Move to Jagran APP

Uttarakhand Chunav 2022: 13 प्रतिशत की छलांग ने दिलाई सबसे बड़ी जीत

Uttarakhand Vidhan Sabha Chunav 2022 उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों में से वर्ष 2017 के चुनाव बिल्कुल एकतरफा रहे। यह पहला अवसर था जब कोई पार्टी तीन-चौथाई से अधिक बहुमत हासिल कर सत्ता तक पहुंची।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 09:53 AM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 09:53 AM (IST)
Uttarakhand Chunav 2022: 13 प्रतिशत की छलांग ने दिलाई सबसे बड़ी जीत
उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों में से वर्ष 2017 के चुनाव बिल्कुल एकतरफा रहे।

विकास धूलिया, देहरादून। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों में से वर्ष 2017 के चुनाव बिल्कुल एकतरफा रहे। यह पहला अवसर था, जब कोई पार्टी तीन-चौथाई से अधिक बहुमत हासिल कर सत्ता तक पहुंची। इससे पहले के तीन चुनाव में सरकार बनाने वाली पार्टी को मामूली बहुमत मिला या फिर सबसे बड़ी पार्टी ने अन्य के साथ मिलकर सरकार बनाई। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 57 सीटें मिली, तो कांग्रेस महज 11 पर सिमट गई। चुनाव परिणाम का दिलचस्प पहलू यह रहा कि कांग्रेस के मत प्रतिशत में वर्ष 2012 के मुकाबले केवल 0.29 प्रतिशत की कमी आई, जिसने सीटों में इतना अंतर पैदा कर दिया।

loksabha election banner

नमो मैजिक में सभी को था जोरदार प्रदर्शन का भरोसा

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की पांचों सीटों पर जीत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जादू को देखते हुए राजनीतिक गलियारों में तय माना जा रहा था कि भाजपा वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पहले की अपेक्षा जोरदार प्रदर्शन करेगी, लेकिन तब किसी ने यह आकलन नहीं किया था कि उसे मिलने वाला जनमत इतना विशाल होगा। वर्ष 2012 के चुनाव में भाजपा को 31 सीट हासिल हुई थीं, जबकि कांग्रेस एक अधिक, यानी 32 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। यही वजह रही कि कांग्रेस को सरकार बनाने का आमंत्रण मिला और उसने बाहरी समर्थन से सरकार बना अवसर को भुना भी लिया।

पिछली बार की अपेक्षा 2017 में जनमत में भारी वृद्धि

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 33.79 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि भाजपा के हिस्से आए 33.13 प्रतिशत मत। इसका मतलब यह हुआ कि कांग्रेस के हाथ भाजपा से केवल 0.66 प्रतिशत अधिक मतों के कारण सूबे की सत्ता आ गई। पिछले विधानसभा चुनाव, यानी 2017 में भाजपा ने 13 प्रतिशत से अधिक मतों की छलांग लगाई और उसके मत प्रतिशत का आंकड़ा जा पहुंचा 46.50 तक, जिसके बूते उसने 57 सीटों पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस के मतों में केवल 0.29 प्रतिशत की गिरावट आई। उसे प्राप्त हुए 33.50 प्रतिशत मत, लेकिन इससे उसके खाते में केवल 11 ही सीट आ पाईं।

मामूली गिरावट ने दिखाया सत्ता से बाहर का रास्ता

साफ है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया और पार्टी अपना वोट बैंक सहेजने में लगभग सफल रही। इसके विपरीत भाजपा के मत प्रतिशत में 13.37 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। कहा जा सकता है कि भाजपा ने ये जो अतिरिक्त मत हासिल किए, वे अन्य दलों या निर्दलीयों के हिस्से के थे। इन 13 प्रतिशत मतों ने उत्तराखंड का पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदल कर रख दिया। पिछले चुनाव में विभिन्न पार्टियों को मिले मतों का विश्लेषण करें तो स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस अपनी राजनीतिक जमीन बचाने में तो सफल रही, मगर अन्य दलों व निर्दलीयों के मत प्रतिशत में कमी ने उसे सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

अन्य से छिटके मतदाताओं ने किया भाजपा का रुख

बहुजन समाज पार्टी पहले तीन विधानसभा चुनाव में तीसरी राजनीतिक ताकत के तौर पर स्थापित रही, लेकिन पिछले चुनाव में उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। बसपा को इस चुनाव में वर्ष 2012 की अपेक्षा 5.19 प्रतिशत कम मत मिले। इसी तरह उत्तराखंड क्रांति दल का मत प्रतिशत 2.48 घटा, जबकि निर्दलीयों का हिस्सा भी पिछली बार के मुकाबले 2.34 प्रतिशत कम रहा। समाजवादी पार्टी भी वर्ष 2012 के अपने प्रदर्शन से 1.01 प्रतिशत मत कम ले पाई। पिछले चुनाव में पहली बार नोटा का प्रयोग हुआ और लगभग एक प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। यह मत प्रतिशत कुल मिलाकर 12 के आसपास ही रहा। कहा जा सकता है कि ये मत पूरी तरह भाजपा की ही झोली में गए, जिसने उसे उत्तराखंड के चुनावी इतिहास की सबसे बड़ी जीत में बदल दिया।

यह भी पढ़ें:- उत्तराखण्ड चुनाव 2022: नमो लहर में कांग्रेस का अब तक का सबसे कमजोर प्रदर्शन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.