आजादी के बाद से देश ने अब तक गढ़े अनेक प्रतिमान, ऐसा करने वाला उत्तराखंड बना पहला राज्य
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शनिवार को आजादी के अमृत महोत्सव पर हुई चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने ये बातें कहीं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। सदन में आजादी के अमृत महोत्सव पर चर्चा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। लंबे संघर्ष, त्याग और बलिदान के बाद देश को आजादी मिली, जिसे संजोकर रखना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। 15 अगस्त 1947 से लेकर अब तक के कालखंड में देश ने प्रत्येक क्षेत्र में अनेक प्रतिमान गढ़े हैं। आज संपूर्ण विश्व में भारत का डंका बज रहा है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शनिवार को आजादी के अमृत महोत्सव पर हुई चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने ये बातें कहीं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। इसके साथ ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया, जहां सदन में आजादी के अमृत महोत्सव पर चर्चा की शुरुआत की गई है।
वक्ताओं ने कहा कि आजादी के आंदोलन में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी रही, लेकिन अनाम स्वतंत्रता सेनानी और शहीद ऐसे भी हैं, जिनके नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं हैं। आजादी के अमृत महोत्सव में उन्हें भी याद किया जाना आवश्यक है। ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व और और उनसे जुड़े स्थलों आदि के बारे में भावी पीढ़ी को अवगत कराया जाना चाहिए। उन्होंने इतिहास की चूक को रेखांकित किया और कहा कि स्वतंत्रता सेनानी सबकी धरोहर हैं।
उन्होंने कहा कि इन 75 वर्षों में देश ने हर क्षेत्र में तरक्की की है। आजादी के समय देश में सुई तक का निर्माण नहीं होता था और आज हम चांद और मंगल ग्रह तक पहुंचे हैं। आज देश में वर्षों से अटके विषयों का समाधान हुआ है। उन्होंने आजादी के आंदोलन में उत्तराखंड के योगदान को भी याद किया।
ये भी उठी मांग
-आजादी की लड़ाई में उत्तराखंड के योगदान से संबंधित दस्तावेज तैयार करने को बने कमेटी
-स्वतंत्रता सेनानियों के स्वजन को भूमि उपलब्ध कराने को पूर्व में जारी शासनादेश पुनर्जीवित हो
-आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर नेहरू युवा केंद्र के माध्यम से हों वर्चुअल संगोष्ठियां
-प्रत्येक जिले में व्याख्यानमाला के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानियों के व्यक्तित्व-कृतित्व की दी जाए जानकारी
चर्चा में इन्होंने लिया भाग
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमंचद अग्रवाल ने आजादी के अमृत महोत्सव पर रोशनी डाली। चर्चा में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, बिशन सिंह चुफाल व अरविंद पांडेय, विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ चौहान, विधायक मदन कौशिक, मुन्ना सिंह चौहान, केदार सिंह रावत, महेंद्र भट्ट, सुरेश राठौर, देशराज कर्णवाल, सौरभ बहुगुणा, विनोद चमोली, राम सिंह कैड़ा, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा, काजी निजामुद्दीन, गोविंद सिंह कुंजवाल, ममता राकेश, आदेश चौहान, हरीश धामी आदि ने भाग लिया।
आरोप-प्रत्यारोप से अछूती न रह सकी चर्चा
आजादी के अमृत महोत्सव पर सदन में हुई चर्चा आरोप-प्रत्यारोप से अछूती न रह सकी। सत्तापक्ष की ओर से केंद्र की वर्तमान सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया तो विपक्ष ने टोका-टाकी करते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने भी अनेक कार्य किए हैं। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष द्वारा सदन को राजनीतिक मंच बनाया जा रहा है। सत्तापक्ष ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में उपलब्धियों का उल्लेख करना कोई गलत नहीं है। इस पर पीठ ने व्यवस्था दी कि सदस्य अपनी बात रखते हुए एक-दूसरे पर कटाक्ष न करें।
विस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के बीच नोकझोंक
चर्चा के दौरान विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के बीच तब नोकझोंक हो गई, जब नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पीठ को शुरुआत में ही साफ कर देना चाहिए था कि चर्चा में कोई आरोप-प्रत्यारोप व कटाक्ष न हो। हालांकि, बाद में अपनी बात रखते हुए नेता प्रतिपक्ष ने इसके लिए पीठ के समक्ष खेद भी जताया।
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