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उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार मंच ने मांगों को लेकर फूंका सीएम का पुतला

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूर्व गुपचुप पदोन्नति करने का आरोप लगाते हुए उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार मंच ने लैंसडौन चौक पर मुख्यमंत्री का पुतला फूंका।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 04:44 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 04:44 PM (IST)
उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार मंच ने मांगों को लेकर फूंका सीएम का पुतला
उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार मंच ने मांगों को लेकर फूंका सीएम का पुतला

देहरादून, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूर्व गुपचुप पदोन्नति करने का आरोप लगाते हुए उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार मंच ने शुक्रवार को लैंसडौन चौक पर मुख्यमंत्री का पुतला फूंका। मंच ने सरकार को चेतावनी दी कि छात्रवृत्ति घोटाले की सीबीआइ से जांच कराने, दाइयों के मानदेय बढ़ोत्तरी व घुमंतू जातियों को आवास मुहैया कराने के संबंध में जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया तो संगठन उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगा।

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मंच के प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर ने कहा कि 69 दिन से आंदोलन पर बैठीं बुजुर्ग आंदोलनकारी महिलाओं की सरकार ने कोई सुध नहीं ली है। उन्होंने कहा कि हमारी जो भी मांगें हैं, वह राज्य सरकार के दायरे में आती हैं, लेकिन वह उन्हें अनसुना कर रही है। इससे प्रतीत होता है कि सरकार कितनी असंवेदनशील है। ई-रिक्शा चालक भी कई दिन से आंदोलन की राह पर हैं, लेकिन उनकी समस्याओं को सुनने के बजाए उन पर अव्यवहारिक नियम थोपा जा रहा है। ई-रिक्शा पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित हैं, फिर भी उन्हें मुख्य मार्गों से हटाने का कुचक्र रचा जा रहा है। इस मौके पर दाई मोर्चा की अध्यक्ष लक्ष्मी देवी, घुमंतू जनजाति मोर्चा की अध्यक्ष मुबी देवी, संदीप, प्रवेश, सुरेंद्र सिंह रावत, सुमित्रा देवी, प्यारो देवी, डिंपल, सीमा, राजेश कुमार, मुख्तार अंसारी, अयूब अख्तर, राजेंद्र कुमार, सुरेंद्र कुमार, वीरेंद्र सिंह, प्रेम सिंह व अन्य मौजूद रहे। 

यूं ही नहीं कर रहे विरोध, सरकार करे विचार

शाहीन बाग की तर्ज पर देहरादून के परेड ग्राउंड में चल रहे मुस्लिम समुदाय व अन्य वर्गों का धरना शुक्रवार को 12वें दिन भी जारी रहा। वक्ताओं ने कहा कि वह सीएए का यूं ही नहीं कर रहे। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता रजिया बेग ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून में तमाम पेचीदीगियां हैं, जिनके बारे में सरकार नहीं बता रहा है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को लिया तो पहले जनगणना के वक्त दस सवालों के जवाब देने होते थे, लेकिन अब पचास से अधिक सवालों की फेहरिस्त बना दी गई है। इसमें कई सवाल वर्ग विशेष के लोगों के लिए हैं।

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इसी तरह सीएए भी है, उसकी कड़ी शर्तों की सरकार अपनी तरह से व्याख्या कर रही है। फिरोजपुर (पंजाब) से आए गुरमीत सिंह ने कहा कि सीएए को लेकर सामने आ रही बातों पर सरकार को गौर करते हुए उन नियमों को बदलना होगा, जिससे समाज में लोग आंदोलन की राह पर चल रहे हैं। इस मौके पर रईस फातिमा, अमरजीत सिंह, सरदार राजेंद्र सिंह, सरदार गगन दुग्गल, बच्ची राम कंसवाल, सैफ, अजहर अली, महेंद्र राणा, लताफत हुसैन, राहुल राणा, शकुंतला गुसाईं व अन्य मौजूद रहे।

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