उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच ने कार्रवाई को सीएम से लगाई गुहार, जानिए क्या हैं मांगें
विभिन्न मांगों को लेकर उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। साथ ही शासन पर कर्मचारियों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मांगों पर कार्रवाई की गुहार लगाई है। मंच के मुख्य संयोजक ने बताया कि कर्मचारियों की मांगों को लेकर लगातार संघर्ष किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। विभिन्न मांगों को लेकर उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। साथ ही शासन पर कर्मचारियों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मांगों पर कार्रवाई की गुहार लगाई है। मंच के मुख्य संयोजक हरीश चंद्र नौटियाल ने बताया कि मंच की ओर से कर्मचारियों की मांगों को लेकर लगातार संघर्ष किया जा रहा है। इस संबंध में कई बार शासन से पत्राचार भी किया गया, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई। ऐसे में अब मुख्यमंत्री से इस बाबत गुहार लगाई गई है।
मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में उन्होंने लिखा है कि राज्य के कार्मिकों की विभिन्न मांगें काफी समय से लंबित हैं। कुछ समय पूर्व ही काबीना मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में समिति गठित भी की गई थी। फरवरी 2020 और आठ जनवरी 2021 को प्रस्तावित बैठकें अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो गईं। ऐसे में समन्वय मंच की मांगों का संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं।
यह हैं मंच की प्रमुख मांगें
-सेवारत और पेंशनर के गोल्डन कार्ड बनाने में व्याप्त विसंगतियों को शीघ्र दूर किया जाए।
-मिनिस्टीरियल और वैयक्तिक संवर्ग को पूर्व से दी जा रही एसीपी-एमएसीपी की व्यवस्था को स्टाफिंग पैटर्न का आधार पर निरस्त करने के आदेश को वापस लिया जाए।
-प्रदेश के समस्त कार्मिकों को पूरे सेवाकाल में तीन पदोन्नतियां या पूर्ववर्ती व्यवस्था के तहत 10, 18 और 28 वर्ष की सेवा पर पदोन्नत वेतनमान का लाभ दिया जाए।
-एक अक्टूबर 2005 से लागू अंशदायी पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए।
-वाहन चालक संवर्ग में स्टाफिंग पैटर्न में ग्रेड वेतन 2400 रुपये की बजाय ग्रेड वेतन 4800 रुपये का लाभ दिया जाए।
-सेवा में शिथिलीकरण की पूर्व व्यवस्था को यथावत रखा जाए।
-महंगाई भत्तों पर लगी रोक तत्काल हटाई जाए।
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