यहां है अनोखी परंपरा, पहले देवता के तो फिर अपने खेत में कटता है धान; जानिए
प्रतापनगर विकासखंड की ओण पट्टी के कई गांवों में धान की रोपाई और पकी फसल को काटने की अनूठी परंपरा चली आ रही है।
देहरादून, लाखी सिंह रावत। टिहरी जिले के प्रतापनगर विकासखंड की ओण पट्टी के कई गांवों में धान की रोपाई और पकी फसल को काटने की अनूठी परंपरा चली आ रही है। यहां ग्रामीण अपने खेतों में धान की रोपाई और कटाई तभी करते हैं, जब लोक देवता ओणेश्वर महादेव के खेत में धान की रोपाई और कटाई कर ली जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से सालभर फसलें अच्छी होती हैं और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है। देवता के खेत में धान की रोपाई और काटने के लिए पंचांग गणना के अनुसार दिन नियत किया जाता है। इस धान से निकले चावल को देवता के भंडारे के उपयोग में लाया जाता है। इन दिनों ग्रामीण अपने खेतों में धान की कटाई-मंडाई कर रहे हैं।
प्रतापनगर क्षेत्र में ओणेश्वर महादेव के खेत में धान की रोपाई और पकी फसल काटने की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। जिला मुख्यालय नई टिहरी से 80 किमी का सफर बस से तय कर लंबगांव पहुंचा जाता है। यहां से पांच किमी के फासले पर देवल गांव में है ओणेश्वर महादेव का मंदिर। लोक मान्यता के अनुसार देवल गांव के पुजारी गाजे-बाजों के साथ नौ गते (हिंदी माह की नवीं तिथि) आषाढ़ ओणेश्वर महादेव के खेत में धान की रोपाई करते हैं। इसी तरह नौ गते असोज (आश्विन) पकी फसल की कटाई की जाती है। इसी के बाद ग्रामीण अपने खेतों में धान की रोपाई और कटाई का कार्य शुरू करते हैं।
देवता के खेत से हर साल पांच क्विंटल धान
ओणेश्वर महोदव का देवल गांव के बंगोल सेरा नामक तोक में लगभग पांच नाली (1003 वर्ग मीटर) का खेत है। ओणेश्वर के पुजारी ही यहां फसल की रेख-देख और रोपाई-कटाई करते हैं। इस खेत में हर साल लगभग पांच क्विंटल धान की पैदावार होती है। इस धान को ओखली या चक्की में कूटकर निकले चावल से ओणेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग पर सालभर तक लेपन किया जाता है। मंदिर समिति के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद भट्ट के अनुसार देवता के खेत धान की रोपाई और कटाई की यह परंपरा आज भी ओण पट्टी के गांवों में कायम है। लोगों का विश्वास है कि यदि कोई व्यक्ति इस परंपरा को तोड़ता है तो उसे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
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इन गांवों में कायम है यह परंपरा
ओण पट्टी के रमोलगांव, कुड़ियाल गांव, मांजफ, सिलवाल गांव, क्यारी, पणसूत, शुक्री, मिश्रवाण गांव, हलेथ आदि गांव।
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महाशिवरात्रि पर आयोजित होता है दो-दिवसीय मेला
ओणेश्वर महोदव मंदिर में महाशिवरात्रि के मौके पर दो-दिवसीय मेले का आयोजन होता है। इस मौके पर नि:संतान दंपती यहां पूरी रात हाथ में दीये लेकर जागरण करते हैं। देवल गांव में ओणेश्वर महादेव का काफी भव्य मंदिर है, जहां रोजाना बड़ी तादाद में श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं।
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