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नए अंब्रेला एक्ट में राजभवन से पहले सरकार जांचेगी वीसी पैनल

नए अंब्रेला एक्ट के मुताबिक कुलपति के चयन को तैयार दावेदारों के पैनल को राजभवन भेजने से पहले सरकार जांच करेगी।

By Edited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 08:28 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 12:44 PM (IST)
नए अंब्रेला एक्ट में राजभवन से पहले सरकार जांचेगी वीसी पैनल
नए अंब्रेला एक्ट में राजभवन से पहले सरकार जांचेगी वीसी पैनल

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में सरकार की अब अहम भूमिका हो गई है। नए अंब्रेला एक्ट के मुताबिक कुलपति के चयन को तैयार दावेदारों के पैनल को राजभवन भेजने से पहले सरकार जांच करेगी। सरकार सर्च कमेटी को एक बार पैनल दोबारा परीक्षण के लिए लौटा सकेगी।राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति में सरकार ने अपना पलड़ा भारी रखा है। नए अंब्रेला एक्ट में इसकी व्यवस्था की गई है। कुलपतियों की नियुक्तियों को लेकर विवाद बढऩे और मामले अदालत में जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। अंब्रेला एक्ट के लिए बीते रोज अध्यादेश को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहली बार सरकारी विश्वविद्यालयों के लिए अंब्रेला एक्ट बनाया गया है। राज्य में वर्तमान में 11 सरकारी विश्वविद्यालय हैं। अब सभी राज्य विश्वविद्यालय इसी एक्ट से संचालित होंगे। नई व्यवस्था में कुलपतियों के चयन में ज्यादा सावधानी बरती जाएगी। सर्च कमेटी में तीन के बजाय अब पांच सदस्य होंगे। कमेटी में शामिल किए गए दो अतिरिक्त सदस्यों को सरकार नामित कर सकेगी। सर्च कमेटी कुलपति पद के दावेदारों का पैनल बनाएगी, उसका अंतिम परीक्षण सरकार करेगी। इसके बाद ही इसे राजभवन भेजा जाएगा।

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विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के रिक्त पदों पर तैनाती के लिए भी राजभवन के लिए राज्य सरकार की संस्तुति अनिवार्य होगी। रिक्त पद पर विश्वविद्यालय के ही वरिष्ठतम प्रोफेसर को कुलपति का प्रभार सौंपा जा सकेगा। कुलपति का कार्यकाल अधिकतम एक साल के लिए राज्य सरकार की संस्तुति पर राजभवन बढ़ा सकेगा। 

विश्वविद्यालयों में अब कुलसचिव को लेकर विवाद नहीं होगा।  नए अंब्रेला एक्ट के मुताबिक कुलसचिव की नियुक्ति 50 फीसद सीधी भर्ती और 50 फीसद पदोन्नति से होगी। सरकार ने विश्वविद्यालय से कॉलेजों को दी जाने वाली संबद्धता के नियमों को भी कड़ा कर दिया है। अब कॉलेजों के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों की अलग-अलग विश्वविद्यालय से संबद्धता लेना आसान नहीं होगा। प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए अलग विश्वविद्यालय से संबद्धता लेने पर भूमि, भवन से लेकर तमाम संसाधनों की अलहदा व्यवस्था जरूरी होगी। 

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अंब्रेला एक्ट को बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले उच्च शिक्षा उन्नयन समिति के सलाहकार डॉ केडी पुरोहित का कहना है कि नया एक्ट सरकारी विश्वविद्यालयों की व्यवस्थाओं में एकरूपता लाया है। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि नए एक्ट से सरकारी विश्वविद्यालयों की व्यवस्था सुधरेगी। 20 साल बाद राज्य विश्वविद्यालयों को अपना अंब्रेला एक्ट मिल गया है। 

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