग के विरुद्ध आठ जून 2010 को मुकदमा दर्ज किया गया।
सजा पूरी होने पर नाइजीरिया छोड़ने के आदेश
करीब 12 वर्ष बाद अदालत ने एलविस सिंबो टेटोंग को दोषी मानते हुए छह वर्ष की कैद और 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि सजा की अवधि पूरी होने के बाद दोषी को उसके देश में छोड़ने के आदेश दिए हैं।