Move to Jagran APP

मातृसदन के दो और संत गंगा के लिए करेंगे तप

मातृसदन आश्रम में बुधवार से गंगा और पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की मांगों को पूरा कराने के लिए दो संत तप शुरू कर रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 05:25 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 09:23 PM (IST)
मातृसदन के दो और संत गंगा के लिए करेंगे तप
मातृसदन के दो और संत गंगा के लिए करेंगे तप

हरिद्वार, [जेएनएन]: मातृसदन आश्रम में बुधवार से गंगा और पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (ज्ञानस्वरूप सानंद) की मांगों को पूरा कराने के लिए दो संत तप शुरू कर रहे हैं। इनमें आत्मबोधानंद तप के दौरान केवल जल के साथ नींबू, नमक और शहद लेंगे, वहीं पुण्यनानंद अन्न त्याग रहे हैं, लेकिन अगर किसी कारणवश आत्मबोधानंद को कुछ हो जाता है तो पुण्यानंद फल आदि भी त्याग देंगे। वहीं, इस बार स्वयं तप नहीं करने पर स्‍वामी शिवानंद सरस्‍वती का कहना है कि उनके शिष्यों ने उन्हें जबरन तप नहीं करने दिया, लेकिन अगर जरूरत पड़ेगी तो वह भी तप शुरू करेंगे। 

loksabha election banner

मंगलवार को मातृसदन आश्रम में पत्रकारों से वार्ता के दौरान मातृसदन परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने बताया कि पूर्व घोषणा के अनुसार आश्रम के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद 24 अक्तूबर से तप शुरू कर देंगे। पत्रकार वार्ता में जैसे ही शिवानंद सरस्वती की ओर से इस बात की घोषणा की गई तो आश्रम के स्वामी पुण्यानंद ने भी बुधवार से अन्न छोड़ने का एलान कर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक सानंद की मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक वह भी अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। जिस पर परमाध्यक्ष ने उन्हें मनाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने, उल्टे कहा कि अगर तप के दौरान आत्मबोधानंद को कुछ हो

जाता है तो वह फल भी आदि छोड़कर आत्मबोधानंद की तर्ज पर तप शुरू कर देंगे। जिसमें वह केवल जल के साथ नींबू, नमक और शहद ही ग्रहण करेंगे, क्योंकि जब सरकार को बलिदान ही चाहिए हैं तो उन्हें बलिदान पर बलिदान दिए जाएंगे। परमाध्यक्ष के समझाने पर भी पुण्यानंद के नहीं मानने पर उन्हें भी तप करने की सहमति दे दी। शिवानंद सरस्वती ने कहा कि मातृसदन की ओर से सानंद की मांगों को पूरा करने के लिए शुरू किए जा रहे तप के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा गया है। जिसमें पीएम से मातृसदन के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने का समय भी मांगा गया है।

शिवानंद बोले, 17 बार तप कर चुका हूं, जरूरत पड़ेंगी तो फिर करूंगा तप

मातृसदन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती अभी तक 17 बार तप कर चुके हैं, वह अधिकतम 2012 में छह अगस्त से 10 सितंबर तक यानि अधिकतम 36 दिन तक तप कर चुके हैं। वर्ष 2015 में वह तप के दौरान छह दिन तक जल, नींबू, नमक और शहद भी त्याग कर चुके हैं। इस बार स्वयं तप नहीं करने पर उनका कहना है कि उनके शिष्यों ने उन्हें जबरन तप नहीं करने दिया, जिससे वह तप नहीं शुरू नहीं कर रहे हैं, लेकिन अगर जरूरत पड़ेगी तो वह भी तप शुरू करेंगे। 

पहले अपना बलिदान देंगे, इसके बाद चाहे कुछ भी हो

बुधवार से तप शुरू करने जा रहे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद और दयानंद, पुण्यानंद का संयुक्त रूप से कहना है कि उनके होते हुए उनके गुरु का बलिदान हो जाए, उनके लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य कोई नहीं हो सकता है। इसलिए वह पहले अपना बलिदान देंगे, इसके बाद चाहे कुछ भी होता रहे, इसलिए पहले गुरुदेव के शिष्यों ने तप शुरू करने का निर्णय लिया है।

संत गोपाल दास चंडीगढ़ से डिस्चार्ज

स्वामी शिवानंद सरस्वती ने बताया कि एम्स ऋषिकेश से चंडीगढ़ पीजीआई में रेफर कर भर्ती कराए गए संत गोपाल दास को रविवार को वहां से डिस्चार्ज किया जा चुका है, लेकिन उन्हें वहां से लाने के लिए एम्स प्रशासन और देहरादून प्रशासन से कोई लेने को नहीं जा रहा है। जिससे प्रशासन और एम्स प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिसके चलते वह चंडीगढ़ पीजीआई में ही पड़े हुए हैं।

अधिकतम 46 दिन तक तप पर रह चुके हैं आत्माबोधानंद

आत्माबोधानंद इससे पहले भी मातृसदन आश्रम में रहकर इस तरह का सात बार तप कर चुके हैं, वह अधिकतम 46 दिन तक तप पर रह चुके हैं, आत्मबोधानंद इस बार आठवीं बार तप शुरू करने जा रहे हैं, लगभग 27 वर्ष के आत्मबोधानंद ग्रेजुएट हैं, वह सॉफ्टवेयर में मीडिया कंपोजिंग किए हुए हैं, 2014 में आश्रम में आए और तब से आश्रम में ही रह रहे हैं।

28 दिन तक केवल फलाहार कर रह चुके हैं पुण्यानंद

पुण्यानंद स्वामी शिवानंद के तप पर रहने के दौरान वर्ष 2017-18 में दिसंबर जनवरी में उनके साथ अन्न छोड़ चुके हैं, वह अन्न छोड़कर 28 दिन तक केवल फलाहार कर रह चुके हैं। इस बार वह दूसरी बार अन्न छोड़ने जा रहे हैं, करीब 60 वर्षीय पुण्यानंद सालों से अनुयायियों के रूप में आश्रम से जुड़े रहे हैं, लेकिन सबकुछ छोड़कर लगभग पिछले पांच सालों से आश्रम में ही रह रहे हैं।

गंगा रक्षा को मातृसदन के तीन संत दे चुके प्राण

गंगा रक्षा की लड़ाई में मातृसदन से जुड़े तीन संत अपने प्राणों का बलिदान दे चुके हैं। स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद से पहले वर्ष 2011 में ब्रह्मचारी निगमानंद और वर्ष 2013 में गोकुलानंद की मौत हुई है। कनखल के जगजीतपुर में वर्ष 1998 में मातृसदन की स्थापना के बाद स्वामी शिवानंद महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी निगमानंद व गोकुलानंद ने खनन व क्रशर माफिया के खिलाफ तप की शुरूआत की। सबसे पहले स्वामी गोकुलानंद ने 03 मार्च से 30 मार्च 1998 तक तप किया। इसके बाद ब्रह्मचारी निगमानंद ने अलग-अलग समय पर तप किए। 13 जून 2011 को संत निगमानंद की मौत हुई। जिसके बाद स्वामी गोकुलानंद ने तप किया। वर्ष 2013 में गोकुलानंद एकांत तपस्या करने गए थे। मातृसदन के मुताबिक नैनीताल के बामनी गांव में उन्हें जहर दे दिया गया। उनकी विसरा रिपोर्ट में एस्कोलिन जहर की पुष्टि हुई। इसके बाद पूर्व प्रोफेसर ज्ञानस्वरूप सानंद 11 अक्तूबर 2018 को गंगा रक्षा को अपने प्राणों का बलिदान दिया।

यह भी पढ़ें: गंगा एक्ट को लेकर 113 दिनों से अनशन कर रहे सानंद का हुआ निधन, पीएम ने किया दुख व्‍यक्‍त

यह भी पढ़ें: स्वामी सानंद उपवास तोड़ना चाहते थे, लेकिन कोई उन्हें रोक रहा था: एम्स प्रशासन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.