उत्तराखंड में 30 फीसद या 250 कर्मचारियों पर ही बनेगी यूनियन
अब किसी भी फैक्ट्री कारखाने या नए उद्योग में यूनियन बनाना आसान नहीं होगा। इसके लिए 30 फीसद कर्मचारी अथवा 250 कर्मचारियों का होना जरूरी है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में अब किसी भी फैक्ट्री, कारखाने या नए उद्योग में यूनियन बनाना आसान नहीं होगा। इसके लिए 30 फीसद कर्मचारी अथवा 250 कर्मचारियों का होना जरूरी है। तभी यह यूनियन पंजीकृत हो सकेगी।
प्रदेश में लगातार नए उद्योग आ रहे हैं। इनमें लगातार बढ़ रही यूनियनों की संख्या से इनका कार्य प्रभावित होने का अंदेशा रहता है। ऐसे में अब सरकार ने यूनियन बनाने के लिए व्यवसाय संघ संशोधन विधेयक पारित किया है। तर्क यह दिया गया कि छोटी-छोटी यूनियन के स्थान पर बड़ी यूनियन होने से यूनियनों के बीच विवाद में कमी आएगी, साथ ही उनकी मांगों को उचित तरीके से भी उठाया जा सकेगा। विधेयक में पहले यूनियन बनाने के लिए कम से कम 30 प्रतिशत अथवा सौ कर्मचारियों पर ही यूनियन बनाने का प्रावधान रखा गया था लेकिन इसमें भाजपा विधायक केदार सिंह रावत ने संशोधन प्रस्तुत किया। इसमें यूनियन के कर्मचारियों की न्यूनतम संख्या 100 के स्थान पर 250 रखी गई। इसे विधेयक में समाहित करते हुए पारित कर दिया गया।
श्रमिक हटाने से पहले सरकार से लेनी होगी अनुमति
प्रदेश में तीन सौ से अधिक कर्मकारों की संख्या वाले औद्योगिक संस्थानों को श्रमिकों की छटनी से पहले सरकार की अनुमति लेना जरूरी होगा। इसके लिए सरकार ने उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम) (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया है। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि श्रमिक व नियोक्ता के बीच विवाद होने पर तीन वर्ष के भीतर इसकी सुलह कार्रवाई की जाएगी। एक वर्ष की लगातार सेवा करने वाले कर्मकार को निकालने से पहले उद्योगों को कर्मकार को एक माह का नोटिस अथवा नोटिस की अवधि जितना वेतन देना होगा। कर्मकार को छंटनी का कारण लिखित में देना होगा।
पर्यटन की व्यावसायिक गतिविधियों में दंड का भी प्रविधान
प्रदेश सरकार ने पर्यटन के क्षेत्र में उद्यम स्थापित करने की शर्तों में अब दंड का भी प्रविधान कर दिया है। पहले यह व्यवस्था नहीं थी। इसके लिए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद अधिनियम (संशोधन) विधेयक पारित किया गया। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि पर्यटन की गतिविधियों के संचालन को बनाए गए नियमों का यदि उल्लंघन किया जाता है तो परिषद इन पर अर्थदंड लगाकर इन्हें वसूलने का काम भी करेगा।
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पुत्री के बच्चों को भी माना जाएगा आश्रित
प्रदेश में अब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पुत्र के पुत्र और पुत्री यानी पोतों व पोतियों के साथ ही पुत्री के पुत्र व पुत्री यानी नाती व नातिनों को भी उनका आश्रित माना जाएगा। सरकार ने उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश लोक सेवा)(शारीरिक रूप से विकलांग स्वंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रित और पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण) अधिनियम (संशोधन) विधेयक में यह व्यवस्था की है, जिसे शुक्रवार को पारित कर दिया गया।
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