प्रधानमंत्री की उज्जवला योजना ले रही उत्तराखंड की परीक्षा
उत्तराखंड में मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन की उज्जवला योजना के लिए सरकार को लाभार्थी परिवार ढूंढे नहीं मिल रहे। आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं।
देहरादून, [अंकित सैनी]: केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री की उज्जवला योजना उत्तराखंड की परीक्षा ले रही है। मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन की इस योजना के लिए सरकार को लाभार्थी परिवार ढूंढे नहीं मिल रहे। आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। राज्य में कुल 4.38 लाख के लक्ष्य के मुकाबले गुजरे एक साल में 1.17 लाख कनेक्शन ही बांटे गए। केंद्र ने अब पेट्रोलियम कंपनियों को बचे 3.21 लाख परिवारों को तलाशने का जिम्मा सौंपा गया है।
गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की महिलाओं को खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल यह पहल की थी। केंद्र सरकार के पैमाने पर उत्तराखंड के 4.38 लाख आए हैं, इन सभी को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराए जो हैं, लेकिन अभी तक लगभग एक तिहाई परिवारों को इस दायरे में शामिल किया जा सका है। हरिद्वार जिले में अभी तक सर्वाधिक 45 हजार कनेक्शन बांटे गए, जबकि देहरादून में 12 हजार।
अभी तक के आंकड़ों से पेट्रोलियम मंत्रालय हैरान है। मंत्रालय ने तेल कंपनियों के जरिये असलियत का पता लगाने की दिशा में कदम बढाए हैं। दरअसल, योजना यह भी शर्त जोड़ी गई है कि ऐसे परिवार जिसके पास पहले से ही गैस कनेक्शन होंगे, उन्हें उज्जवला योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। यह पता लगाया जा रहा है कि बचे हुए सवा तीन लीन परिवारों में ऐसे कितने हैं। इंडियन ऑयल कारपोरेशन के एरिया मैनेजर एसके सिन्हा ने बताया कि सूची के अनुरूप ऐसे परिवारों को चिह्नित किया जा रहा है।
ये है राज्य की स्थिति
जिला-बांटे कनेक्शन, लक्ष्य
अल्मोड़ा-----------5865
बागेश्वर----------3064
चमोली-----------1678
चंपावत----------1665
देहरादून---------12861
पौड़ी--------------3781
हरिद्वार--------45405
नैनीताल-------9107
पिथौरागढ़-------3076
रुद्रप्रयाग---------703
टिहरी----------6130
उधमसिंहनगर-19220
उत्तरकाशी-------5383
कुल------------117938
इस योजना से राज्य का कोई मतलब नहीं हैं
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति सचिव आनंद वर्धन का कहना है कि उज्जवला योजना केंद्र सरकार की योजना है जो सीधे तेल कंपनी व गैस एजेंसियों से जुड़ी हुई है। हमें न तो इसका लक्ष्य पता है और न ये जानकारी है कि कितने लोगों को लाभ मिला। इस योजना से राज्य का कोई मतलब नहीं हैं।
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