विधानसभा सत्र: सदन में सवाल कुछ पूछे गए और जवाब कुछ और आए
विधानसभा सत्र के पहले दिन सदन में कई बार ऐसे हालात बने कि सवाल कुछ पूछे गए और जवाब कुछ और आए। पीठ ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: अब इसे मंत्रियों का अधूरा होमवर्क कहें या फिर सवालों में उलझना, विधानसभा सत्र के पहले दिन सदन में कई बार ऐसे हालात बने कि सवाल कुछ पूछे गए और जवाब कुछ और आए। पीठ ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया। भाजपा विधायक तो फिर भी अपने सवालों के सही जवाब न मिलने पर चुप्पी साध गए, लेकिन विपक्ष ने इस पर आपत्ति जताई। ऐसे में संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत को कुछ सवालों पर मोर्चा संभालना पड़ा।
मंगलवार को सत्र के पहले दिन प्रश्नकाल में समाज कल्याण, पर्यटन, परिवहन, सिंचाई व संस्कृति विभाग के सवाल आए। भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना द्वारा नंदा देवी कन्याधन योजना के संबंध में पूछे गए सवाल पर विभागीय मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि इस योजना के तहत सभी राष्ट्रीयकृत, अर्द्धसरकारी व निजी बैंकों में संयुक्त खाते खोले जा सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या पहले केवल एसबीआइ अधिकृत था और क्या बाद में सभी बैंकों को इसमें शामिल करने के आदेश जारी किए गए, इस पर कोई जवाब नहीं आया। इसी तरह विभिन्न पेंशन योजनाओं में आय के मानक के संबंध में पूछे गए सवाल पर भी केवल उतना ही जवाब मिला, जितना लिखा गया था। अनुपूरक प्रश्न पर भी यही जवाब दोहराया गया।
इसी तरह टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास परिषद द्वारा साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए गए खर्च, इससे हुए फायदे और रोजगार के संबंध में पूछे गए सवाल पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि स्थानीय लोगों को लाइसेंस दिए गए हैं। विपक्ष द्वारा बिंदुवार जानकारी मांगे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने मोर्चा संभाला। बाद में विधायक को सूचना उपलब्ध किए जाने की बात कही गई। टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण केवल सीइओ के भरोसे टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण का गठन हुए दो साल हो गए हैं लेकिन अभी तक इसमें विशेषज्ञ नामित नहीं किए गए हैं।
यहां तक कि इसके संचालन के लिए कोई नियम अस्तित्व में नहीं हैं। इसमें 24 पद सृजित हैं लेकिन किसी पर भी भर्ती नहीं हुई है। इसके सीइओ के रूप में फिलहाल जिलाधिकारी टिहरी सारी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इसके तहत प्राधिकरण क्षेत्र में साहसिक जल क्रीड़ा के 48 लाइसेंस निर्गत किए गए हैं। विधायक प्रीतम सिंह पंवार द्वारा इस संबंध में पूछे गए सवाल पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि हाईकोर्ट से लगी रोक के कारण नए लाइसेंस जारी नहीं हो पा रहे थे लेकिन अब रोक हट चुकी है ऐसे में जल्द ही नए लाइसेंस जारी किए जाएंगे।
छात्रवृत्ति योजनाओं के लंबित मामलों का होगा भुगतान प्रदेश में वर्ष 2015-16 और 2016-17 की लंबित गौरा कन्याधन योजना के अंतर्गत दी जानी वाली छात्रवृत्तियों का भी भुगतान किया जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया चल रही है। यह जानकारी समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने छात्रवृत्ति योजनाओं के संबंध में विधायक भरत चौधरी द्वारा पूछे गए सवाल पर दी। समाज कल्याण मंत्री ने बताया कि पहले बीते वर्ष की लंबित छात्रवृति को नए बजट में शामिल नहीं किया जाता था। इससे लाभार्थी वंचित रह जाते हैं। अब सरकार पुराने मामलों में भी धन का आवंटन करने की तैयारी कर रही है।
सदन में उठा पिरान कलियर को पांचवा धाम उठाने का मसला सदन में विधायक फुरकान अहमद ने पिरान कलियर दरगाह को पांचवां धाम बनाने का मसला उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या सरकार पिरान कलियर को पांचवा धाम व सरकारी मेला घोषित करने पर विचार कर रही है। इस पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि फिलहाल सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है। जहां तक मेले की बात हैं तो जिलाधिकारी के द्वारा कोई प्रस्ताव आएगा तो उस पर विचार किया जाएगा। बाढ़ से हुए नुकसान को बनेगी कार्ययोजना प्रदेश में इस समय 84 बाढ़ सुरक्षा योजनाएं हैं, जिनके लिए प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियां प्रदान कर दी गई हैं। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि प्रदेश में भारी बरसात के चलते आई बाढ़ से खासा नुकसान हुआ है। हजारों बीघा भू-कटाव हुआ है।
सरकार के संज्ञान में यह बात है और बाढ़ से हुए नुकसान को देखते हुए विस्तृत कार्ययोजना बनाई जाएगी। केवल 23 फीसद विधवाओं को मिला बेटी की शादी को अनुदान प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2015 में शुरू की गई योजनाएं आर्थिक तंगी के कारण अभी तक परवान नहीं चढ़ पा रही है। आलम यह है कि विधवाओं को बेटी के लिए दी जाने वाली 50 हजार रुपये की अनुदान सहायता योजना के तहत केवल 23 प्रतिशत विधवा महिलाओं को ही लाभ मिल पाया है। विधायक ममता राकेश के सवाल पर समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि सरकार को वित्तीय वर्ष 2015-16 और 16-17 में कुल 1732 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 401 पात्र महिलाओं को ही लाभ दिया गया है। 1331 महिलाओं को बजट की उपलब्धता के बाद ही यह लाभ दिया जाएगा।
नए जिलों पर सरकार गंभीर, रिपोर्ट का इंतजार
कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा सत्र के दौरान अधिसूचना जारी होने के बावजूद चार नए जिलों का गठन नहीं होने पर रोष जताते हुए नए जिलों की मांग उठाई। जवाब में विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि नए जिलों के गठन को लेकर सरकार गंभीर है। छोटी प्रशासनिक इकाइयों के गठन के मामले में राजस्व परिषद अध्यक्ष की अध्यक्षता में पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्यवाही की जाएगी। उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने नियम-58 के तहत मामला उठाते हुए कहा कि वर्ष 2011 में भाजपा सरकार के कार्यकाल में चार नए जिलों डीडीहाट, यमुनोत्री, रानीखेत और कोटद्वार के गठन की अधिसूचना जारी की गई थी।
ये जिले आज तक अस्तित्व में नहीं आने से जनता ठगा महसूस कर रही है। रानीखेत सबसे पुरानी तहसील होने के बावजूद इसे कस्बा बनाकर छोड़ दिया गया। विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि अब चकराता, काशीपुर, रुड़की, गैरसैंण, रामनगर और रामगंगा को भी जिला बनाने की मांग की जा रही है। जिलों की मांग को लेकर स्थानीय जनता आंदोलनरत है। पुरोला विधायक राजकुमार ने कहा कि यमुनोत्री जिले का शीघ्र गठन होना चाहिए। विपक्षी विधायकों की ओर से जिलों की पुरजोर मांग उठाने पर सरकार का पक्ष रखते हुए विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने चुटकी ली कि पिछली कांग्रेस सरकार ने पांच साल बीतने पर भी नए जिलों पर फैसला लेने की जरूरत महसूस नहीं की।
उन्होंने बताया कि नए जिलों के साथ ही छोटी प्रशासनिक इकाइयों के गठन के बारे में पुनर्गठन आयोग को आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। आयोग की रिपोर्ट का सरकार को इंतजार है। आपदा से राज्य को बड़ा नुकसान कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने दैवीय आपदा के मानक में संशोधन और मुआवजा राशि बढ़ाने का मुद्दा नियम-58 में उठाया। धामी ने कहा कि आपदा से क्षतिग्रस्त भवनों का पर्वतीय क्षेत्रों में 1 लाख एक हजार दो सौ रुपये की राशि कम है। उन्होंने कहा कि पिथौरागढ़ जिले के साथ ही चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर को आपदा से काफी नुकसान हुआ है। लिहाजा इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।
नमक-खाद्यान्न महंगा बिकने की जांच विधायक धामी ने धारचूला विधानसभा क्षेत्र के सीमांत गांव कोटी समेत कई क्षेत्रों में नमक की बिक्री 100 रुपये प्रति किलो और अन्य खाद्यान्न 150 रुपये प्रति किलो बिकने की शिकायत भी की। उन्होंने आपदा प्रभावित क्षेत्रों से लोगों की हेलीकॉप्टर से आवाजाही में अधिक किराया लेने पर आपत्ति की। जवाब में विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि आपदा में मुआवजे को लेकर केंद्र सरकार की ओर से मानक निर्धारित हैं। सरकार आपदा के दौरान तुरंत बचाव, राहत पर विशेष जोर दे रही है। इससे बचाव और राहत कार्यो में तेजी आई है।
उन्होंने सीमांत क्षेत्रों में महंगी दरों पर राशन की बिक्री की जांच के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पिथौरागढ़ जिले में आपदा प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक ले जाने में किसी भी तरह का हवाई शुल्क नहीं लिया गया है। इस सेवा में पांच दिन का विस्तार किया गया है। जरूरत पड़ने पर यह समय सीमा आगे बढ़ाई जा सकती है। किराया सिर्फ एक तरफ का ही लेने पर विचार करने का भरोसा भी उन्होंने दिया।
दो नए विधेयक, राजभवन ने लौटाया विधेयक
विधानसभा में मंगलवार को दो विधेयक न्यायालय शुल्क (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक और उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश शीरा नियंत्रण अधिनियम, 1964) अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश, 2002 (संशोधन) विधेयक सदन के पटल पर रखे गए। वहीं राज्यपाल की ओर से लौटाए गए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (संशोधन) विधेयक को पुनर्विचार के लिए सदन में रखा गया। उधर, विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार शाम छह बजे तक चली। इसके बाद सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई।
अब अदालतों में ई-भुगतान सुविधा न्यायालय शुल्क (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक के जरिये वर्तमान परिस्थितियों में नैनीताल हाईकोर्ट व राज्य के समस्त अधीनस्थ न्यायालयों में ई-भुगतान एवं ई-स्टांपिंग के माध्यम से न्यायालय शुल्क जमा कराने की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। वहीं उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश शीरा नियंत्रण अधिनियम, 1964) अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश, 2002 (संशोधन) विधेयक के कानून की शक्ल लेने के बाद शीरे के अवैध कारोबार में लिप्त व्यक्ति से जुर्माने की राशि पांच हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये की गई है। इस प्रावधान के लिए अधिनियम की धारा-16 में संशोधन प्रस्तावित किया गया है।
पुनर्विचार को विधेयक सदन में पेश पिछले विधानसभा सत्र में पारित किए गए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (संशोधन) विधेयक पर राज्यपाल ने आपत्ति लगा दी थी। इस विधेयक में सरकार की ओर से आयोग के अध्यक्ष व दो सदस्यों के स्थान पर अध्यक्ष व एक सदस्य का प्रावधान किया गया। राज्यपाल ने इस विधेयक को पुनर्विचार के लिए सरकार को लौटाया है। सरकार ने इस संबंध में सदन को सूचित किया है।
पिटकुल की रिपोर्ट प्रस्तुत सदन में आज पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड की 2007-08 की चतुर्थ से लेकर 2014-15 तक 11वीं वार्षिक रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की गई। सदन में आज उत्तराखंड सेवानिवृत्ति लाभ (संशोधन) अध्यादेश, उत्तराखंड राज्य सूक्ष्म तथा लघु उद्यम सुकरीकरण परिषद नियमावली भी पेश की गई। अस्तित्व में आए 16 अधिनियम सदन में आज 16 अधिनियमों के अस्तित्व में आने की सूचना भी दी गई। पिछले विधानसभा सत्र में पारित विधेयक अब अधिनियम की शक्ल ले चुके हैं। सदन में आज 40 याचिकाएं स्वीकार की गई। इनमें 25 याचिकाएं सिर्फ झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल की रहीं। छह याचिकाएं विधायक शक्तिलाल शाह, छह याचिकाएं बलवंत भौर्याल व एक याचिका ममता राकेश की हैं। विधायकों की ओर से नियम 300 में 18 सूचनाएं मिलीं। सदन ने 18 में से छह सूचनाएं स्वीकार की हैं।
विधानसभा में हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार: त्रिवेंद्र
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा को तैयार है। विपक्ष को सदन में वॉकआउट करने की बजाय चर्चा में भाग लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायकों ने सदन में बहुत अच्छे सवाल उठाए हैं। मंगलवार को विधानसभा सत्र के दौरान मीडिया से अनौपचारिक बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष को वॉकआउट नहीं करना चाहिए था, बल्कि इस संबंध में हुई चर्चा में भाग लेना चाहिए था। सरकार उनके सवालों को सुन रही है और उन्हें धैर्य से जवाब सुनना चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि उन्हें अपने सवालों के जवाब से मतलब नहीं बल्कि उनका मकसद केवल शोर शराबा करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महंगाई के मुद्दे पर जो सवाल विधायकों ने उठाए हैं, चाहे वे तेल पर प्रश्न हों या फिर खाद्यान्न पर, सभी का जवाब संसदीय कार्य मंत्री द्वारा दिया गया है। उन्होंने कहा कि महंगाई पूरी तरह नियंत्रण में हैं जबकि पेट्रोल व डीजल की कीमत बढ़ने का कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का मूल्य बढ़ना है। कानून-व्यवस्था के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही के दिनों में हुई रेप जैसे जघन्य अपराधों पर पुलिस द्वारा तेजी से कार्यवाही कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। आज हुई हत्या के आरोपितों को पहचान लिया गया है और बहुत जल्दी उनकी गिरफ्तारी भी हो जाएगी। उन्होने कहा कि अपराधों पर नियंत्रण के लिए पुलिस तत्परता से काम कर रही है। सभी तारांकित प्रश्नों के आए जवाब विधानसभा सत्र का पहला दिन कई मायनों में खास रहा। मंगलवार को प्रश्नकाल में सदन पटल पर रखे गए सभी 21 तारांकित प्रश्नों के जवाब आए। इसमें विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की खास भूमिका रही। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सदन के पहले दिन का काम की दृष्टि से अच्छा बताया। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल के दौरान सभी विधायकों के सदन में रखे गए प्रश्नों का जवाब आया। ऐसे बहुत कम होता है कि सभी सवालों के जवाब आएं।
मलिन बस्तियों पर मेहरबान सरकार
प्रदेश की मलिन बस्तियों पर सरकार मेहरबान है। मलिन बस्तियों में तोडफ़ोड़ और अतिक्रमण हटाने से राहत देने के उद्देश्य से जुलाई में लाए गए अध्यादेश को विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन मंगलवार को सदन के पटल पर रखा गया। इसके तहत तीन साल के भीतर मलिन बस्तियों व झुग्गी झोपड़ियों के रूप में हुए अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण के समाधान के लिए सरकार तीन वर्ष के भीतर प्रयास करेगी। इसके पीछे मंशा नगर निकायों के सतत एवं नियोजित विकास की है। यह भी साफ किया गया है कि 11 मार्च 2016 के बाद किसी भी अतिक्रमण पर यह व्यवस्था लागू नहीं होगी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण को लेकर मुहिम चली तो इसकी जद में मलिन बस्तियां व झुग्गी-झोपड़ियां भी आईं। वहां बाकायदा मार्किंग तक की गई। इसे लेकर उठे विरोध के बाद सरकार की ओर से मलिन बस्तियों को राहत देने के मद्देनजर जुलाई में उत्तराखंड (नगर निकायों एवं प्राधिकरणों हेतु विशेष प्रावधान) अध्यादेश-2018 लाया गया। राज्यपाल से अनुमोदन मिलने के बाद 26 जुलाई को इसका गजट नोटिफिकेशन हुआ।
इस अध्यादेश को सरकार ने मंगलवार को विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सदन के पटल पर रखा। राज्य के सभी नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में लागू इस अध्यादेश में साफ है कि सरकार तीन साल के भीतर मलिन बस्तियों के रूप में हुए अनधिकृत निर्माण व अतिक्रमण के समाधान को सभी संभव प्रयास करेगी।
इसमें 11 मार्च 2016 की स्थिति के अनुसार यथास्थिति बनायी रखी जाएगी। यह भी कहा गया है कि अनधिकृत निर्माण से संबंधित प्रकरणों में किसी भी स्थानीय निकाय व प्राधिकरण की ओर से दिए गए नोटिस के फलस्वरूप होने वाली किसी भी दंडात्मक कार्यवाही को अध्यादेश लागू होने की तिथि से तीन साल के लिए स्थगित रखा जाएगा।
इन पर लागू नहीं होंगे प्रावधान
-11 मार्च 2016 के पश्चात प्रारंभ किए गए और निर्माणाधीन किसी भी प्रकार के अनधिकृत निर्माण कार्य
-सार्वजनिक सड़क, पैदल मार्ग, फुटपाथ और गलियों व पटरियों पर किए गए अतिक्रमण, अनिधकृत निर्माण व विकास
-सार्वजनिक भूमि पर किया गया कोई भी अतिक्रमण जो कि धारा-चार की उपधारा एक से आच्छादित न हो
अब सरकार के हाथ में आई चाबी
उत्तराखंड (नगर निकायों एवं प्राधिकरणों हेतु विशेष प्रावधान) अध्यादेश-2018 के जरिये सरकार ने मलिन बस्तियों के मामले में चाबी अपने हाथ में ली है। नगर निकायों व प्राधिकरणों को निर्देश हैं कि वे अध्यादेश का अनिवार्य रूप से पालन करेंगे। साथ ही सरकार समय-समय पर निकायों व प्राधिकरणों को निर्देश दे सकेगी। असल में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने मलिन बस्तियों के सुधार, विनियमितीकरण, पुनर्वासन, पुनव्र्यवस्थापना और उससे संबंधित व्यवस्थाओ एवं अतिक्रमण निषेध नियमावली 2016 लागू की थी। इसमें मलिन बस्तियों का नियमितीकरण भी होना था, लेकिन इसमें कुछेक घर ही कवर हो पा रहे थे। जब मौजूदा सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं और जुलाई में लाया गया अध्यादेश, जो कि अब अधिनियम बनने की ओर अग्रसर है, इसी का नतीजा है।
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