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यूजेवीएनएल ने 4000 मेगावाट के लिए छोड़ी 80 मेगावाट की परियोजनाएं

यूजेवीएनएल ने एक तरफ ईको सेंसिटिव जोन का सम्मान करते हुए उत्तरकाशी क्षेत्र में 80 मेगावाट की नौ निर्माणाधीन बिजली परियोजनाओं को सरेंडर कर दिया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 03:08 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 03:09 PM (IST)
यूजेवीएनएल ने 4000 मेगावाट के लिए छोड़ी 80 मेगावाट की परियोजनाएं
यूजेवीएनएल ने 4000 मेगावाट के लिए छोड़ी 80 मेगावाट की परियोजनाएं

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: उत्तराखंड जलविद्युत निगम (यूजेवीएन) लिमिटेड ने एक तरफ ईको सेंसिटिव जोन का सम्मान करते हुए उत्तरकाशी क्षेत्र में 80 मेगावाट की नौ निर्माणाधीन बिजली परियोजनाओं को सरेंडर कर दिया, जबकि दूसरी तरफ करीब 3000 हजार मेगावाट क्षमता की 24 बिजली परियोजनाओं की तरफ मजबूती से कदम बढ़ा दिए हैं।

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इसके साथ ही स्वीकृत हो चुकी 1080 मेगावाट की तीन बड़ी बिजली परियोजनाओं को शुरू करने को पर्याप्त वित्तीय इंतजाम की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई। उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट में दक्षिण कोरिया सरकार के बैंक 'डबल ट्री कैपिटल इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन' के वित्तीय सहयोग के भरोसे पर यूजेवीएनएल दोगुने उत्साह में है। बैंक ने न सिर्फ बिजली परियोजनाओं के निर्माण को 22 हजार करोड़ रुपये के निवेश का भरोसा दिलाया, बल्कि समिट के बाद देर शाम बैंक प्रतिनिधियों ने वित्त सचिव अमित नेगी के साथ मंत्रणा भी की।

इस खास बैठक का हिस्सा रहे यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा ने बताया कि निवेश पर कोरियन बैंक की हामी भरने के बाद दूरगामी रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है। इस समय 300 मेगावाट की लखवाड़, 120 मेगावाट की बावला नंदप्रयाग और 660 मेगावाट की किसाऊ जलविद्युत परियोजनाओं पर काम शुरू हो गया है। लखवाड़ और किसाऊ परियोजना में 70 फीसद राशि केंद्र से मिलने के बाद उत्तराखंड को करीब 3200 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। जबकि करीब 3000 करोड़ रुपये की बावला नंदप्रयाग परियोजना का निर्माण स्वयं किया जाना है।

ऐसे में इन परियोजनाओं के लिए कोरियन बैंक से आसानी से राशि मिल जाएगी। हालांकि कोरियन बैंक इससे भी कहीं अधिक निवेश करने का इच्छुक है। ऐसे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर ही उत्तरकाशी की नौ निर्माणाधीन बिजली परियोजनाओं को सरेंडर किया गया। इसको लेकर जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी से भी सरकारी स्तर पर बात हो चुकी है। देश के हित में बिजली परियोजनाओं को सरेंडर करने के बाद न सिर्फ उनके माध्यम से स्वीकृत हो चुकी तीन बिजली परियोजनाओं की केंद्र के हिस्से की धनराशि शीघ्र जारी करने की उम्मीद बढ़ गई है, बल्कि अधर में लटकी 24 बिजली परियोजनाओं को शुरू करने की उम्मीद भी बढ़ गई है। 

क्योंकि केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा न दिए जाने के चलते ही इन पर लगी रोक नहीं हट पा रही है। ईको सेंसिटिव जोन पर राज्य ने जिस तरह अपनी जिद छोड़ दी है, निश्चित तौर पर अन्य परियोजनाओं की राह आसान करने में इससे मदद मिलेगी। इसकी बड़ी वजह यह भी कि केंद्र से सहानुभूतिपूर्वक इस पर कार्रवाई से संकेत भी राज्य को मिल चुके हैं।

घटेगा 1000 करोड़ का बोझ

उत्तराखंड जलविद्युत निगम (यूजेवीएन) लि. के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा ने बताया कि राज्य जो बिजली बनाता है, उसकी दर दो रुपये प्रति यूनिट है, जबकि जो बिजली बाहर से खरीदी जाती है, वह पांच रुपये की बैठती है। इस तरह सरकार पर सालाना एक हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ता है। कोरियन बैंक के सहयोग से एक हजार मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन की राह लगभग आसान हो चुकी है, जबकि अधर में लटकी 24 बिजली परियोजनाओं को शुरू कराने का भरोसा भी केंद्र से मिला है। ऐसे में न सिर्फ अधिक क्षमता में सस्ती बिजली का उत्पादन किया जाएगा, बल्कि लोगों को सस्ती दर पर भी बिजली मिल सकेगी।

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