फरवरी आखिर में मोतीचूर रेंज में होगा रानी का राजा से मिलन, पढ़िए पूरी खबर
फरवरी के अंतिम सप्ताह मोतीचूर रेंज में दो नर बाघ (राजा) शिफ्ट कर दिए जाएंगे। इससे यहां मौजूद मादा बाघ (रानी) को जीवन साथी मिल जाएगा।
देहरादून, दीपक जोशी, रायवाला। देर से ही सही, लेकिन अब 'रानी' से 'राजा' के मिलन की तैयारी हो चुकी है। योजना के मुताबिक फरवरी के अंतिम सप्ताह मोतीचूर रेंज में दो नर बाघ शिफ्ट कर दिए जाएंगे। इससे यहां मौजूद मादा बाघ (रानी) को जीवन साथी मिल जाएगा। इसके लिए बाड़ा तैयार हो चुका है। बाड़े के चारों ओर सोलर फेन्सिंग भी कराई गई है, ताकि हाथी समेत अन्य जानवर उसमें न घुस सकें। बाड़े के भीतर वाटर हॉल भी बनाया गया है। मोतीचूर में बाघ शिफ्टिंग की यह कवायद बीते चार साल से चल रही है।
राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) की मोतीचूर रेंज में एकाकी जीवन बिता रही 'रानी' के लिए 'राजा' की तलाश पूरी हो चुकी है। इनके लिए चीला रेंज से दो नर बाघ मोतीचूर रेंज लाए जा रहे हैं। दरअसल, आरटीआर के पूर्वी हिस्से मोतीचूर व धौलखंड क्षेत्र में एक-एक बाघिन की मौजूदगी है। ये दोनों ही करीब छह साल से यहां एकाकी जीवन जी रही हैं। माना जाता है कि ढाई-तीन साल की उम्र में ये चीला क्षेत्र से यहां आ तो गईं, लेकिन वापस नहीं जा पाईं।
कारण इस क्षेत्र में हरिद्वार-देहरादून हाइवे पर चौबीसों घंटे वाहनों की आवाजाही के साथ जंगल से गुजर रही रेल लाइन के बाधा बनने से दोनों बाघिन अपने-अपने दड़बों तक ही सिमटी हुई हैं। अब टाइगर शिफ्टिंग प्रोजेक्ट के तहत मोतीचूर, कांसरो व धौलखंड रेंज में भी बाघों का कुनबा बढ़ाने की तैयारी है। वन्य जीव विशेषज्ञ इस क्षेत्र को बाघों के लिए बेहतर वासस्थल मानते हैं।
चीला के बाघों पर जताया भरोसा
राजाजी पार्क प्रशासन ने मोतीचूर में शिफ्टिंग के लिए कॉर्बेट के बजाय आरटीआर की चीला रेंज से बाघों को चुना है। प्रथम चरण में चीला से दो नर बाघ लाए जाने हैं। माना जा रहा है कि आस-पास के परिवेश से लाए जाने वाले बाघों को यहां के मौसम व अन्य परिस्थितियों से सामंजस्य बैठाने में सहजता रहेगी।
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दिनेश प्रसाद उनियाल (वन्य जीव प्रतिपालक, आरटीआर, देहरादून) का कहना है कि टाइगर शिफ्टिंग के लिए सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। बाड़ा बनकर तैयार है और उम्मीद है कि फरवरी के अंतिम सप्ताह तक दो नर बाघ चीला से यहां शिफ्ट कर हो जाएंगे।
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