इन दो शिक्षिकाओं ने अपने परिश्रम और लगन से संवारा स्कूल, चारों ओर हो रही तारीफ
इन दिनों यमकेश्वर के धारकोट प्राथमिक विद्यालय की दो शिक्षिकाएं अपने परिश्रम और लगन के बूते पूरे क्षेत्र में चर्चाओं में बनी हुई हैं। इन शिक्षिकाओं ने लॉकडाउन में ना सिर्फ अपने शिक्षक होने फर्ज निभाया बल्कि स्कूल को एक आदर्श स्कूल के रूप में प्रस्तुत करने का काम किया।
ऋषिकेश, जेएनएन। अधिकांश शिक्षक अपने पेशे को सिर्फ नौकरी पर मान लेते हैं। जिसका नतीजा यह होता है कि न तो उनके हिस्से कोई उपलब्धि जुड़ पाती है और ना ही वह चर्चाओं में ही रह पाते हैं। मगर, जो लोग शिद्दत से प्रयास करते हैं, उसकी उपलब्धि खुद ही शोर मचा कर समाज को आकर्षित कर जाती है। इन दिनों यमकेश्वर के धारकोट प्राथमिक विद्यालय की दो शिक्षिकाएं अपने परिश्रम और लगन के बूते पूरे क्षेत्र में चर्चाओं में बनी हुई हैं। इन शिक्षिकाओं ने लॉकडाउन में ना सिर्फ अपने शिक्षक होने फर्ज निभाया, बल्कि अपने स्कूल को एक आदर्श स्कूल के रूप में प्रस्तुत करने का काम किया है।
सरकार स्कूलों के लिए संसाधन जुटाने के लिए प्रयासरत रहती है, लेकिन उन संसाधनों का उपयोग कैसे किया जा सकता है और विद्यालय को कैसे सुशोभित और अंलकृत किया जा सकता है, इसका उदाहरण है, यमकेश्वर ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय धारकोट की दो शिक्षिकाएं, जिन्होने विद्यालय का कायाकल्प ही नहीं किया, बल्कि उनका विद्यालय पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। कोरोना काल की अवधि में जब सारे अध्यापक अपने घरों में थे तब ये दोनो अध्यापिकाएं जून माह में अपने स्कूल के सौंदर्यीकरण में व्यस्त थी। इन दोनों अध्यापिकाओं ने सरकार द्वारा दी गयी विशेष अनुदान राशि का सदपयोग ही नहीं किया, बल्कि अपने स्तर से यथा संभव संसाधन स्कूल के लिए जुटाए।
राजकीय प्राथमिक विद्यालय धारकोट की प्रधानाध्यापिका रेखा शर्मा और सहायक अध्यापिक सुनीता नेगी वह अध्यापिका यह है जो इन दिनों यमकेश्वर क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। प्रधानाध्यापिका रेखा शर्मा ने बताया कि हमें सरकार से जो अनुदान मिला उसका उपयोग हमने स्कूल के रंगरूप बदलने में सही तरीके से उपयोग किया। उसके बाद हमने ब्लॉक एजूकेशन ऑफिसर को हमने स्कूल की तस्वीरें भेजी, उसके बाद हमे रूपातंरित विद्यालय कायाकल्प योजना के तहत यह अनुदान मिला। पौड़ी जिले में तीन स्कूलों को ही यह वित्तीय मदद मिली। इस वित्तीय मदद से हमने स्कूल के भवन के मरम्मत और सौन्दर्यीकरण किया। जिसका कार्य वर्तमान में भी चल रहा है। उन्होंने बताया कि स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों और क्रियाकलापों के परफॉरमेंसे को देखते हुए कायाकल्प योजना के तहत विद्यालय का चयन हुआ।
हमें वित्तीय वर्ष 2019-20 का अनुदान इस साल जनवरी में प्राप्त हुआ। जैसे ही कार्य प्रारम्भ हुआ कोविड- 19 का दौर शुरू हो गया। इसके बावजूद हमने जून माह में यहां आकर कार्य को गतिमान रखा। इसमें हमें विद्यालय प्रबंधन समिति और अध्यक्ष का भी सहयोग मिला। उन्होंने हमें पूरी आजादी दी ताकि हम स्कूल में बच्चों के लिए एक सुंदर अनुकूल वातवारण तैयार कर सके। कार्य करवाने से पूर्व मे हमने विद्यालय प्रबंधन समिति के साथ बैठक की और इसमें स्पष्ट तौर पर बात रखी कि हमने स्कूल में ये कार्य प्राथमिकता के आधार पर करवाने हैं। स्कूल के लिए सरकार द्वारा दो लाख 80 हजार रुपये के बजट का प्रावधान किया गया था। वर्तमान में हमारे विद्यालय में 30 बच्चे अध्ययनरत है।
बच्चों के सर्वांगीण विकास पर रहता है फोकस
प्रधानाध्यापिका रेखा शर्मा ने बताया कि हमने यहां बच्चों पर ज्यादा ध्यान दिया। हम यहां बच्चों को स्कूल के छुट्टी के बाद भी अतिरिक्त कक्षाएं लगाते हैं, जिसमें हम यह देखते हैं कि बच्चे शब्दों को कैसे समझ रहे हैं, उन्हें कैसे बना रहे हैं, क्या उन्हें शब्दों को समझने में परेशानी तो नहीं हो रही है। बच्चों को व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने से सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं। प्रधानाध्यापिका और सहायक अध्यापिका में आपसी तालमेल का ही परिणाम है कि दोने साथ मिलकर कार्य योजना बनाती हैं और उस पर साथ ही कार्य करती हैं। स्थानीय ग्रामीण दिनेश शर्मा बताते हैं कि दोनो अध्यापिकाओं ने विद्यालय के पठन-पाठन के साथ सौंदर्यकरण में अनूठा योगदान दे रही हैं।
उनका कहना है कि दोनों अध्यापिकाएं व्यक्तिगत तौर पर बच्चों पर बहुत ध्यान देती हैं, इसी का परिणाम है कि उनकी बेटी मानसी शर्मा जो कि इनकी छात्रा रही है, इनके प्रयासों और उसकी अपनी मेहनत के बदौलत उसका चयन हिम ज्योति स्कूल देहरादून में हुआ और आज वह दिल्ली में वकालात की पढायी कर रही है। इसके अतिरिक्त यहां से तीन विद्यार्थियों का चयन राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में हुआ है। दोनों अध्यापिकाओं के बच्चों की प्राथमिक शिक्षा भी धारकोट में ही हुई है। वह बताते हैं कि जब लॉकडाउन था उस दौरान यह लोग यहां आकर स्कूल के सौन्दर्यीकरण के लिए अपना समय दे रहे थे, वास्तव में शिक्षा के क्षेत्र में इन दोनो अध्यापिकाओं नई मिसाल कायम की है।
छुट्टी के बाद भी चलता है स्कूल
बच्चों का सर्वांगीण विकास करने के लिए दोनों अध्यापिकाएं प्रयास करती हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि दोनों अध्यापिकायें सांयकाल में दो घंटा अतिरिक्त बच्चों को पढ़ाती हैं। बच्चों को नित नई चीजों से अवगत कराती हैं। यहां के बच्चे खेलकूद में भी अपना हुनर दिखाते हैं और अच्छा स्थान प्राप्त करते हैं।
स्कूल की तस्वीरें है देखने लायक
स्कूल की तस्वीरें बयां कर रही हैं कि विद्यालय को ऐसा बनाने के लिए दोनों अध्यापिकाओं के द्वारा अथक प्रयास किया गया है। आज यह स्कूल अपने पढ़ाई के तौर तरीकों और पढ़ाने के आधुनिक कौशल के प्रयोग से यह स्कूल आदर्श स्कूल बन गया है। यहां की प्रधानाध्यापिका रेखा शर्मा और सहायक अध्यापिका सुनीता नेगी के इस कार्य की क्षेत्र के लोग खूब सराहा रहे हैं। समाजसेवी व साहित्यकार हरीश कंडवाल ने बताया कि इन दोनों शिक्षिकाओं के प्रयास से यह स्कूल आज अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को टक्कर देता नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि सरकारी स्कूलों के शिक्षक इसी तरह मेहनत करें तो कोई भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने से नहीं हिचकिचाएगा।
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