उत्तराखंड विस भर्ती प्रकरण : निलंबित सचिव मुकेश सिंघल को गैरसैंण भेजा, 5 साल में इन्हें मिले थे तीन प्रमोशन
Uttarakhand Assembly Bharti Scam भर्ती प्रकरण में निलंबित सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल को गैरसैंण से सम्बद्ध कर दिया गया है। जांच के दायरे में सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल भी हैं। उप सचिव शोध से सचिव विधानसभा बने सिंघल को पांच साल में तीन पदोन्नति दी गईं थीं।
टीम जागरण, देहरादून : Uttarakhand Assembly Bharti Scam : विधानसभा सचिवालय में हुए भर्ती घपले में निलंबित सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल को अब ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण स्थित विधानसभा कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण द्वारा इसके आदेश जारी किए जाने के बाद सिंघल गैरसैंण चले भी गए हैं। उधर, विधानसभा में निरस्त की गई सभी 228 नियुक्तियों के मामले में संबंधित कार्मिकों को सेवा समाप्ति के पत्र जारी कर दिए गए हैं।
23 सितंबर को 228 नियुक्तियां निरस्त करने का निर्णय लिया
भर्ती घपले की विशेषज्ञ समिति से कराई गई जांच में पाया गया कि विधानसभा में हुई नियुक्तियों में नियम-कानूनों की अनदेखी की गई है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद विधानसभा अध्यक्ष खंडूड़ी ने 23 सितंबर को 228 नियुक्तियां निरस्त करने का निर्णय लिया।
इनमें वर्ष 2016 की 150, वर्ष 2020 की छह और वर्ष 2021 की 72 तदर्थ नियुक्तियां शामिल हैं। साथ ही सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया गया था। तब उन्हें कहीं संबद्ध नहीं किया गया था। अब सिंघल को संबद्ध करने के आदेश जारी किए गए हैं।
उधर, नियुक्तियां निरस्त करने संबंधी प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन मिलने के बाद बीते सोमवार से संबंधित कार्मिकों को सेवा समाप्ति के पत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई। बुधवार तक 205 कार्मिकों की सेवा समाप्त कर दी गई थी। शेष 23 कार्मिकों को भी शुक्रवार को सेवा समाप्ति के पत्र दे दिए गए।
हाईकोर्ट में अधिवक्ता की नियुक्ति
जिन कार्मिकों की सेवा समाप्त की गई है, उनकी ओर से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाए जाने की संभावना के मद्देनजर विधानसभा ने भी अपनी तैयारियां कर ली हैं। इस कड़ी में विधानसभा ने इस प्रकरण के न्यायालय में आने पर पैरवी के लिए विजय भट्ट को अधिवक्ता नामित किया है। विधानसभा अध्यक्ष खंडूड़ी ने इसकी पुष्टि की।
निजी स्टाफ में बैक डोर एंट्री की बात पूरी तरह गलत : खंडूड़ी
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कहा कि किसी भी विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री व मंत्री को अपना निजी स्टाफ रखने का अधिकार है। ये होता चला आ रहा है। फिर यह कोई स्थायी अथवा तदर्थ नियुक्ति नहीं है, को-टर्मिनस हैं और इन्हें कभी भी हटाया जा सकता है।
ये वेतन के अलावा अन्य कोई सुविधा नहीं लेते। ऐसे में उनके निजी स्टाफ में बैक डोर एंट्री की बात पूरी तरह गलत है। विधानसभा अध्यक्ष ने उनके निजी स्टाफ की नियुक्ति को लेकर इंटरनेट मीडिया में चल रही चर्चा के जवाब में ये बातें कहीं।
विधानसभा के भर्ती घपले में विवादित नियुक्तियों को निरस्त करने के विधानसभा अध्यक्ष खंडूड़ी के निर्णय को सराहना मिल रही है। इस बीच इंटरनेट मीडिया में यह बात प्रचारित की जा रही है कि उनके निजी स्टाफ में राज्य से बाहर के व्यक्तियों को रखा गया है।
इनमें उनके विशेष कार्याधिकार,सहायक जनसंपर्क अधिकारी, सहायक सूचना अधिकारी व सलाहकार के नामों की चर्चा इंटरनेट मीडिया में चल रही है। तेजी से प्रचारित हुई इस पोस्ट को भाजपा की अंदरूनी राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है।