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एनएच 74 मुआवजा घोटाला प्रकरण में दो पीसीएस सशर्त बहाल

शासन ने एनएच 74 चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में आरोपित पीसीएस अधिकारी सुरेंद्र सिंह जंगपांगी और जगदीश लाल को सशर्त बहाल कर दिया है।

By Edited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 07:51 PM (IST)
एनएच 74 मुआवजा घोटाला प्रकरण में दो पीसीएस सशर्त बहाल
एनएच 74 मुआवजा घोटाला प्रकरण में दो पीसीएस सशर्त बहाल

देहरादून, राज्य ब्यूरो। शासन ने एनएच 74 (हरिद्वार-ऊधमसिंहनगर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग) चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में आरोपित पीसीएस अधिकारी सुरेंद्र सिंह जंगपांगी और जगदीश लाल को सशर्त बहाल कर दिया है। हालांकि, इनकी बहाली इनके विरुद्ध चल रही प्रशासनिक जांच के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी। 

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इसके अलावा शासन ने मामले में आरोपित दोनों आइएएस अधिकारियों के जवाब से संतुष्ट न होने पर जांच आगे बढ़ाते हुए जांच अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। 

आइएएस डॉ. पंकज कुमार पांडेय की जांच सचिव डॉ. भूपिंदर कौर औलख को सौंपी गई है तो चंद्रेश यादव के मामले में शैलेश बगोली को जांच अधिकारी नामित किया गया है। जांच अधिकारियों से दो माह के भीतर रिपोर्ट शासन में देने की अपेक्षा की गई है। 

एनएच-74 मुआवजा प्रकरण में सरकार ने मार्च 2017 में सात पीसीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, मामले में आरोपित पीसीएस अधिकारियों की संख्या बढ़कर दस हो गई। अब शासन ने इनमें से दो को बहाल कर दिया है। 

शासन की ओर से इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इन दोनों की बहाली इनके विरुद्ध चल रही प्रशासनिक जांच के अधीन रहेगी। अब इन्हें जल्द ही तैनाती देने की तैयारी है। इसके अलावा शासन ने आइएएस अधिकारी डॉ. पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश यादव का जवाब मिलने के बाद इनके खिलाफ जांच आगे बढ़ाई है। 

डॉ. पंकज कुमार पांडेय की जांच सचिव डॉ. भूपिंदर कौर औलख और चंद्रेश यादव की जांच शैलेश बगोली करेंगे। ये जांच अधिकारी इन दोनों आइएएस अधिकारियों द्वारा दिए गए जवाब के आधार पर जांच को आगे बढ़ाएंगे। शासन ने इन दोनों अधिकारियों को दो माह के भीतर जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपने के निर्देश दिए हैं।

क्या है एनएच मुआवजा घोटाला 

ऊधमसिंह नगर जिले में रुद्रपुर से होकर गुजरने वाले नेशनल हाईवे 74 के चौड़ीकरण में मुआवजा घोटाला सामने आ चुका है। भाजपा सरकार ने प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद सबसे पहले इसी घोटाले को उजागर किया था। इस घोटाले में यह बात सामने आई कि मुआवजा देने के लिए सरकारी अधिकारियों ने भू-उपयोग बदलने के साथ ही कुछ मामलों में तय से कहीं अधिक मुआवजा देने का काम किया।

इस मामले में अभी तक दो आइएएस और दस पीसीएस अधिकारी प्रथम दृष्ट्या आरोपी पाए गए हैं। इनमें से नौ निलंबित हैं जबकि एक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। बीते एक वर्ष से एसआइटी मामले की जांच कर रही है। पहली बार एसआइटी ने इस मामले में आइएएस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए। यह अधिकारी आइएएस पंकज कुमार पांडेय और आइएएस चंद्रेश यादव हैं। इन दोनों को निलंबित कर दिया गया था। इनमें चंद्रेश यादव को बहाल कर दिया गया था।  

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