Uttarakhand Assembly Bharti Scam: समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक, भर्तियों में हुआ था समानता के अधिकार का उल्लंघन
Uttarakhand Assembly Bharti Scam तदर्थ नियुक्तियों को लेकर पिछले वर्ष गठित कोटिया समिति की अब सार्वजनिक की गई रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार नियुक्तियों में सभी पात्र एवं इच्छुक अभ्यर्थियों को समानता का अवसर प्रदान न करके संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन किया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: Uttarakhand Assembly Bharti Scam: उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2001 से 2022 तक हुई तदर्थ नियुक्तियों में सभी पात्र एवं इच्छुक अभ्यर्थियों को समानता का अवसर प्रदान नहीं करके संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन किया गया है।
तदर्थ नियुक्तियों को लेकर पिछले वर्ष गठित कोटिया समिति की अब सार्वजनिक की गई रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर गत वर्ष सितंबर में वर्ष 2016 से 2021 तक की 227 व वर्ष 2003 की एक तदर्थ नियुक्ति निरस्त कर दी गई थी।
समिति ने यह भी कहा है कि वर्ष 2001 से 2015 तक नियुक्त 168 तदर्थ कर्मियों का विनियमितीकरण हो चुका है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा उमा देवी मामले में दिए गए निर्णय के परिप्रेक्ष्य में इसका विधिक परीक्षण कराया जाना उपयुक्त होगा। इसके बाद ही इनके संबंध में निर्णय लिया जाना उचित होगा।
सेवानिवृत्त आइएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की थी
विधानसभा में वर्ष 2021 में हुई 72 तदर्थ नियुक्तियों का मामला तूल पकड़ने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने विधानसभा सचिवालय में हुई नियुक्तियों की जांच को गत वर्ष तीन सितंबर को सेवानिवृत्त आइएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की। समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने 23 सितंबर को वर्ष 2003 की एक, वर्ष 2016 की 149, वर्ष 2020 की छह और वर्ष 2021 की 72 नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था।
समिति ने इन नियुक्तियों को अवैध माना था। साथ ही, तब विधानसभा के तत्कालीन सचिव मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया गया। बाद में सिंघल को संयुक्त सचिव पद पर पदावनत भी कर दिया गया था। बर्खास्त किए गए कर्मी इस मामले को उच्च न्यायालय में ले गए और वहां प्रकरण विचाराधीन है। इस बीच वर्ष 2001 से 2015 तक की नियुक्तियों को लेकर भी प्रश्न उठाए जाने लगे। साथ ही, कोटिया समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग उठ रही थी।
विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर अब यह रिपोर्ट विधानसभा की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न नियमावलियों के आधार पर विधानसभा सचिवालय में सीधी भर्ती के आधार पर की गई अनेक नियुक्तियां नियम विरुद्ध पाई गई हैं। इनमें नियमावलियों के अनेक प्रविधानों का उल्लंघन किया गया है।
साथ ही अपनाई गई प्रक्रिया विधि सम्मत नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2001 से 2015 तक की 168 नियुक्तियों का वर्ष 2013 व 2016 में सचिवालय सेवा भर्ती नियमावली के तहत विनियमितीकरण हो चुका है। इन्हें घटाते हुए शेष 228 नियुक्तियां अवैध व निरस्त करने योग्य हैं।
पारदर्शिता के उद्देश्य से कोटिया समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है। जहां तक वर्ष 2001 से 2015 तक के कर्मियों की बात है तो यह मामला एकदम अलग है। वैसे भी उच्च न्यायालय में हटाए गए कर्मियों का प्रकरण विचाराधीन है। ऐसे में कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती।
-ऋतु खंडूड़ी भूषण, अध्यक्ष उत्तराखंड विधानसभा